योग_ध्यान_साधना से सफ़लता
यहाँ आप योग, ध्यान और साधना के साथ-साथ सफ़लता के मूल ज्ञान को पा सकते हो ! हमारा उद्देश्य आपको सत्य ज्ञान तथ्यों के साथ देना है; ताकि आप स्वस्थ तन, और मन के साथ-साथ सफ़लता के शिख़र तक पहुँच पाएँ !
DEEP BREATHING आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे; अगर आपने अपनी 24 घण्टे चल रही सांसों को साधना सीख लिया ! यह एक वैज्ञानिक प्रमाणित तथ्य है कि कोई भी प्राणी जो सांसों को नाभि तक गहरी-लम्बी लेगा और जितना धीमा साँस बाहर ज्यादा समय ख़र्च करते हुए छोड़ेगा; उसकी आयु उतने गुणा ही बढ़ती जाएगी ! लम्बी-गहरी नाभि तक ली गई प्रत्येक सांस सीधे हमारी नाड़ियों तक पहुंचकर हमारी प्रत्येक कोशिकाओं को सही मात्रा में पोषित और ऊर्जावान बना सकती है ! इसके साथ ही ज्यादा देर में धीमी गति से साँस छोड़ने से शरीर में प्राणवायु लेने के लिए वैक्यूम बनेगा, और हम अधिक प्राणवायु लेने की योग्यता हाँसिल करेंगे, और शरीर में भरपूर प्राणवायु प्राण-ऊर्जा के रूप में एकत्रित होगी; इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तथा शरीर के खून में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ेगा; जिनके फलस्वरूप शरीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता चला जाएगा ! जितना ज्यादा समय साँस लेने और छोड़ने का होगा उतना ही हमारी स्वास की दर कम होगी; जिसका सुफल हमारी दीर्धायु होगी ! ● इसका उदाहरण हमें जापानियों में मिलता है; जो लम्बी-गहरी साँस लेते हैं, और ज्यादा देर में धीमी गति ...
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आत्म - विश्वाश ( SELF CONFIDENCE ) को बढ़ाने के तरीके ( TIPS )
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खुद पर विश्वास करना , खुद पर यकीन करना तथा काम की सफलता में पूर्ण आत्म-विश्वास और आत्म - शक्ति से लग कर कार्य की सफलता सुनिश्चित करना ही सही मायने में आत्म - विश्वास कहलाता है l अर्थात ऐसा विश्वास ,ऐसा जुनुन जिसमे सफलता की गारंटी होती है , निराशा और हार की कोई वजह नहीं होती l आत्मविश्वास ही जीवन में सफलता की सीढ़ी होती है l आत्मविश्वास हमारे सामर्थ्य और कार्य की आवश्यकतानुसार होना चाहिए ; अगर आत्मविश्वास कम होगा तो कार्य असफल होंगे और अति -आत्मविश्वास हमारे में अहं को बढ़ा सकता है, हमारा ध्यान सफलता से हट कर विध्वंश की तरफ लग सकता है ; जो की आगे चलकर हमारी अवनति का करण बन सकता है I सकारात्मक कार्य करते रहो l अगर हमारा प्रयास पूर्ण सोचा -समझा और सही दिशा में ( well planned ) है तो सफलता निश्चित है l हाँ ;मार्ग में आईं छोटी - छोटी दिक्कतों से निराश नहीं होना है, बजाय इसके परेशानी का कारण जानकर उनका सही समय पर समाधान निकालें और सकारात्मक सोच से कार्य पूरा करो l
हमें सदा ही आत्म -मंथन , आत्म-विश्लेषण करना चाहिए l आने वाली सफलता -असफलताओं के कारणों को जानकर उनके समाधान ; कार्य को सही समय पर प्राप्त करने के लिए करने चाहिए l मार्ग में आई परेशानियाँ ही हमें काफी कुछ सिखा जाती हैं, हमें तैयारी , ज्ञान ( preparation and knowledge ) बढाते रहना चाहिए l हमें कार्य की सफलता और स्वयं पर पूरा विश्वास रखना होगा , तभी हमारा आत्मविश्वास बना रह सकता है l तुम्हें दूसरों को देखने व् उनकी तुलना करने की आदत में समय बर्वाद नहीं करना चाहिए l अगर तुम्हें तुम्हारी काबिलियत और तुम्हारे प्रयासों पर पूर्ण विश्वास होगा , तो निराशा कभी तुम्हारे मार्ग में नहीं आ सकती , तुम्हारा आत्मविश्वास और बढ़ेगा l तुम्हे दूसरों की सहायता निश्वार्थ करनी चाहिए और प्रयास करना चाहिए कि उन्हें अच्छी सहायता ( service ) और तुम्हारे सामान की सही क़्वालिटी (quality ) ,सही समय पर व् सही कीमत में मिलें l अगर तुम्हारे ग्राहक संतुष्ट होंगे और तुम्हारे कार्यों और तुम्हारे सामान पर निश्वार्थ करेंगे तो तुम्हे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता l समय का महत्व समझना होगा ,आज का काम कल पर टालने वाली प्रवर्ती ( आदत ) और आलसी दिमाग को हटाना होगा और कार्य के प्रति सदा उत्साहित ,ऊर्जावान व् सजग होकर जितना जल्दी हो सके ; कार्य को आरम्भ करें और उसे जितना जल्दी संभव हो ; पूरा करें l तभी सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी और तुम्हारा आत्म-सम्मान और आत्म-गौरव बढ़ेगा और तुम्हारा बढ़ा आत्म-विश्वाश ; सफलता की नई बुलंदिया छुएगा l कोई कार्य असंभव नहीं होता ये मात्रा हमारे आत्मविश्वास और हमारे अनुभवों पर निर्भर करता है ,कि हम कार्य कैसे पूर्ण कर सकते हैं l किसी कार्य को सपना या आदत बना लो , उस कार्य की पूरी रूपरेखा निर्धारित (fix) करो ( यहां तक कि कार्य कब तक पूरा होगा , कार्य की दिशा व् तरीका क्या होगा , कार्य के लाभ -हानि , मार्ग में आने वाली परेशानियों व् उनके समाधान भी पूर्व निर्धारित होने चाहिए l )
कार्य में मिल रही परेशानियों ,रूकावट के कारण अगर निराशा के भाव प्रवल हों या उत्साह में गिरावट महशुस हो तो अपनी पुरानी उपलब्धियों और सफलताओं के बारे में विचार करें और सकारात्मक सोचें कि अगर वे कार्य सफल हुए हैं तो ये कार्य भी सफल होंगे l बस दृढ निश्चय ,अटल विश्वाश के साथ ,धैर्य के साथ कार्य में लग जाएँ l नकारात्मक विचार स्वतः ही चले जायेंगे और सफलता जरूर मिलेगी l कभी भी अनचाहे डर की कल्पना मात्र से अपने कार्य परिवर्तित न करें और स्वयं पर पूरा विश्वास रखें l हमें मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करना होगा और उनके सकारात्मक समाधान भी निकालने होंगे l हमें आरामदायक जिंदगी से बहार आकर सही दिशा में परिश्रम करना होगा l किस्मत पर विश्वास करके बैठे न रहो , सही समय पर कार्य आरम्भ कर दो l अपनी कमजोरिओं को भी सकारात्मक सोच के साथ स्वीकार करो और तुम्हारी मेहनत और आत्मविश्वाश के बल पर ; इन्हें अपनी शक्ति ( strength ) बना लो l आत्मविश्वाश ,ख़ुशी का अनुभव करने , याददास्त को बढाने के लिए ध्यान ( meditation) करें l इससे दिमाग में एक विशेष रसायन ( DOPAMINA ) कि बृद्धि होगी ,जिनका प्रभाव हमारे आत्मविश्वास ,सकारात्मक सोच में बृद्धि पर होगा ; तनाव (stress ) से मुक्ति मिलेगी l
संक्षेप में निम्न कुछ तरीकों को अपनाना चाहिए i इससे आत्म विश्वास और सफलता में बृद्धि होगी :--
१. खुद से हमेशा सकारात्मक बात करें और सकारात्मक ही सोचना है l कार्य की सफलता में डर के बारे में कभी न सोचें , हमेशा उसकी सफलता में करने बाले प्रयास और plane पर विचार करें l
२. अपनी सारी कमजोरिओं , शक्तियों को स्वीकार करें और अपनी कमजोरिओं को सकारात्मक प्रयास द्वारा अपनी शक्ति बना लो l
३. खुद को ध्यान व् प्रेरणा-प्रद वाक्यों ( affirmation words ) के द्वारा कार्य की सफलता के लिए प्रेरित (motivate) करें l हम जो भी करना चाहते हैं , उसकी कल्पना करें तथा उसके सफल होने की कल्पना भी और उसके द्वारा मिलने वाली ख़ुशी की भी कल्पना करें l इससे सकारत्मक शक्ति का प्रभाव आपके कार्य की सफलता व् आत्म-विश्वास पर पड़ेगा l
४. मिलने वाली सफलताओं की ख़ुशी मनाएं और खुद की प्रशंसा करें , इससे तुम्हारे आत्म -गौरव व् आत्मविश्वास में वृद्धि होगी l
५. अपनी तुलना दूसरों से कभी न करें l अपनी काबिलियत में विश्वास रखें , जो भी सफलता मिल रही है ; उसकी तुलना किसी और की सफलता से न करें l
६. हमेशा अपनी पहचान को आकर्षक रखें l पहनावा आकर्षक व् शालीन होना चाहिए व् बोलने व् चलने का तरीका भी आकर्षक होना चाहिए l तुम्हारे कार्य में तुम्हारी सफलता दिखनी चाहिए l
७. कार्य की सफलता के लिए लक्ष्य को कई भागों में विभाजित करें तथा एक के बाद दूसरे लक्ष्य को सकारात्मक सोच व् उत्साह से पूरे करते जाएं l
८. तुम्हारे काम करने के तरीकों में उत्साह और विश्वास दिखना चाहिए (एक आत्मविश्वास की चमक -चेहरे पर) l
मानसिक विकार सफलता में बाधक होते हैं । सकारात्मकता हममें से ज्यादातर व्यक्ति हो सकता है वे शारीरिक दृष्टिकोण से स्वस्थ हों; लेकिन ज्यादातर लोग मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नहीं रहते हैं। ज्यादातर में कोई ना कोई मानसिक विकार जरूर होता है। ये ही मानसिक अस्वास्थ्य हमारी सफलताओं को प्रभावित करने लग जाते हैं। मानसिक विकार मिटाने से ही सुख - समृद्धि के साथ - साथ जीवन की सफलता प्राप्त हो सकती है। क्रोध , घृणा , कपट - भावना , जलन का अनुभव होना , द्वेष - भावना , घमण्ड करना , अति - आत्मविश्वास में रहना , डरों के साथ जीना , नकारात्मक आचरण और दुराचरण की भावनाएँ रखना , छोटी - छोटी बातों से ही कुंठाएँ और हीन - भावनाएँ महसूस करना , अभिमानी होना आदि - आदि नकारात्मक प्रभाव मानसिक विकार ही होते हैं। यह सब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारी सफलताओं में बाधा ही पहुँचाते हैं ; अतः इन्हें समझकर दूर करने पर ही हम चिंतामुक्त होकर खुशी के साथ स्थाई सफलता पा सकते हैं। ...
सफलता के शिखर तक कैसे पहूँचें ? (कामयाबी के सूत्र , सफलता को कैसे बनाए रखें ?) कामयाबी की ख़ुशी " हर इन्सान की सफलता , असफलता उसकी स्वयँ की आदतों , व्यव्हार , आचरण , चरित्र और सोच पर ही निर्भर होती है। इन्सान स्वयँ ही अपने भाग्य का निर्माता होता है ; जितना श्रम वह सही सोच के साथ करेगा; उतना गुणा ही सफलता पा सकता है। जिस प्रकार के , जिस दिशा में कार्य होंगे ; उसी प्रकार के परिणाम होंगे। अगर आदतें या लोगों के साथ व्यव्हार ही सही नहीं होंगे; तो इन्सान का पतन निश्चित है। अतः सही सोच , विवेक , धैर्य के साथ परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कठोर परिश्रम सही दिशा में आत्म - विश्वास के साथ करते रहो। यही आपकी सफलता की सीढ़ी बनेंगी " हर मनुष्य की कामना होती है कि वह और उसके परिवार के हर सदस्य खुशहाल रहें और जीवन में कामयाब इन्सान बनें। हर इन्सान जीवन में सफलता को प्राप्त करना चाहता है , चाहता है कि उसे कभी किसी पर निर्भर ना रहना पड़े त...
आकर्षण का नियम ( आकर्षण के सिद्धान्त ) ब्रह्माण्ड की आकर्षण की शक्ति हमारे विचारों से हम हमारा भविष्य , जीवन , अपनी दुनिया का निर्माण करते हैं। हमारी जैसी भावनाएँ , विचार होंगे ; हमारी प्रवृत्ति , प्रकृत्ति , सोचने - समझने की क्षमता भी उसी अनुसार विकसित होंगी और ब्रह्माण्ड से उसी प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे। अतः अगर आप जीवन में शांति के साथ - साथ तरक्की , समृद्धि चाहते हैं ; तो सकारात्मक सोचना , समझना , सकारात्मक बातों पर ही विश्वास करना नितान्त आवश्यक है। “आप अपने जीवन में सकारात्मक (Positive) या नकारात्मक (Negative) चीजों को अपने विचारों और कर्मों से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हो (या दूसरे शब्दों में प्राप्त कर सकते हैं।) ।" यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि ब्रह्माण्ड की सब चीजें, यहाँ तक कि हम स्वयँ भी ऊर्जा से निर्मित हैं। अतः हम ऊर्जा को ब्रह्माण्ड ...
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