Wednesday, November 10, 2021

लक्ष्य l उद्देश्य l goals l objective l goal setting

 लक्ष्य / उद्देश्य / Goals / Objective 
लक्ष्य

    एक लक्ष्य एक समय-सीमा के साथ देखा गया सपना होता है , जिसे दृढ़-निश्चय और मेहनत के बल पर हासिल करने पर ही हम जीवन में वास्तविक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

    " लक्ष्य एक दृढ़-इच्छा होती है जिसे एक दिशा में प्रेरित करने पर ही उद्देश्य पूर्ण होते हैं। 

हम बिना लक्ष्य निर्धारित किए विचारों ( मन ) और भावनाओं को एक चीज या कार्य पर केंद्रित नहीं कर सकते। "

    लक्ष्य निश्चित होने पर ही हम हमारे विचारों , भावनाओं को एक निश्चित दिशा में एकाग्र कर सकते हैं। 

जब तक हमारी समस्त ऊर्जा ,ध्यान किसी एक दिशा ,लक्ष्य पर स्थिर नहीं होगी हम सफलता के मार्ग में भ्रमित होकर एक कार्य या विचार से दूसरे कार्य या विचार पर ही भटकते रहेंगे। 

दिशाहीन व्यक्तित्व हमेशा हमारा आत्मबल और आत्म-विश्वास कम करेगा तथा हम आत्मग्लानि ,भय ,चिंता और तनाव आदि को ही ग्रहण करेंगे। 

    स्वयं पर विश्वास ,लक्ष्यों और योजना पर विश्वास के साथ धैर्य-पूर्वक कार्य करने पर ही हम विशिष्ट लक्ष्य हासिल कर सकते हैं !

    जब भविष्य के सपनों को साकार करने के लिए विचारों को एक निश्चित दिशा में ,निश्चित समय में पूरा करने की कल्पना और प्रयास किए जाते हैं ; उस पर कार्य करने की योजना बनाई जाती है तथा एक तय समय-सीमा पर निश्चित समय के अंदर कार्य सम्पूर्ण करने के दृढ़-संकल्प होते हैं ,इसे ही हम सोचे-समझे लक्ष्य कह सकते हैं। 

    लक्ष्य में विचारों के साथ साथ निश्चित उद्देश्य ; उन उद्देश्यों को पूर्ण करने की विस्तृत योजना जुड़ी रहती है। 
लक्ष्य में स्पष्ट कार्य योजना और निश्चित समय-सीमा के साथ-साथ उसे पूर्ण करने में आने वाली दिक्कतें ,उन्हें दूर करने के उपाय भी शामिल होते हैं। 

हर कार्य को समय-सीमा में विभाजित किया जाता है और सभी को अनुशासन के साथ निश्चित समय में पूर्ण करने का दृढ़-संकल्प जुड़ा रहता है।  

    लक्ष्य हमारे विचारों ,उद्देश्यों और भावनाओं को एक निश्चित दिशा देते हैं तथा इनका समय-समय पर आकलन करने का अनुशासन देते हैं। 

लक्ष्य के द्वारा ही हमारे ध्यान ,प्रयासों को एक निश्चित दिशा मिलती है।
 
लक्ष्य में समय-सीमा तय करने के कारण हमारे कार्य करने की गति और लगन बढ़ती है
अनुशासन के साथ किए गए कार्य सफल भी होते हैं। 

    जब तक हम जीवन के निश्चित उद्देश्य बनाकर निश्चित दिशा में अनुशासन के साथ कार्य नहीं करेंगे सफ़ल नहीं हो सकते हैं। 

हमारे कार्य की दिशाएँ और समय का बोध ना होने से हमारे प्रयास केंद्रित नहीं होंगे और हम भटकते ही रहेंगे। 

    कठिन परिश्रम एक निश्चित दिशा में किया जाए तभी सार्थक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। 

    हमें पुरानी कार्य करने की सुस्त आदतों के बजाय नई तकनिकी और कौशल के साथ SMART तरीकों से कार्य करने के प्रयास करने होंगे और SAMART तरीकों से योजना के साथ कार्य कार्य करने होंगे ; इससे हम कम प्रयास में अधिक बड़ी सफलता आसानी से पा सकते हैं - अगर हमनें लक्ष्य हमारे कौशल और क्षमता ,अनुभव के आधार पर सोच-समझकर चुने हैं। 

    इसके लिए हमें स्वयं को जानना होगा , जीवन के मुख्य उद्देश्य निर्धारित करके उन पर तय-समय सीमा के साथ कार्य करने होंगे ;तभी हम निश्चित समय पर सफल हो सकते हैं। 
लक्ष्य निर्धारित करने से हमें आत्म-प्रेरणा और कार्य को सम्पूर्ण करने का आत्मबल और एकाग्रता प्राप्त होती है। 

    समय समय पर विश्लेषण द्वारा हम कार्य-योजना को निश्चित दिशा में गति प्रदान कर सकते हैं। इससे सही दिशा में सही समय पर कार्य पूर्ण करने का आत्म-विश्वास ,साहस जाग्रत्त होता है। 

    लक्ष्य जितना कठिन होगा उसे प्राप्त करने के प्रयास भी उतने ही अधिक तीव्र करने होंगे। 
सफलता प्राप्त हो जाने पर हम ख़ुशी ,आत्मविश्वास का अनुभव करेंगे। 

एक लक्ष्य प्राप्त हो जाने पर हम दूसरे बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति प्रेरित होते हैं ,डर में कमी आती है।
 
    अतः अगर बड़े-बड़े लक्ष्य आत्म-विश्वास के साथ हासिल करने हों तो बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे लक्ष्यों में बाँट लेना अच्छा होगा ; जिससे जैसे-जैसे छोटे लक्ष्य प्राप्त होते जायेंगे हमें आगे के लक्ष्य प्राप्त करने का आत्म-बल और आत्म-विश्वास मिलता जायेगा और हम स्थाई सफलता हासिल कर लेंगे। 
इनके कारण हमें लक्ष्यों को हासिल करने और दृढ़-निश्चय के साथ कठिन परिश्रम करने की एक अनूठी आदत पड़ जाएगी ; जो कि हमारी सफलता के मार्ग खोल देगा। 

    लक्ष्य पूरा होने पर हमारी सकारात्मक भावनाओं को बल मिलता है ,हमारी क्षमताओं और विश्वास में वृध्दि होती है। 

    हमारी सफलता अपने कार्य करने के कौशल और योजना पर निर्भर करती है। लक्ष्य इन कार्यों को एक दिशा और अनुशासन से पूर्ण करने की समझ देते हैं। 

    लक्ष्य हमारे कार्यों और भावनाओं को गति प्रदान करते हैं ,लक्ष्यों के द्वारा हम ध्यान को एक दिशा में एकाग्रः करने में सक्षम हो पाते हैं। 
लक्ष्यों से हमारे अर्थ और उद्देश्य की भावना विकसित होती है। 

    लक्ष्य के साथ प्रतिबध्दता होने पर कार्य सफ़ल होते हैं। 

लक्ष्य के प्रमुख सिद्धांत / विशेषताएँ :

1. सभी सफलता हमारी कार्य करने की  लगन ,कार्यकुशलता एवं समय का सटीक प्रबंधन पर निर्भर करती है। 

अगर हम मात्र सोचते ही रहेंगे और बिना किसी योजना के कार्य की शुरुआत करने की सोचते ही रहेंगे तो हम कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं। 
अगर हम सही समय पर सही निर्णय लेकर कार्य को तुरँत शुरू कर देंगे और योजना बनाकर निश्चित दिशा में सतत प्रयास करेंगे तो सफलता निश्चित समय पर जरूर मिलेगी।
 
2. सफलता के लिए अपने लक्ष्य पर ध्यान लाना होगा। इसके लिए सर्वप्रथम निश्चित लक्ष्य बनाने होंगे। 

    अगर लक्ष्य बड़ा हो तो उसे सरल और प्रभावी बनाने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभक्त कर लेना उच्चित होगा।

3. लक्ष्य की योजना लिखित में होनी चाहिए और इसमें सभी जानकारी विस्तार में लिखी होनी चाहिए। 

    लक्ष्य लिखित में होने पर हम वास्तविकता की ओर आगे बढ़ते हैं। 
लक्ष्यों को तय समय-सीमा के अंदर प्राप्त करने की दिशा में सतत प्रयास करने चाहिए। 

4. लक्ष्य का समय-समय पर विश्लेषण करके आवश्यक सुधार भी कर सकते है ; इससे लक्ष्य को समय के साथ और प्रभावी बनाया जा सकता है।

5.  एक बार में एक ही लक्ष्य को चुनना चाहिए। 

    लक्ष्य अपनी क्षमता ,कार्य-कुशलता ,कौशल और हमारी रूचि के अनुरूप होने चाहिए। 
वही लक्ष्य निर्धारित करें ;जिन पर कार्य करना हम मन से चाहते हैं तथा जिसमें हमारी रूचि हो। 

6. लक्ष्यों में हमारी सभी जिज्ञासाओं के उत्तर दिए होने चाहिए ; 
जैसे - हमें यह कार्य क्यों करना चाहिए ? , 
इससे क्या लाभ प्राप्त होंगे ? 
हम मार्ग में आई दिक्कतों को कैसे दूर कर सकते हैं ? 
हम किस-किस से सहायता ले सकते हैं ? आदि-आदि। 

7. लक्ष्य मापन योग्य होने चाहिए ; जिससे हम लक्ष्य की सफलता की गति को जान और समझ सकें। 

    जब हम कार्य की प्रगत्ति को मापते हैं तो इसके कारण हमें आगे बढ़ने की स्वप्रेरणा मिलेगी और हम आगे और अच्छा करने का आत्म-विश्वास प्राप्त कर सकते हैं।

    प्रगत्ति मापन के लिए हमें SCORE - CARD बनाना चाहिए और प्रत्येक कार्य की अंतिम समय-सीमा निर्धारित करनी चाहिए। 

    इस SCORE - CARD में हमें नियमित रूप वास्तविक प्रगत्ति अंकों के रूप में लिखनी चाहिए और समीक्षा करके अपने प्रयासों में सकारात्मक बदलाब सही समय पर अवश्य कर लेने चाहिए। 

8. लक्ष्य में समय-सीमा निर्धारित होनी चाहिए। 

9. लक्ष्य स्पष्ट और स्वप्रेरित होने चाहिए। 

10. लक्ष्य कार्य दशा और समय-सीमा के अनुसार निम्न प्रकार के हो सकते हैं :-

    1. अल्पकालिक लक्ष्य ,
    2. दीर्धकालिक लक्ष्य ,
    3.  व्यक्तिगत लक्ष्य ,
    4. आर्थिक लक्ष्य ,
    5. शारीरिक लक्ष्य , आदि-आदि 

11. कार्य-योजना स्पष्ट होनी चाहिए तथा योजना क्रमबद्ध चरणों में विभक्त होनी चाहिए। 

स्पष्ट दिशानिर्देशों के साथ schedule पर अनुशासन के साथ चलना चाहिए ; तभी हमें बड़ी सफलता मिल सकती है। 

लक्ष्य निर्धारण में मुख्य बातें / सुझाव :

1. सकारात्मक सोच :

    हमें हमारे कार्यों ,लक्ष्यों पर पूर्ण भरोषा करना होगा और भावनाओं को सकारात्मकता से भरना होगा। 

    Affirmation की शक्ति पर विश्वास करो और सोचो कि आप लक्ष्यों को पा रहे हो ,लक्ष्य प्राप्ति पर मिलने वाली ख़ुशी का अनुभव करो। 

    विश्वास के साथ सफल व्यक्तित्व को अपनाओ और उसी के अनुरूप महशूस करो ; इससे आपकी सोच, आत्म-विश्वास में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे जो आपको आपके लक्ष्यों तक पहुँचने में आपकी मदद करेंगे। 

इससे इच्छा-शक्ति जाग्रत्त होगी और ब्रमांड के सकारात्मक संकेत स्वतः ही आपकी ओर आकर्षित होने शुरू हो जायेंगे ;जिसके कारण हमें सफलता सुनिश्चित होंगी। 

    किसी विचार पर विश्वास करने पर भावनाएं प्रबल होकर वास्तविकता बन जाती हैं। 

2. जिम्मेदारी स्वीकार करो :

    हर असफलता की जिम्मेदारी लेकर उसमें आई दिक्कतों और स्वयं की कमजोरियों पर सकारात्मक विचार करके जितना शीघ्र संभव हो गलतियों को सुधारने के प्रयास करो। 

    इससे आपको नई जानकारी सीखने का मौका मिलेगा और आप स्वयं के कौशल को सतत प्रयास ,नया सीखकर बढ़ाने में सफलता प्राप्त करेंगे ; जो आगे चलकर आपकी बड़ी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 

3. सम्भावनाओ पर विचार करो :

    जिस चीज या कार्य के बारे में हम ज्यादातर सोचते रहते हैं और जिन्हें करने से हमें आत्मिक-ख़ुशी और आत्म-विश्वास का अनुभव होता है ; बही  हमारे वास्तविक लक्ष्य होते हैं।
 
    इन्हें ही हम अपना विशिष्ट लक्ष्य बनाकर तथा इस पर दृढ-निश्चय और लगन के साथ कार्य करने पर हम बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं। 

    हमें हमारे लक्ष्य लिखित में लिखने की आदत डालनी चाहिए  तथा समय-समय पर प्रगत्ति का मूल्याँकन करना चाहिए ;तभी सफलता सुनिश्चित होगी। 

4. सकारात्मक सोचें / सकारात्मक महसूस करें :
सकारात्मक भाव

    हमें हमारे बारे में और कार्य में मिली सफलता , असफलताओं को सकारात्मक भाव में लेना चाहिए। 

    सफल होने पर स्वयं को सम्पूर्ण मानने की भूल ना करें और सजग होकर नई योजना के ऊपर कार्य आरम्भ कर दें तथा नई-नई जानकारी ग्रहण करके , सकारात्मक सुधार खुद में ,कार्य करने की योजना तथा विधि में प्राप्त करें ; इससे आपके लक्ष्य और आसानी से प्राप्त होंगे। 

    अगर आपको कार्य में कोई असफलता मिले तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं पर ईमानदारी से स्वीकार करें और असफलताओं के कारणों को जानकर उनको जितना जल्दी हो कठिन प्रयास करके सफलता में बदल डालें। 

    इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और हमारी कार्य की सफलता के प्रति जिम्मेदारी की भावना प्रवल होती हैं ; आत्मग्लानि तथा नकारात्मक भावनाएँ ख़त्म हो जाती हैं। हम आगे की योजना पर ख़ुशी-ख़ुशी विचार करने योग्य हो जाते हैं। 

5. अपने भविष्य का निर्माण करें :

    हमें स्वयं के भविष्य के लक्ष्य पता होने चाहिए और उनके प्रत्ति जागरूक होना चाहिए। 

हम वर्तमान में जो भी लक्ष्य बना कर कार्य कर रहे हैं उनके सफल परिणाम ही हमारे भविष्य का निर्माण करेंगे। 

हमें पता होना चाहिए कि वर्तमान में हम क्या कर रहे हैं ,इनके दूरगामी परिणाम क्या होंगे ?

अपनी कमियों ,कमजोरियों को पहचानें तथा उन्हें दूर कर लक्ष्य की दिशा में निरंतर बढ़ते रहें। 

6. अपने जीवन मूल्यों को स्पष्ट करें :

हम कौन हैं ? , 

हमारे जीवन के लक्ष्य क्या हैं ? ,

 हमारे स्वयं के प्रति और कार्यों को लेकर यक़ीन क्या हैं ? , 

स्वयं के सिद्धाँत क्या हैं ? तथा 

हमें हमारे जीवन और कार्यों की कीमत पता होनी चाहिए। 

अपने मुख्या उद्देश्य तय करे तथा उन पर दृढ़ता से विश्वास के साथ कार्य करे। 

समय-सीमा का ध्यान रखें और योजना अनुसार उद्देश्यों को पूर्ण करने का दृढ-संकल्प लें। जब तक एक उद्देश्य पूर्ण ना हो जाये दूसरे पर ना जाएँ। 
इससे हमारी इच्छा-शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हमारी एकाग्रत्ता बढ़ेगी। 

सही समय पर उद्देश्य पूर्ण करने से हमारी अच्छी आदते भी विकसित होंगीं। 
    

7. प्रति-दिन लक्ष्य की समीक्षा करें :

( 1 )
प्रति-दिन रात को सोने से पहले अगले दिन की TO-DO-LIST बनायें। 
लिस्ट लें संक्षेप में कार्य योजना और उन्हें हासिल करने की सभी सहायक सामग्री इंगित करें। 

TO-DO-LIST में सभी कार्य प्राथमिकता के अनुसार और समय-सीम के साथ चिन्हित होने चाहिए। 

TO-DO-LIST में लक्ष्य वे ही लिखें जो दिन की समय-सीमा में पूर्ण करना संभव हो। लक्ष्य हक़ीक़त पर आधारित होने चाहिए।
 
( 2 )
योजना और लक्ष्य की समीक्षा के लिए SCORE CARD ( PROGRESS ) तैयार करें और उसमें प्रगत्ति को अंकों में लिखें। 

( 3 ) 
अंत में ईमानदार समीक्षा लिखें कि हमने क्या हासिल किया और क्या हासिल नहीं कर पाए। इससे हमारा दिमाग कार्य के प्रति अनुशासित होने की आदत विकसित करेगा।
 
    समीक्षा से प्राप्त उन कमियों पर सीख कर या कठिन प्रयास द्वारा सुधर करें। कभी भी किसी छोटी से छोटी असफलता को हल्का न लें और जितना जल्दी संभव हो स्वयं की कमजोरिओं और दिक्कतों को दूर करो ;इससे आपका कौशल और कार्य-अनुभव बढ़ेगा जो आगे की योजना की सफलता में सहायक सिद्ध होगा। 

    रात को अगले दिन की योजना पर विचार करने से हमारा अवचेतन-मन सोने के बाद भी योजना पर कार्य करता रहेगा ,जिसके सुखद परिणाम हमें दूसरे दिन स्वतः ही प्राप्त होंगे और हम स्वयं को अनुशासित , आत्मविश्वास से भरपूर पाएंगे। 

8. आदतें भविष्य का निर्माण करती हैं :

1. उद्देश्य के साथ जीना सीखें। 

    समय से पूर्व पाने की जल्दबाजी हमें हास्य का पात्र या कर्ज़ में फंसा सकती है ; अगर हम दिखावे की लत लगा लेंगे। 

नकारात्मक आदतों के नतीजे गलत ही होंगे। अतःसकारात्मक आदत डालें तभी हम सफल बन सकते हैं। 

2. डर से आगे बढ़ें ; साहस और संकल्प के साथ आगे बढ़ें। 

खुद पर भरोसा रखें , अनुशासन और उत्साह के साथ एकाग्रचित्त होकर कार्य करें। 

3. कोई भी तरक्की आकस्मात नहीं होती है; यह निर्भर करती है कि आप सही समय पर क्या चुनते हैं। 
तुरंत निर्णय लेने से ही सफलता मिल सकती है। 

4. अगर हम संकल्प के साथ निरंतर अच्छे व्यवहारों को दोहराते रहेंगे तो ये ही स्थाई रूप से हमारी आदतें बन जाएँगी।

अभ्यास द्वारा हम आदतें बदल सकते हैं। इसके लिए हमें निरंतर प्रयास करने होंगे। 

9. लक्ष्य निर्धारण :

    लक्ष्य निर्धारण करना उद्यमी का प्रथम कार्य होता है। इससे ही हमारी कार्य करने की दिशा तय होती है। 

लक्ष्य निर्धारण से निम्न लाभ होते हैं :-

1. निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है। 

2. लक्ष्य निर्धारण से कार्य करने की दिशा तय होती है तथा हमारे विचार स्पष्ट होते हैं। 

3. जीवन में लक्ष्य निश्चित होने से मन में आत्म-विश्वास के भाव जाग्रत्त होते हैं। 

4. हमारे लक्ष्य निश्चित होने से हमारे विचार एक दिशा में कार्य करने लग जाते हैं , जिससे हमारा मन एकाग्रः होता है। 
हमें चिंता , भय , भ्रम की स्थिति से छुटकारा मिलता है। 
    

लक्ष्य की सफलता :

    लक्ष्य हकीकत पर आधारित होने चाहिए ,तभी हम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। 
समय और क्षमता का ध्यान रखकर ही लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। 

    लक्ष्य स्पष्ट और लिखित में होने चाहिए तथा समय को कार्यों में योजना के अनुरूप बाँट देना चाहिए ;तभी हम लक्ष्य पर अनुशासित हो सकते हैं और हमारा ध्यान भटकने से बच सकता है। 

    लक्ष्य तभी सफल होंगे जब हम धैर्य के साथ ,निडरता से लक्ष्य की योजना पर चलने के लिए मन से प्रतिबद्ध होंगे। 

    हमें कार्य के बीच में आई बाधाओं को सकारात्मक भाव से स्वीकार करके इन पर लगातार प्रयास द्वारा समस्याओं के हल खोजने होंगे ,तभी हम आगे के लक्ष्यों में सफल होंगे। 

    सफलता सही समय पर ही मिलेगी अतः चिंतित ना हों। 

    हमें बुरे दिनों को सहन करना आना चाहिए और असफलताओं से घबराकर लक्ष्य कभी नहीं बदलने चाहिए। अगर हम सकारात्मक सोच के साथ असफलताओं के कारणों को दूर करने के प्रयास करेंगे तो समाधान अवश्य मिलेंगे। 
सफलता के लिए धैर्य के साथ सही समय का इंतज़ार तो करना ही होगा। 

    अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर अडिग रहें। नए-नए मनलुभावन प्रस्तावों पर ध्यान ना दें ,तभी आप लक्ष्य की सफलता का वास्तविक आनन्द ले पाएँगे। नहीं तो आप ना तो यहॉं के रहोगे और ना ही नई जगह के। लक्ष्य से भटकने पर आप पुनः शुरूआत में आकर खड़े हो सकते हैं ;अतः लक्ष्य पर ही कार्य करें और समय-समय पर समीक्षा और नए-नए प्रयास करके लक्ष्य की सफलता की गति बढ़ाते जाएं। 

हमें कार्य और लक्ष्य के प्रति ईमानदार और समर्पित रहना होगा। 

 

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