Sunday, October 30, 2022

आकर्षण का नियम l आकर्षण के सिद्धान्त l ब्रह्माण्ड के रहस्य l Affirmation l Visualization l Law Of Attraction

 

आकर्षण का नियम (आकर्षण के सिद्धान्त) 
ब्रह्माण्ड की आकर्षण की शक्ति 

    हमारे विचारों से हम हमारा भविष्य, जीवन, अपनी दुनिया का निर्माण करते हैं। हमारी जैसी भावनाएँ, विचार होंगे; हमारी प्रवृत्ति, प्रकृत्ति, सोचने-समझने की क्षमता भी उसी अनुसार विकसित होंगी और ब्रह्माण्ड से उसी प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे।

            अतः अगर आप जीवन में शांति के साथ-साथ तरक्की, समृद्धि चाहते हैं; तो सकारात्मक सोचना, समझना, सकारात्मक बातों पर ही विश्वास करना नितान्त आवश्यक है।

            “आप अपने जीवन में सकारात्मक (Positive) या नकारात्मक (Negative) चीजों को अपने विचारों और कर्मों से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हो (या दूसरे शब्दों में प्राप्त कर सकते हैं।) ।"

यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि ब्रह्माण्ड की सब चीजें, यहाँ तक कि हम स्वयँ भी ऊर्जा से निर्मित हैं। अतः हम ऊर्जा को ब्रह्माण्ड में भेज भी सकते हैं; ओर ऊर्जा को ब्रह्माण्ड से प्राप्त भी कर सकते हैं।

अतः जिस प्रकार की ऊर्जा आप बाहर छोड़ेंगे वैसी ही ऊर्जा शक्तिशाली रूप में हमारे पास वापस लौटेगी।

इसमें ऊर्जा का कम्पन का नियम कार्य करता है; जिसके अनुसार आप इच्छाओं को कल्पना शक्ति से भावनाओं के साथ महसूस करके अपने लक्ष्य को ब्रह्माण्ड से आकर्षित कर सकते हैं।

            हमारे विचारों में काफ़ी शक्ति होती है। हमारे विचार हमारे आस-पास के वातावरण ओर ब्रह्माण्ड में फ़ैल जाते हैं ओर विचारों की जो आवृत्ति (Frequency) होती है, वे उसी आवृत्ति की ऊर्जा से सम्बन्ध (Connection) बना सकती है।

            हमारे दिमाग़ में विचार भेजने ओर ग्रहण करने की दोनों क्षमता होती है। हम जिस भावना या आवृत्ति के विचारों की ऊर्जा ब्रह्माण्ड को छोड़ते हैं; उसी भाव या आवृत्ति की ऊर्जा शक्तिशाली रूप में ब्रह्माण्ड से आकर्षित करते हैं। इसके कारण ब्रह्माण्ड हमारे लिए उसी प्रकार की परिस्थिति निर्मित करने लग जाता है; ताकि हम मनचाही चीज़ पा सकें या कामना पूरी कर सकें। हमारी भावनाओं की ऊर्जा तरंगें (Waves) उन लोगों, शक्तियों तक पहुँचती है; जो कि हमें लाभ पहुँचा सकते हैं।

            इस प्रक्रिया के अंतर्गत "आकर्षण के सिद्धान्त " के साथ-साथ " कर्म का सिद्धान्त " भी कार्य करता है। कई बार हम जाने-अनजाने वही सोचने या करने लगते हैं; जो हमारे कर्म के अनुसार हमें भोगना है। लेकिन अगर हम सजग हैं तो हम शक्तिशाली विचारों के निश्चयपूर्वक कथन (Affirmation) द्वारा कर्म-फल के लाभकारी होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

            कुदरत के नियम हम सब पर, सम्पूर्ण विश्व में सभी जगह समान रूप से कार्य करते हैं। अगर इन नियमों पर विश्वास करके प्रयोग में लाएँगे तो जरूर हमें लाभ प्राप्त होगा।

हम दिमाग़ में जो भी सोचते या देखते हैं; वही हमारे वास्तविक जीवन में घटित होता है। हमारे विचार ही हमारी वास्तविकता (Reality) ओर शक्ति है; जिसके ऊपर पूरा जीवन, प्रगत्ति, रिश्ते-नाते, स्वास्थ्य आदि निर्भर करते हैं।

"हम जैसा सोचते है; वैसा ही बन जाते हैं।":- 

    हमारे जो भी विचार प्रबल (शक्तिशाली) होंगे; उन्हीं अनुरूप हमें परिणाम प्राप्त होंगे। अगर अमीरी, अच्छे स्वास्थ्य, तरक्की के विचार प्रबल होंगे; तो हम अमीर, स्वस्थ्य, सफ़ल जरूर बनेंगे। इनके विपरीत विचारों से हमें गरीबी, बीमारी, असफ़लता ही मिलेगी।

            अपने सकारात्मक या नकारात्मक विचारों से हम अपनी ओर ब्रह्माण्ड में उपलब्ध सकारात्मक या नकारात्मक चीजों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। यही आकर्षण का नियम है।

            इसके अनुसार ब्रह्माण्ड की सभी चीजें ऊर्जा से निर्मित होती हैं; हर वस्तु छोटे-छोटे अणुओं (Atom) से निर्मित होती है, अलग-अलग ऊर्जाओं के माध्यम से बनी है और अणु कम्पन (Vibrate) करते रहते है। हमारा शरीर भी कई सूक्षम कणों (अणुओं) (Atom) से मिलकर बना है; और ये अलग-अलग आबृत्ति पर कम्पन करते रहते हैं। हमारा दिमाग़ इन सभी कणों को ऊर्जा प्रदान करता है।

ब्रह्माण्ड की हर चीज एक दूसरे से ऊर्जा के माध्यम से ही जुड़ी हैं।

            अतः हम जिस प्रकार की ऊर्जा छोड़ते हैं; वही ऊर्जा शक्तिशाली होकर वापिस हमारे पास लोटती है। आज हम जो कुछ भी हैं वह हमारी सोच का ही परिणाम है।

"जब भी हम कोई विचार सोचते हैं; तो हम एक ऊर्जा का कम्पन (Vibration) ब्रह्माण्ड में छोड़ते हैं और यह ऊर्जा का कम्पन; विचारों की ऊर्जा की आवृत्ति (Frequency) के अनुरूप अन्य वस्तुओं को हमारी ओर आकर्षित करती है।

इस प्रकार अगर हम सकारात्मक ऊर्जा ब्रह्माण्ड को भेजते हैं तो प्रतिक्रिया स्वरुप सकारात्मक ऊर्जा ही प्राप्त करेंगे; जिसका हमें सकारात्मक लाभ होगा। इसके विपरीत अगर हम नकारात्मक विचार भेजेंगे तो ब्रह्माण्ड से परिणाम भी नकारात्मक ही प्राप्त होंगे।

                जैसे रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फ़ोन, विडिओ आदि एक निश्चित आवृति पर पर ही निश्चित चीज या चैनल से जुड़कर हमें उस चैनल की ख़बरें, घटनाएँ, चित्र, विडिओ आदि दिखा या सुना पाता है। यहाँ हम जिस आवृत्ति की तरंग (Wave) चैनल के माध्यम से छोड़ेंगे; उसी आवृत्ति की तरंगों से रेडिओ, टेलीविजन जुड़कर हमें कार्यक्रम दिखाएगा। यही प्रक्रिया हमारे विचारों पर भी लागू होती है।

अतः जब हम एक निश्चित उच्च-आवृत्ति की ऊर्जा तरंगें ब्रह्माण्ड में छोड़ेंगे; तो यह ब्रह्माण्ड में आवृत्ति के अनुरूप अन्य ऊर्जाओं से जुड़ पाएगी। अगर हमारी इच्छा शक्ति, सोच तीब्र (प्रबल) है; तो हम उस विचार को हकीकत में प्रकट कर लेंगे।

            "अगर हम इसे कर्म के अनुसार समझें तो इसके अनुसार कोई व्यक्ति जैसे कर्म करेगा ओर व्यक्ति की जैसी भावना होगी; उसे वैसे ही परिणाम (फल) प्राप्त होंगे। “


विशेष बातें :- 
आभारी होने की ख़ुशी महसूस करो,
 सफ़लता महसूस करो। 

1.  ब्रह्माण्ड हमारी अलग-अलग भाषाओँ को नहीं जानता है

    अतः हम जो भी विचार या भावनाएँ ब्रह्माण्ड को भेज रहे हैं; वे शब्दों की बजाय दिमाग़ की ऊर्जा तरंगों (Mind Waves) के रूप में हैं। दिमाग़ ऊर्जा को आवृत्ति के रूप में छोड़ता है; जो ब्रह्माण्ड की आवृत्ति को आकर्षित करती हैं।

2. कर्म के प्रति दृढ-संकल्पित बनें, सफलता के प्रयास करें; तभी ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ उपकार करेंगी :

     आकर्षण का नियम तभी परिणाम देता है; जब हम इच्छा के अनुरूप मेहनत कर रहे होंगे और हमारी भावनाएँ आगे बढ़ने, सफल बनने की होंगी।

अगर हम कर्म के प्रति दृढ-संकल्पित होंगे और सफलता के प्रयास कर रहे होंगे; तभी हमारे अवचेतन मन तक चेतन मन विश्वास के साथ हमारी भावनाएँ भेज सकता है। इसके बाद ही अवचेतन मन हमारी भावनाओं के अनुरूप उच्च-आवृत्ति की ऊर्जा तरंगें ब्रह्माण्ड को भेज सकता है।

3. आकर्षण का नियम हमारे लिए तभी प्रभावी होगा :

    आकर्षण का नियम हमारे लिए तभी प्रभावी होगा; जब हम ब्रह्माण्ड की शक्तियों पर, स्वयं की क्षमताओं पर विश्वास करेंगे, हम हर अच्छी चीजों और सफलताओं पर आभारी होने की आदत का पालन करेंगे।

    जब भी कुछ सफलता प्राप्त करें; तब हमें हृदय से शुद्ध विचारों के साथ इस ब्रह्माण्ड, हर सहायक व्यक्तियों और चीजों का आभार जरूर प्रकट करना चाहिए; तभी हमारी भावनाओं की आवृत्ति उच्च सीमा तक जा सकती है।

    जितना हम सकारात्मक विचार और सकारात्मकसोच को रखेंगे; हम उतना ही अधिक इस ब्रह्माण्ड के साथ अटूट सम्बन्ध बना लेंगे; जिसके कारण एक समय बाद कार्य सीधे बिना किसी रूकाबट के शीघ्र होने लग जाएँगी। इसे ही तो चमत्कार कहते है।

यह हमारी श्रद्धा और विश्वासों का ही परिणाम होते हैं।

4. हम अपनी सोच को बदल कर अपने स्वाभाव, स्वरुप, छवि, चेतना-शक्ति को बदल सकते हैं :

    यह सब हमारे विचारों, सोचने-समझने के तरीकों, हमारी मानसिक मान्यताओं पर निर्भर करता हैं। हम सोच को बदल कर हमारे शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक सभी तरह के स्वरुप (Image) को बदल कर जीवन में सकारात्मक बदलाब ला सकते हैं।

    हम सोच बदल कर जैसा चाहें बैसा बन सकते हैं। हम स्वयं में या सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जैसा महसूस करेंगे, जैसी भावनाएँ रखेंगे स्वतः ही हम उसी अनुरूप हमारे जीवन को परिवर्तित करते जायेंगे।

अगर हम सकारात्मक बातें, सफलताओं की कामना, अच्छी चीजों और विकास के बारे में सोचेंगे और मेहनत पर विश्वास करेंगे, उसी अनुरूप महसूस करेंगे तो जरूर हम सफल, स्वस्थ, तनाव रहित प्रगत्ति करेंगे। इसके विपरीत; अगर हर बातें नकारात्मक होने की संभावनाओं के साथ सोचेंगे, डर या हार के बारे में महसूस करेंगे तो जाने-अनजाने हमें असफ़लता, डर, तनाव आने की सम्भावनाएँ बढ़ जाएँगी।

    हमारी भावनाएँ हमारे भीतर ही उत्पन्न होती हैं, हमारी सोच और मानसिकता पर निर्भर करती हैं। अतः हमें ध्यान विधि (Meditation) द्वारा मन को नियन्त्रण में करने के प्रयास करने होंगे; तभी हम अच्छा महसूस करते हुए तनाव रहित होकर सकारात्मक सोच बना सकते हैं। जब तक मन की चंचलता दूर नहीं होगी हम हमारे लक्ष्य पर स्थिर रह ही नहीं पाएँगे।

5. हमें मेहनत और कर्म पर विश्वास करते हुए ब्रह्माण्ड से कुछ भी माँगना नहीं चाहिए :

मेहनत के साथ ब्रह्माण्ड की शक्तियों के लिए कृतज्ञ बनो 

    यह विश्वास करना चाहिए कि अगर हम प्रकृत्ति, ब्रह्माण्ड की सभी चीजों और शक्तियों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा के भाव के साथ सकारात्मक कार्य कर रहे हैं तो स्वतः ही ब्रमाण्ड की सकारात्मक उर्जाएँ हमारे लिए अनुकूल वातावरण बनाकर हमारी सफलता, तरक्की, स्वस्थ्य आदि में सहायक होंगी। अगर हम किसी चीज़ को ब्रह्माण्ड से माँगते हैं; तो हम यही सिद्ध करते हैं कि हमारे जीवन में इन वस्तुओं या सफलताओं का आभाव है; तब हमें सफलताओं की बजाय आभाव, असफलताएँ ही कई गुना बढ़कर ब्रह्माण्ड से प्राप्त होंगी। इसके विपरीत अगर हम कृतज्ञता के साथ किसी इच्छा या चीज़ को कल्पना में दिल से साकार होते हुए महसूस करते हैं; तो वह इच्छा या विशेष चीज़ बढ़कर हमें जरूर प्राप्त होंगी।

    अतः आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं; उस पर ध्यान केंद्रित (Focus) करें ना कि उस पर जो आपके पास नहीं है। अगर अमीर बनना है तो धन की कमी, गरीबी पर ध्यान देना बन्द करें; जो भी सुबिधा या सहायता और धन पास है उस पर कृतज्ञता के साथ पैसे से पैसा बनाने के प्रयास करें और इन्ही को कैसे बढ़ाना है इन्हीं पर ध्यान लगाएँ और लक्ष्यों पर नियमित विचार करें; इस प्रकार हमारी अमीर बनने की तीब्र इच्छाएँ अवचेतन मन के द्वारा ब्रह्माण्ड में जाएँगी और प्रतिक्रिया स्वरुप ब्रह्माण्ड हमारे लिए ऐसे-ऐसे लाभकारी मार्ग और सहयोग के रास्ते खोल देगा जिसके बाद हमें गरीबी से छुटकारा मिलेगा, साथ ही साथ हम इतने काबिल भी बन सकते हैं कि; हम सेवा-भाव से गरीबों, जरूरतबंदों की भी सहायता दिल से करने योग्य हो जाएँगे।

    हमें मात्र हमारे कार्यों और स्वयं के कौशल पर विश्वास के साथ कार्यों की सफलता को स्वयं की भावनाओं में महसूस करना हैं, हमारी इच्छाओं, अच्छे परिणामों के लाभों को सच में सफल होते और उसे प्रयोग करते हुए भावनाओं के साथ कल्पनाओं में महसूस करना है। हमें चीजों को अपने पास महसूस करना है और कल्पना में उसके लाभों पर खुश होना है। इससे हमें आत्मिक-शान्ति और आत्म-विश्वास की प्राप्ति के साथ हमारी सफ़ल भावनाओं की तीब्र ऊर्जा तरंगें हमारे अबचेतन-मन के द्वारा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जाएँगी। इस प्रकार हमारी इच्छा या चीज एक सही समय सीमा के बाद साकार जरूर होंगी।

अगर हम दृढ-निश्चय के साथ प्रयास भी जारी रखेंगे तो हम कम समय में भी सफलता हाँसिल कर सकते हैं। सब कुछ आप पर, आपके विश्वासों और मान्यताओं पर ही निर्भर करता है।

6. आपके भीतर की शक्ति बाहरी दुनिया की शक्ति से अधिक शक्तिशाली है :

    हमारे शब्दों, दिल से निकली भावनाओं में बहुत ताकत होती है। अगर हम सकारात्मक भावनाओं के साथ एक ही बात या इच्छा की पुनरावृत्ति करेंगे (इसे ही AFFIRMATION कहते हैं।); तो हम स्वयं को, पूरी दुनिया को भी बदल सकते हैं।

हमारी शक्ति हमारे विचारों में होती है, अतः जाग्रत रहें तथा विचारों के प्रति सचेत रहें।

    अगर हमें सफ़लता के लक्ष्यों को पाना है तो विचारों को लक्ष्य के साथ संयुक्त (Align) करना होगा; तभी सही आवृत्ति (Frequency) की ऊर्जा ब्रह्माण्ड में जाकर बदले में शक्तिशाली परिणाम आकर्षित कर सकती है।

7. कुछ पाने के लिए देना सीखो :

    जितना आप मानवतावादी, करुणा के भाव स्वयँ में विकसित कर लोगे; उतना ही ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ आप पर कृपा बरसाने लगेंगी। इन गुणों के कारण आपकी इज्ज़त समाज तथा इससे भी आगे पूरे मानव जगत में भी बढ़ जाएगी।

    ब्रमाण्ड और प्रकृत्ति देने में विश्वास करती करती है; अतः जितना आप निःश्वार्थ भाव, सकारात्मक भावना और बिना किसी लोभ और लाभ की अपेक्षा के दान-पुण्य करोगे उतनी ही ईश्वरीय कृपा आपको बढ़ती जाएगी।

देने से ही हम लेने योग्य बन सकते हैं।

कोई जरूरी नहीं हम धन का ही दान करें; जिस भी दान या सेवा के योग्य हैं उनका दान या सेवा करें।

    दया, दुखियों या जरूरतमंदों की सेवा, धन का दान, ज्ञान का दान, किसी को कार्य में सहयोग देना, सहानुभूति रखना, किसी की रक्षा करना, धार्मिक कार्यों में मन लगाकर सेवा करना, दीन-दुखियों की सेवा के साथ उनके अच्छे कार्यों की प्रसंशा करना आदि-आदि कार्य करके हम ब्रह्माण्ड से काफ़ी कुछ हमारे जीवन में पा सकते हैं।

    जब भी कोई दीन-दुखी या मानव-समुदाय दिल से हमारे लिए शुभकामनायें और दुआएँ देता है; उससे बड़ी ईश्वरीय कृपा कोई और दूसरी हो ही नहीं सकती है। ये दुआएँ ही फलीभूत होकर हमारे सभी प्रकार के दुखों, दरिद्रता को समाप्त कर हमारे जीवन में सच्ची ख़ुशी और खुशहाली ला सकती हैं। इन दुआओं में ब्रह्माण्ड की बड़ी कृपा छुपी होती हैं; जो हमारा जीवन नकारात्मक से सकारात्मक और समृद्धशाली बना देती हैं।

    अतः दान-पुण्य जितना और जिस भी रूप में कर सकें; हमें अवश्य ही करना चाहिए।

8. आकर्षण की शक्ति तभी प्रभावी परिणाम देगी; जब हम लक्ष्य के साथ प्रयास भी करेंगे:

    जब तक हम किसी भावना, विचारों पर स्वयँ ही आत्म-विश्वास में नहीं होंगे; तो हमारा अवचेतन-मन भी उसे मानने से इनकार ही करेगा। अतः आप जो कुछ भी इच्छाएँ इस ब्रह्माण्ड की शक्ति से प्राप्त करना चाहते हो; के लिए सकारात्मक-मानसिकता (Positive Mindset) के साथ दृढ़-निश्चय से इच्छा के अनुरूप कर्म भी मेहनत के साथ करने होंगे; तभी आपके अवचेतन-मन को इसके पाने का विश्वास जाग्रत होगा तथा तभी आप उच्च-आवृत्ति (High-Frequency) की भावना की ऊर्जा ब्रह्माण्ड में छोड़ पाएँगे और तभी ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियाँ सँयुक्त रूप से आपको आपकी इच्छा से भी कई गुणा अधिक शक्ति लोटा कर दे सकता है।

    अतः जो भी पाना चाहते हो; उसके लिए (लक्ष्यों के लिए) कर्म करें तथा बीच-बीच में जो भी रूकाबटें, असफलताएँ आएँ उनका धैर्य के साथ सामना करें; तभी हम जीवन में सफ़ल हो सकते हैं।

9. सकारात्मक सोचें तथा कभी भी नकारात्मक शब्दों का प्रयोग ना करें:

    ब्रह्माण्ड हमारी भावनाओं की बजाय हमारे उच्च-आवृत्ति (High Frequency) वाले शब्दों पर कार्य करता है; अतः कभी भी नकारात्मक या डर की भावना वाले शब्दों का प्रयोग जाने-अनजाने भी ना करें।

    ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के सिद्धान्त के अनुसार हमारे चारों ओर ऊर्जा है, सभी चीजें छोटे-छोटे अणुओं से बनी हैं और कम्पन के साथ-साथ ऊर्जा को संचालित करते रहते हैं।

    ऊर्जा के सिद्धान्त के अनुसार "ऊर्जा को कभी भी नष्ट नहीं किया जा सकता है; सिर्फ़ इस ऊर्जा को रूपान्तरित किया जा सकता है।"

    इसी प्रकार हमारा मानव शरीर भी कई सूक्षम कणों (अणुओं) से मिलकर बना है, ये कण अलग-अलग आवृत्ति (Frequency) पर कम्पन करते रहते हैं। हमारा दिमाग़ इन सभी कणों को ऊर्जा प्रदान करता है।

    अतः अगर हम नकारात्मक सोचेंगे तो नकारात्मक ऊर्जा की आवृत्ति का अर्थ दिमाग़ को प्राप्त होगा और हमारा शरीर अवचेतन-मन द्वारा ब्रह्माण्ड में नकारात्मक सन्देश भेजेगा। इसके परिणामस्वरूप ब्रमाण्ड से भी नकारात्मक बातें, चीजें, ऊर्जा ही हमें आकर्षित होकर प्राप्त होंगी। इनके परिणाम स्वरुप हमारे जीवन में दुःख, कष्ट, हताशा, असफलताएँ ही बढ़ेंगी।

    अतः हमेशा सकारात्मक सोचें और अगर किसी भी कारण से गलत विचार आएँ; तो सकारात्मक मानसिकता के साथ सकारात्मक सोच वाले विचारों, समाधानों वाले विचारों और इन पर प्रयास करने के विचारों में बदल लें।

इस प्रकार से प्रयास करने पर ही हम सकारात्मक ऊर्जा ब्रह्माण्ड और स्वयं के अवचेतन-मन को भेजने में सफ़ल हो सकते हैं; जिनके ब्रह्माण्डीय परिणाम भी हमारे जीवन में तरक्की, खुशहाली, समृद्धता, सफलता ही होंगे।  

कुछ उदाहरण निम्न हैं; जिनको हमेशा सकारात्मक होकर सजगता से प्रयोग करें :-

1. “सभी लोग गलत हैं l”  ,  “ मेरे साथ ही बुरा होता है।“

    इसमें  पहले वाक्य में " गलत लोगकी आवृत्ति ब्रह्माण्ड को प्राप्त होगी और उसे लगेगा कि हमें गलत और बुरे लोगों से प्यार है और वह हमारे जीवन में बुरे लोग, पापी, गलत सोच वाले लोगों को ही देगा।

    जबकि दूसरे वाक्य में "बुरा” शब्द ब्रह्माण्ड को प्राप्त होगा और परिणाम स्वरुप हमें हर कार्य में बुरे परिणाम और असफ़लता ही प्राप्त होंगी।

 हमें निम्न प्रकार शब्दों का प्रयोग करना चाहिए -

1.  " मैं प्रयास तो कर रहा हूँ; लेकिन अच्छी नौकरी मिलना मुश्किल है।"  की जगह  " मैं अच्छे प्रयास कर रहा हूँ; अतः मुझे अच्छी नौकरी जरूर मिलेगी।" का प्रयोग करें।

2. " मुझे गणित सही से समझ में ही नहीं आती है।"  की जगह  “मैं गणित में बार-बार प्रयास कर रहा हूँ; अतः मुझे गणित में महारत हांसिल होकर ही रहेगी।“ का प्रयोग करें।

3.  " में असफ़ल नहीं होना चाहता।"  की जगह  "मैं सफ़ल जरूर होऊँगा। " का प्रयोग करें।

 

10. जो भी अच्छाई पास है; उनका आभार प्रकट करें :

    ब्रह्माण्ड से जुड़ने का सबसे शक्तिशाली माध्यम ही आभार प्रकट करना है। इससे जीवन और बाहरी दुनिया भी अच्छी लगने लगती है। हमें सभी से आत्मिक-जुड़ाव की अनुभूति होती है।

इससे आत्म-विश्वास, उत्साह में वृध्दि होती है; जो हमारी सफलता के प्रयास को सुगम बना देता है और हम स्वयँ को चिंता-मुक्त और तनाब रहित होकर मेहनत करने को प्रेरित हो जाते हैं।

इनके कारण हमारे अन्दर सकारात्मक भाव के साथ निडरता से जोख़िम लेने का साहस उत्पन होता है।

** अधिक लाभ के लिए इसे जरूर पढ़ें :- धन्यवाद/ आभार 

11. ध्यान लगाएँ (MEDITATION) :

    ध्यान लगाने से मन की चंचलता दूर होकर मन सही लक्ष्यों पर एकाग्र हो सकता है। इससे तनाब, चिंताओं को कम किया जा सकता है। हमारे तन-मन दोनों को शान्ति, आराम की प्राप्ति होगी।

** अधिक लाभ के लिए इसे जरूर पढ़ें :- ध्यान 

12. शक्तियों पर विश्वास के साथ-साथ धैर्य बनायें रखे (हर सिद्धि निश्चित समय पर ही मिलती है।) :                                                                   

    हमें आकर्षण के नियम पर और ध्यान के लाभों पर विश्वास करना होगा; तभी हमारे सकारात्मक प्रयास सफ़ल हो सकते हैं।

    हमें इस नकारात्मकता को दिमाग़ से निकालना होगा कि इन विधियों के लिए अधिक समय चाहिए या अभी हमारी सोच काम नहीं कर रही है; बल्कि यही आत्म-विश्वास के साथ विचार दृढ़ करें कि इनका लाभ मिल रहा है (चाहे शुरू-शुरू में आपको महसूस न हो; लेकिन इनका प्रभाव हमारे व्यक्तित्व और भावनाओ पर जरूर पड़ने लगता है; जिनको इतना जल्दी हम महसूस नहीं कर सकते।) ।

इस प्रकार की सकारात्मक सोच ही आपको प्रयास करने का आत्म-बल देगी और सही समय पर चमत्कारी लाभ मिलना शुरू हो जाएँगे।

    धैर्य के साथ दैनिक अभ्यास जारी रखें। इसके अभ्यास के सफ़ल होने और आपके मन, दिमाग़ को स्थिर और विश्वास में लेने में समय तो लगेगा ही। अतः धीरज रखें तथा साथ ही स्वयं पर और ब्रह्माण्ड की आकर्षण शक्तियों पर पूर्ण विश्वास रखें।

नियमित ध्यान विधि द्वारा अभ्यास जारी रखें। अगर हम दृढ़-विश्वास के साथ अच्छा होने की आत्मिक-भावना रखेंगे और कोई नकारात्मक नहीं सोचेंगे तो सब कुछ साकार जरूर होगा।

जितना परिणामों को पाने की अधीरता होगी; उतना ही हम सफलता खोते जाएँगे अतः परिणामों की चिंता ना करें और प्रयास करते रहें, सफ़ल जरूर होगे।

    लगातार विश्वास और धैर्य के साथ अभ्यास करने पर हमारा अवचेतन-मन भी इन बातों में हमारा सहयोग देने लग जाता है; और हमें चमत्कारी लाभों की प्राप्ति होती है।

यह इसी प्रकार होता है जैसे हम अपने दैनिक जीवन में कई कार्य सीखे हैं ; जैसे जब कोई बच्चा साइकिल चलाना सीखता है तो वह शुरू-शुरू में कई बार असफ़ल होता है और कई-कई बार चोटें भी खता है; लेकिन बड़े लोगों के प्रोत्साहन की वजह से बच्चा हिम्मत नहीं हारता है और निरन्तर प्रयास ख़ुशी-ख़ुशी करता रहता है, एक दिन साइकिल चलाने में महारत हांसिल कर लेता है।

जब तक बच्चा अभ्यास कर रहा था उसने एक बार भी यह नकारात्मक भाव नहीं सोचा कि साइकिल सीखना असंभव है और न ही उसने धैर्य खोया; तभी बच्चा सफ़ल हुआ !

    यही नियम हमें भी अपनाना होगा तभी हम आकर्षण के नियम के लाभों को पा सकते हैं। जैसे-जैसे प्रारम्भिक सफलताएँ मिलती जाती हैं; हमारा अवचेतन-मन भी विश्वास करने लगता है और एक समय बाद सभी कार्यों में अवचेतन मन हमें स्व-सहयोग करने लग जाता है। तब हमें कुछ भी नहीं करना होता है, स्वतः ही अवचेतन-मन सारे कार्य करता जाता है; इसी अवस्था को सिद्धि कहते हैं। ऐसी स्थिति में हम अन्य कार्य करते हुए भी स्व-भावनाओं  पर नियन्त्रण अवचेतन-मन द्वारा होने के कारण हमारे कार्य सफ़ल होते रहते हैं।

    हमें जो भी करना है; वह शुरुआत में करना होता है। एक बार सिद्धि मिलने पर स्वतः ही अवचेतन-मन और ब्रमांड की शक्तियाँ मिलकर हमें सफलता की ओर प्रेरित करती रहती हैं।

इनके बाद दौलत, सुख-सम्पदा, समृद्धि, मान-सम्मान, अच्छा-जीवन, ख़ुशी, शान्ति, अच्छा-स्वास्थ्य, जीवन की सच्ची ख़ुशी   और सब कुछ स्वतः ही हमारी भावनाओं ओर सकारात्मक विचारों के बल पर सम्भब हो जाते हैं। हम मन की सिद्धियों के द्वारा दीन-दुखियों की भी मदद करने योग्य हो जाते हैं।

    जीवन में आत्मिक विकास तभी आएगा जब हम ब्रह्माण्ड के इस आकर्षण नियम को प्रयोग करने की स्व-प्रेरित आदत रूप में ढाल लेंगे। यह इतना सुगम भी नहीं है; इसके लिए हमें कम से कम 21, 30 या 90 दिनों तक (समय आपकी क्षमता, विश्वास, कितना समय रोज़ दे रहे हैं; पर निर्भर करेगा) नियमित रूप से नियत समय पर सच्चे मन और विश्वास के भावों के साथ अभ्यास करने होंगे। इसके बाद आपके अवचेतन मन में यह प्रक्रिया स्व-संचालित होना शुरू हो जाएगी और आपको मनो-वांछित परिणाम स्वतः ही प्राप्त होते चले जाएँगे।

    अनुशासित रहें, अनुशासन के साथ नियमित अभ्यास करें; आपकी सभी मनोकामना पूर्ण अवश्य पूर्ण होंगी।

    साथ ही आभार प्रकट करने की आदत को स्व-प्रेरित आदत में ढाल लें; इससे आप ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और ईश्वरीय कृपाओं के स्व-हक़दार हो जाएँगे और आपकी भावनाएँ शीघ्र पूर्ण होती चली जाएँगी। आभारी होने के कारण आपका आंतरिक मन, अंतर्रात्मा (Inner being) स्वतः ही ब्रह्माण्ड की दिव्य-शक्तियों से जुड़ जायेगा और सकारात्मक परिणाम आपके जीवन में आएँगे।

    कभी घमण्ड महसूस ना करें, प्राप्त शक्तियों का दुरुपयोग ना करें; अन्यथा आपका अवचेतन-मन और अंतर्रात्मा (Inner being) कभी अच्छा महसूस नहीं करेंगी और आपको स्वतः ही बुरे परिणाम भुगतने होंगे। अतः सकारात्मक रहें।

13. अवचेतन मन (subconscious mind) को विश्वास में लें; तभी शक्तियों को आकर्षित कर सकते हैं :

    अवचेतन मन (subconscious mind) ही सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करके हमें सफ़लतम बना सकता है।

    अवचेतन मन हमारे आत्मिक-प्रभाव के द्वारा सीधा ब्रह्माण्ड की शक्तियों, ऊर्जाओं से जुड़ा होता है। अवचेतन मन के द्वारा ही हम विचारों, भावनाओं, इच्छाओं को ब्रह्माण्ड तक पहुँचा सकते हैं और प्रतिक्रिया-स्वरुप आकर्षित ऊर्जा को प्राप्त कर सकते हैं। अवचेतन मन के द्वारा ही ऊर्जा को हम ग्रहण करते हैं। इसी के द्वारा ही हम जो भी सोचते, महसूस करते हैं; वह हकीकत बनते हैं।

    अवचेतन मन हम पर विश्वास तभी करेगा, जब हम पूर्णतः सक्षम होंगे और सफलताओं की प्राप्ति के लिए स्वयँ पर विश्वास के साथ-साथ प्रयास भी कर रहे होंगे। जब मन स्थिर होगा और मन में सकारात्मकता आ जाएगी तब स्वतः ही अवचेतन मन भी हम पर विश्वास करना शुरू कर देगा।

    अतः सकारात्मक सोचें, सकारात्मक व्यव्हार करें और स्वयँ की योग्यता और व्यक्तित्व को सकारात्मक करें। बुरी आदतों, डर, जलन-ईर्ष्या आदि भावनाओं को नियन्त्रित करके स्वयँ को मेहनत के लिए प्रेरित करें।

    दूसरों पर निर्भरता छोड़ कर; सोची-समझी योग्यतानुसार जोखिम लो। नया सीखो, स्वयँ पर विश्वास करो।

    अगर कुछ परेशानी महसूस हो रही हैं तो कारण जानें, स्वयँ के सवाल पूछें; आप जरूर समाधान खोज़ लोगे ।

    Affirmation (निश्चयपूर्वक कथन) विश्वास के साथ नियमित रूप से करें; जो भी विचार आप सफ़ल करना चाहते हैं; उन पर चिंतन-मनन करें ! सकारात्मक चीजों की कल्पना (Visualization) करें, और उन्हें हकीकत में होता हुआ महसूस करें।

    कल्पना शक्ति और affirmations ही वह तरीके हैं, जिनके द्वारा हम मन की बातों और स्वयँ की कमियों, योग्यताओं को जाँच-परख़ सकते हैं और कैसे कल्पना हकीतत बन सकती है; उन तरीकों को जान सकते हैं।

अगर हम नियमित रूप से कल्पना के साथ affirmation करते हैं और प्राप्त सुझावों पर चलते है; तो सोचे विचार जरूर हक़ीक़त बनते हैं।

अतः उम्मीद रखें, सफलता का पूर्ण विश्वास रखें।

    ध्यान विधि द्वारा हम कल्पना शक्ति और affirmation के लाभ को जल्दी प्राप्त कर सकते हैं; अतः ध्यान के साथ-साथ affirmation, visualization (मन में कल्पना करना) को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें; आपकी जिंदगी सफ़लतम बन जाएगी !

Sunday, October 23, 2022

बुरा वक़्त l बुरा समय l मुश्किलों का सामना धैर्य के साथ करो i दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है l

 

विपरीत परिस्थितियों (बुरा वक्त) में भी सफ़ल कैसे हों ?

सफलता

    जीवन का नाम ही संघर्ष है। हमें जीवित रहना और आगे बढ़ना है तो कार्य के साथ-साथ जीवन में आने वाली कठिनाइयों के साथ संघर्ष करना ही होगा। छोटी-छोटी मुश्किलें तो हम रोज़ सुलझाते रहते हैं, जिन पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता और हम खुश, सन्तुष्ट रहते है। लेकिन कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी कठिन परिस्थितियां भी जाती हैं; जिन्हें सुलझाने में हमें कठिनाई महसूस होती है इसी समय को हम बुरा समय या बूरा वक़्त कह सकते हैं।

    समय और परिस्थितियाँ सदा एक जैसी नहीं रहती हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कभी अच्छा समय आता है, तो कभी बुरे दौर से भी गुजरना पड़ता है।                                                           

    जीवन में कई तरह की परिस्थितियाँ आती हैं, ऐसे में हताश होकर हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ भी हांसिल नहीं होगा; बल्कि स्थिति और बिगड़ सकती है। अतः इस समय धैर्यपूर्वक शांत दिमाग़ से सही निर्णय लेकर नई योजना के साथ कार्य करके ही स्थिति को सुधारा जा सकता है।

    हमें किसी भी परिस्थिति में फंस जाने पर घबराने के बजाय कोशिश करनी चाहिए। कोशिश करने से ही कोई ना कोई समाधान अवश्य निकल जाएगा।                                                                     जीवन के अच्छे दौर में तो सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी सही फ़ैसले ले लेता है; लेकिन जब विपरीत परिस्थितियाँ (प्रतिकूल परिस्थितियाँ) आती हैं तो सही फ़ैसले लेना इतना आसान नहीं होता है, इसी समय व्यक्ति की सूझ-बूझ और समझदारी की ज़रूरत होती है। इन विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने वाला व्यक्ति ही सफ़लता पा सकता है। लेकिन अगर इन प्रतिकूल परिस्थितियों में हतास होकर जल्दबाजी में गलत निर्णय कर लिए और स्वयं को संभाल नहीं पाए तो विफ़लता और परेशानियाँ सकती हैं। अतः ऐसे समय व्यक्ति को सूझ-बूझ और सजगता से परिस्थितियों को सही से समझने के बाद ही सोचे-समझे फ़ैसले पूर्ण धैर्य के साथ लेने चाहिए; तभी सफ़लता के पथ पर आगे बढ़ना संभव होगा।

अतः प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य को बनाए रखें, चुनौतियों का सूझ-बूझ के साथ सामना करें, सही निर्णय सोच-समझ कर ही करें।

    प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य और आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है। जो भी भी विचार करें तथ्यों के साथ पूरी स्थिति को समझते हुए करें। ऐसे समय किसी की कही या सुनी बातों को आधार नहीं बनाएँ, जो भी विचार और सुझाव हों उनका तथ्यों के साथ विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय लें।

    जिस व्यक्ति के पास धैर्य नहीं है, वह छोटी से छोटी समस्याओं का सामना भी सही तरीके से नहीं कर सकता है।

    प्रतिकूल परिस्थितियों में घबराहट महसूस होना स्वाभाविक है, व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार के ख्याल भी आएँगे; लेकिन यदि व्यक्ति स्वयं पर और स्वयँ की योग्यता, कौशल पर विश्वास करता है तो वह इन परिस्थितियों में भी स्वयँ को धैर्य के साथ आत्म-विश्वास के बल पर जल्दबाजी में निर्णय लेने से रोक लेता है।

अगर व्यक्ति ऐसी स्थिति का आकलन करके सही योजना के साथ आगे बढ़ेगा तो वह लम्बे संघर्ष में भी धैर्य के साथ लगातार प्रयास करके सफलता पा लेगा।

    ऐसी स्थिति में संयम कभी ना खोएँ, सकारात्मक दिशा में संघर्ष करते रहें, तभी सफ़ल हो सकते हैं।जब व्यक्ति शांत होकर स्थिरता के साथ चुनौतियों का सामना करता है और संयम से काम लेता है तो वह हर कठिनाई का सामना कर सकता है।

    कोई भी सफलता एक ही दिन में नहीं मिलती, इसके लिए धैर्य के साथ लगातार कार्य करना ही होगा, अतः घबराहट पर नियंत्रण रखकर शांत भाव से कार्य करते रहें; जब तक कि सफ़ल ना हो जाएँ।

    याद रखें कि जिंदगी है तो सफलता और विफलता दोनों ही समय-समय पर मिलती रहेंगी। अच्छे समय के साथ-साथ कुछ बुरे समय (विपरीत परिस्थितियाँ) भी आएँगे ही। जिंदगी में उतार-चढाव आते ही रहेंगे।

    अगर सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें तो बुरा समय भी हमें काफ़ी कुछ सिखा कर ही जाता है; यह हमें जीवन के सत्यों से अबगत (सामना) करवाता है, जिनकी हम अच्छे समय में कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लोगों की पहचान भी बुरे वक्त में ही होती है।

    बुरा समय हमेशा नहीं रह सकता है। मुश्किल समय में ऐसा क्या करें कि हम मुश्किल समय में भी सुरक्षित निकल जाएँ और बेहत्तर कर पाएँ, बड़ी सफ़लता पाने में कामयाब हों ?

जानें कैसे करें बुरे वक्त का समाधान ?

1.  बुरे वक्त को स्वीकार करो
बुरे वक्त को स्वीकार करो

    बुरे वक़्त में भी तरक्की की सम्भावनाएँ छुपी होती हैं; उनका विश्लेषण धैर्य और सूझ-बूझ के साथ करोगे तो और बड़ी सफ़लता पा सकते हैं।

अतः बुरे समय को स्वीकार करके विपरीत परिस्थितियों को विवेक से सुलझाएँ। हमें आई दिक्कतों का विश्लेषण करके इन समस्याओं को समाप्त करने पर कार्य करने होंगे; ना कि इनका दोषारोपण दूसरों पर, भगवान आदि पर करके समय बर्बाद करना है।

जो भी है उसे स्वीकार करो, दूसरों से ज्यादा आशा ना रखो। जो भी करना है शीघ्र कार्यवाही (Action) शुरू कर दें। स्वयँ पर विश्वास कभी भी कम ना होने दें।

    यह समय कीमती है; जितना शीघ्र कार्य आरम्भ करोगे; आपका आत्म-विश्वास बना रहेगा तथा जितना समय निकालोगे उतनी ही आत्म-हीनता, डर, आत्मग्लानि बढ़ती जाएगी। इस मुश्किल वक़्त में हिम्मत, जोश के साथ सोची-समझी योजना के साथ शीघ्र शुरुआत करें। मानसिक रूप से कमजोर ना पड़ें।

    सोचने-समझने का नज़रिया सकारात्मक रखें, रास्ते तलाश करें। उम्मीदों का दामन ना छोड़ें, योजना पर धैर्य के साथ लगातार कार्य करते रहें।

    समस्या कभी बड़ी नहीं होती है; समस्या को बड़ा मन लेना ही असफ़लता, आत्म-विश्वास को कम करता है।

हमें हमारी भूलों, कमियों को खोजकर उन्हें दूर करना है; ना कि दूसरों को दोष देकर समय बर्बाद करना है।

2. सकारात्मक सोच के साथ धैर्य रखें

    समस्याओं के प्रति सकारात्मक मनोभाव रखें। अपनी क़ाबिलियत और अच्छाइयों को पहचानें और उन पर विश्वास के साथ कार्य करें; मुश्किल वक़्त में अगर आप स्वयं की शक्ति को जान लोगे तो वह लक्ष्य भी मिल जायेगा जिसको आप अपने दुःखों के निदान के लिए प्रयोग कर सकते हो; तुम्हारी क़ाबिलियत को नए व्यापार या सेवा का माध्यम बना सकते हो।

समस्याओं से घबराएँ नहीं बल्कि हिम्मत, धैर्य के साथ समाधान खोजकर सामना करें; तभी योग्य बन सकते हैं।

कोई भी सफ़लता एक ही दिन या एक ही प्रयास में नहीं मिलती है; इसके लिए दृढ-निश्चय के साथ लगातार प्रयास करते रहना पड़ता है और शुरूआती हारों का भी सामना करना ही पड़ता हैं; अतः धैर्य बनाए रखें तभी आपका आत्म-बिश्वास और हिम्मत बनी रहेगी।

स्वयँ को प्रोत्साहित करें, विश्वास बनाए रखें।

समय कीमती होता है, अतः मात्र सोचने से कुछ नहीं होग। जो भी विचार आएँ; उनका स्व-विवेक से विश्लेषण करें और अगर विचार सार्थक और लाभकारी हो तो इस पर योजना के साथ जितना जल्दी हो सके शीघ्र कार्य आरम्भ कर दें। कार्य की समझ कार्य ही देगा अतः कभी भी डरे नहीं और आरंभिक जानकारी के साथ योजना पर कार्य शुरू कर दें और साथ-साथ कमियों को दूर करते जाएँ तभी सफ़लता मिलेगी और आपका धैर्य बना रहेगा।

    अपने जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए सकारात्मक सोच रखें; हमेशा ख़ुश रहें। आस पास के लोगों को भी ख़ुश रखें, प्रगत्तिशील लोगों से सम्बन्ध बनाकर रखें। इससे आपकी इज्ज़त बढ़ेगी और आपके लिए सहयोगात्मक वातावरण बनेगा; जो कि आपकी तरक्की में सहायक सिद्ध होगा।

     मुश्किल समय में प्रगत्तिशील और सकारात्मक सोच वाले लोगों को ही समय दें। अगर सलाह लेनी आवश्यक हो तो अनुभवी लोगों, ईमानदार रिश्तेदार, मित्रों से ही सलाह लें; लेकिन कभी भी जलने वालों, समय बर्बाद करने वालों से सम्पर्क ना रखें, ना ही सलाह लें। जलन वाले लोग या अनुभवहीन लोग आपको सलाह देने की बजाय आप में डर या भ्रम पैदा कर सकते हैं।

3. चिंता नहीं; चिंतन-मनन करें
चिंता नहीं; चिंतन-मनन करें

    चिंता करने से कभी समस्याएँ ख़त्म नहीं होती हैं। चिंता स्वयँ में एक मुसीबत है और चिंतन उसका समाधान। चिंता करने से कार्य बनने के बजाय और मुश्किल लगने लगते हैं; जबकि चिंतन करने से मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसान बनकर लाभकारी परिणाम दे जाते हैं।

मेहनत के साथ सही दिशा में योजना के साथ लगातार प्रयास करने पर ही सफ़लता मिल सकती है।

हर समस्या का समाधान अवश्य होता है लेकिन समाधान तभी मिल्रेंगे जब हम समस्याओं पर सकारात्मक चिंतन-मनन  करेंगे।

अतः विवेक के साथ समस्याओं का सामना करो; तभी सफ़लता मिलेगी और चिंताएँ दूर होंगी।

    समस्याओं को सही नज़रिए से देखना शुरू करें। समस्याओं के कारण खोजें और जो भी कारण हों, या आपकी कमियाँ रह गई हों उन्हें दूर करने के सकारात्मक प्रयास आत्म-विश्वास के साथ करें।

अगर समस्याएँ आई हैं; तो अगर हम दृढ़ता के साथ सकारात्मक कर्म करेंगे तो ये सफ़लता में भी परिवर्तित जरूर होंगी; हमें बस बिना रुके कार्य करने हैं; फल की इच्छा में चिंतित नहीं रहना है।

सोचो कि बुरे से बुरा क्या हो सकता है; अगर हम समस्याओं का समाधान करके अधिक आत्म-बल के साथ सही कदम उठाएँगे तो हो सकता है हमें और बड़ी सफ़लता का मार्ग मिल जाए।

अतः सूझ-बूझ के साथ कार्य करें सफ़ल जरूर होंगे।

    किसी भी समस्या को छोटा समझकर नजरअंदाज ना करें। हर समस्या पर गंभीरता से कारणों सहित विचार करें, समाधानों को मेहनत के बल पर सफ़ल बनाएँ।

अतः समस्याओं पर अत्यधिक नकारात्मक विचार करके उन्हें बड़ा ना बनाओ; बल्कि सकारात्मक सोच के साथ समाधानों पर कार्य करें।

                                                                                        

4. महान लोगों के बारे में जानकारी लें, उनकी सफ़लता के बारे में जानें

    हमें महान, सफ़ल लोगों की जीवन में संघर्ष की बातें प्रेरित कर सकती हैं।

अतः कठिन समय में महान सफ़लतम लोगों की जीवनी पढ़ें और विचार करें उनके दृढ-संकल्पों और लगन के साथ मेहनत पर; जिनके बल पर उन्होंने बड़ी-बड़ी विषम परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोया और निश्चित उद्देश्यों के साथ कार्य करके बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ और जीवन की सभी ख़ुशी भी प्राप्त की।

    कोई भी व्यक्ति बिना मुश्किलों का सामना किये महान नहीं बन सकता है।

    हम प्रेरणा देने वाली पुस्तकों, लेखों से भी सकारात्मक प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं; इनके कारण हमारी सोच सकारात्मक होगी और हम अपने डर, चिंता को कम कर सकते हैं। हम प्रेरक विडिओ या ऑनलाइन लेख भी पढ़ सकते हैं।

इससे हमें नई-नई जानकारियों के साथ-साथ प्रेरणा भी प्राप्त होंगी; जो कि सफ़लता दिलाने में प्रेरक का कार्य करेंगी।

 

5. जीवन में सजगता जरूरी है

    बुरा समय या कठिन परिस्थितियाँ आने से पहले हमें संकेत जरूर मिलते हैं; जिन्हें कभी भी नज़र-अंदाज नहीं करना चाहिए।

    हमें आने वाली कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए आगे की योजना बनाकर रखनी चाहिए ताकि अगर हम बुरे समय में फँस भी गए तो इससे बिना जोख़िम के आगे की सफ़लता पा सकें। इससे हम आत्म-विश्वास, बिना चिंता के बुरे समय का सामना कर पाएँगे। कई बार ऐसा करने से हमें विशेष समाधान भी मिल जाते हैं; जिन पर तुरन्त कार्यवाही करके हम बुरे समय को आने से पहले ही विशेष समय भी बना सकते हैं; जो आशातीत सफ़लता, प्रगत्ति भी दे सकता है। 
    
    अतः कठिन समय में कमज़ोर मत पड़ो; पूर्व योजना बनाकर जीत हांसिल करो।

 

6. दुखों या निराशा के भाव हर जगह प्रदर्शित ना करो -

    अगर आप बुरे वक़्त में सही महसूस नहीं कर रहे हैं तो इसे ख़ुद तक ही या किसी विशेष व्यक्ति से ही साझा करें।

    अच्छा यही है कि ख़ुद तक ही सिमित रखें। सबको बताकर आप फ़ायदे की बजाय नुकसान झेल सकते हैं; क्योंकि ज़्यादातर लोग आपकी ख़ुशी से जलते थे और अब आपको दुःखी देख कर वे आपका दुख़ कम करने की बजाय आपका मज़ाक ज़्यादा बनाएँगे और लोक-हंसाई करवा सकते हैं। जब आपको गलती का अहसास होगा तो आपके दिल को बुरा महसूस होगा और आप में नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

    अतः स्वयँ पर विश्वास करें और स्वयँ की दिक्कतें स्वयँ के बल पर ही दूर करने के सकारात्मक प्रयास करें; तभी आप दिक्कतों से उबार पाएँगे।

           

 

                                   

अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है l अतीत l Past l Success Tips In Hindi

  " वर्तमान में रहकर कार्य करें ; लेकिन लक्ष्य और योजना निर्धारित करते समय अतीत पर भी विचार जरूर करें !" ( अतीत ...