Saturday, December 31, 2022

आज में रहना सीखो l वर्तमान में जिएँ l कैसे अतीत को पीछे छोड़ें l चिंता-मुक्त जीवन के सूत्र

 

आज में रहना सीखो !
(वर्तमान की शक्ति को पहचानो)
वर्तमान में रहकर चिंता-मुक्त रहें 

"तनाव-मुक्त रहने का मूल-मंत्र ही वर्तमान में रहकर सर्वोत्तम कर्म करते रहना ही है।"

"आज को सर्वक्ष्रेष्ठ बना लो; तो आपका भविष्य स्वतः ही सुखमय, सफ़ल बनता चला जाएगा।"

“हमारे जीवन का अस्तित्व ही वर्तमान में होता है। चलता हुआ जीवन ही वर्तमान जीवन है; यही आगे चलकर हमारा भविष्य बनेगा।“

"ख़ुशी के श्रोत आपके भीतर ही हैं। अगर हम विचारशील, उदार भाव रखते हैं, भावनाओं को नियंत्रित और संयमित करने में सक्षम हैं तथा साथ ही अन्दर से शाँत और आज में जीते हैं, तो जीवन की वास्तविक ख़ुशी अपने आप आ जाती है।"

“ज्यादातर हम अच्छी-अच्छी बातों, घटनाओ, लाभों पर ध्यान ना देकर किसी एक अतीत की भूल या हानि को जिंदगी भर याद कर-कर के पछताते, अफसोस जताते और दुखी होते रहते हैं। इससे हमारी खुशियाँ गायब हो जाती हैं, हम हर क्षण उदास और तनाब में रहने के आदी हो जाते हैं। इनके कारण जीवन निराश और अर्थहीन लगने लग जाता है।

हमें इसे बदलना होगा, तभी हम ख़ुशी के साथ प्रगत्ति के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। हमें ध्यान रहना चाहिए कि जो हो गया वह ना तो बदला जा सकता है और ना ही वह पुनः लोट कर आ सकता है; अतः हमारा चिंता करना मूर्खता ही है।“

“वर्तमान में रहकर सकारात्मक सोच और जीत की आशा के साथ कार्य करने से हम अतीत की भूलों का अफ़सोस नहीं करते हैं; साथ ही भविष्य के काल्पनिक डरों से भी बचे रहते हैं। अतः तनवमुक्त रहना है तो वर्तमान में रह कर सोचें और कार्य करें।

जैसा हम सोचेंगे वैसे ही परिणाम हम ब्रह्माण्ड और अवचेतनमन द्वारा हम ग्रहण करेंगे, अतः भविष्य के काल्पनिक डर ना सोचने से हम बुरा होने से बचे रह सकते हैं।

जब चिंता रहित होकर निर्णय लेकर वर्तमान लक्ष्यों पर कार्य करेंगे तो भविष्य स्वतः ही अच्छा होता चला जाएगा। अतः भूत और भविष्य को आधार बनाकर निर्णय लेने से अच्छा है कि वर्तमान को आधार बनाकर सर्वोत्तम निर्णय लें तथा वर्तमान पल का सदुपयोग चिंतन-मनन और सर्वोत्तम कार्यों को करने में करें। कभी भी अतीत या भविष्य की चिंता या दुःख में समय बर्बाद ना करें।“

”जीवन को ख़ुशी और समृद्दि के साथ जीने के लिए स्वस्थ जीवन जीना आना चाहिए। स्वस्थ और तनाव-रहित जीवन के लिए हमें वर्तमान, अतीत और भविष्य के बीच संतुलन बनाकर रखना होगा।

हमें जहाँ तक संभव हो वर्तमान में रहते हुए भविष्य की योजनाओं पर लक्ष्य बनाते हुए कार्य करने चाहिए; लेकिन अभी से इस बात की चिंता ना करें कि हमारे प्रयास सफल होंगे कि नहीं। इसी प्रकार अतीत की अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की बातों से सबक लेकर वर्तमान में भूलों की पुनरावृत्ति ना हो इस पर कार्य करना चाहिए, साथ ही अतीत के अनुभवों को वर्तमान कार्यों की प्रगत्ति में उपयोग करना चाहिए; लेकिन अतीत में जो नहीं कर पाए उन पर पछतावा या दुःख नहीं मानना चाहिए।“ 

हमें वर्तमान में रहकर सकारात्मक सोच के साथ निश्चित उद्देश्यों को पाने के लिए लगातार परिश्रम करना चाहिए लेकिन अतीत और भविष्य की बातों की चिंता कभी नहीं करनी चाहिए।

अगर वर्तमान को सर्वश्रेष्ठ बना लोगे तो यही आपकी भविष्य की बड़ी सफलता की कामना को भी साकार कर सकता है। ये सब कुछ हमारे सोचने-समझने के तरीकों पर ही निर्भर करता है।

जीवन में सफलताओं के साथ-साथ ख़ुशी तभी मिलेगी जब जीवन में हम कुछ समय स्वयँ के लिए और पारिवारिक रिश्तों की ख़ुशी पर भी देंगे।

अतः आज में (वर्तमान में) जिएँ, हर छोटी-छोटी बातों से जीवन की ख़ुशियाँ बढ़ाते रहें। अच्छे फल की आशा के साथ, ख़ुशी के साथ वर्तमान क्षण में और आज सर्वश्रेष्ठ कर्म करो; लेकिन अतीत की भूलों पर अफ़सोस और भविष्य की काल्पनिक चिंताओं में समय व्यर्थ ना करें। अगर मन खुश और एकाग्रः होगा तभी वर्तमान के साथ- साथ भविष्य की योजनाओं पर अच्छा ध्यान दे पाएँगे।

अतः तनाव-मुक्त जीवन के साथ सफलता पाने के लिए वर्तमान में रहकर कार्य करें।

1. वर्तमान (आज) में रहना क्या है?

इस समय (इसे क्षण भी कह सकते हैं) आप जो भी कर रहे हैं या देख और सुन रहे हैं; ये सभी क्रिया-प्रतिक्रियाएँ वर्तमान क्षण में किए कार्य ही हैं और यह समय वर्तमान होगा। इस पूरे दिन (24 घण्टे) आप जो भी बातें और कार्य कर रहे हैं, सोच रहे हैं या क्रिया-प्रतिक्रियाएँ कर रहे हैं ये सभी वर्तमान दिन या वर्तमान समय के कार्य कहलाएँगे।

अगर वर्तमान समय से पहले के कार्यों या बातों को सोच रहे हैं या किसी को बता रहे हैं तो ये अतीत की बातें (बीती बातें) या कार्य होंगे। अगर वर्तमान के बाद आने वाले दिन या समय के बारे में कल्पनाएँ करेंगे वे सभी कार्य और बातें भविष्य की बातें या सोच ही होंगी।

हमारे जीवन का अस्तित्व ही वर्तमान में होता है। चलता हुआ जीवन ही वर्तमान जीवन है; यही आगे चलकर हमारा भविष्य बनेगा।

हमारे पास सत्य रूप में मात्र वर्तमान ही उपलब्ध होता है; भविष्य या भूत (अतीत) मात्र हमारी पुरानी यादें, मन में की गई योजना, कल्पनाएँ और सोच ही होती हैं; जिनका अस्तित्व आज पूर्णतः बताने में हम सभी असमर्थ ही होंगे।
वर्तमान क्षण बीत जाने के बाद यही हमारा अतीत होगा। इस क्षण में हमने जो भी योजनाएँ बनाई थीं बह सब भविष्य की कल्पनाओं पर आधारित थीं; लेकिन जरूरी नहीं कि हमने जैसी कल्पना की थीं या सोचा था वैसा ही भविष्य होगा।
वर्तमान में रहने से ही चिंता-मुक्ति के साथ-साथ सफलता संभव है। वर्तमान में ही अस्तित्व है और निरन्तरता होती है। हम वर्तमान में रहकर जैसे कार्य करेंगे और सीखेंगे; वैसा ही भविष्य का निर्माण होगा। अतः हमें जागरूकता और सजगता के साथ वर्तमान समय का सदुपयोग करना चाहिए तभी हम आगे अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं। किसी भी क्षण को व्यर्थ ना जाने दें, अच्छा सोचें तथा आत्म-विश्वास के साथ वर्तमान का सदुपयोग करें।
वर्तमान में रहने से ही तनाव-मुक्त जीवन के साथ-साथ लक्ष्यों की सफलता संभव है।

जितना हम भविष्य के लिए बैचेन रहेंगे, अतीत की बातों या घटनाओं पर अफ़सोस के साथ दुखी होते रहेंगे हमारा ध्यान, मन, कार्यों और लक्ष्यों पर एकाग्रः ही नहीं हो पाएगा। अतः क्या गलत हुआ; उस पर अफ़सोस की बजाय आज क्या करना उचित है?; इस पर विचार करना उचित होगा।

पुरानी गलतियाँ, घटनाएँ दुबारा ना हों उसकी योजना बनाकर सर्वश्रेष्ठ कार्य करें। साथ ही भविष्य के परिणामों की चिंता ना करके लक्ष्यों के साथ कार्य करें। तभी लक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं। इससे हम कुंठा, आत्म-ग्लानि तथा तनाव, अवसाद आदि से बच सकते हैं।

अपने स्वयं के प्रति, कार्यों के प्रति, लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति जागरूक रहकर सफ़ल प्रयास करें। अतीत या भविष्य की चिंताओं, डर के कारण हतोत्साहित कभी ना हों; इसकी बजाय मात्र कारणों को पहचानें और निडरता, आत्म-विश्वास के साथ वर्तमान में रह कर कार्य करते रहें। 

 

2. वर्तमान में सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ निश्चित उद्देश्यों पर कार्य करें, सजग रहें:

हमारे पास इस क्षण मात्र वर्तमान ही अस्तित्व में है। ना ही अभी अतीत मौजूद है और ना ही भविष्य।

अतीत की पुरानी यादें और भविष्य की कल्पनाओं का वर्तमान क्षण में कोई अस्तित्व नहीं होता है, ये सब हमारे मन में चल रहा होता है। मात्र वर्तमान का ही अस्तित्व है; जो अगले पल (क्षण) हमारा भविष्य हो जायेगा। तब यह नया पल उस क्षण का वर्तमान होगा। जरूरी नहीं आने वाला क्षण हमारे सोच के अनुसार ही होगा; काफी कुछ परिवर्तन आपको आपकी सोच के विपरीत भी मिलेंगे। अतः अभी से भविष्य की चिंता में डूब जाना हमारी-आपकी और सभी की मूर्खता ही होती हैं।

हाँ, अतीत से सबक लेते हुए वर्तमान में रहते हुए भविष्य की योजना बनाना, लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी होता है। इसके बिना हम वर्तमान में भी दिशाहीन होंगे। लेकिन अभी से यह सोचना और डरना कि हम लक्ष्य प्राप्त करेंगे कि नहीं, डरें कि कितनी बाधाएँ आएँगी, लोग क्या कहेंगे आदि-आदि सोचने का अभी कोई औचित्य नहीं है।

अतः समय का वर्तमान में रहते हुए अच्छे भविष्य की कामना, आत्म-विश्वास के साथ भरपूर और सर्वश्रेष्ठ उपयोग करें; तभी सफलता मिलेगी और भविष्य को भी उज्जवल बना पाओगे। क्योंकि भविष्य की नींव (foundation) आपका वर्तमान ही है। अगर चिंताओं में वर्तमान में कुछ विशेष नहीं कर पाए तो आगे भविष्य सर्वश्रेष्ठ हो ही नहीं सकता है और आप कुंठा, आत्मग्लानि, अफ़सोस की जिंदगी ही झेलते रहोगे।

वर्तमान क्षण में जीने के लिए अतीत में क्या हुआ था?, भविष्य में क्या होगा?; इस पर चिंता कभी ना करें क्योंकि ऐसा करने का लाभ नहीं है; उल्टा हम समय बर्बादी के साथ-साथ अपने तन-मन का ही नुकसान कर बैठते हैं।

इनकी बजाय हमारा ध्यान इस बात पर हो कि अभी जो कार्य कर रहे हैं; उसमें सर्वश्रेष्ठ करें, उसका आनन्द लें और वर्तमान और वर्तमान दिन के हर क्षण को बेहत्तर बनाने के लिए समय का भरपूर सदुपयोग करें।

अच्छा होगा कि हम अच्छे भविष्य की कामना के साथ वर्तमान में अच्छे और बड़े लक्ष्यों, उद्देश्यों के साथ लगातार कार्य करके अच्छे-भविष्य का निर्माण करें।

भविष्य की योजना तो वर्तमान में ही बनाएँ लेकिन अभी चिंता करना मूर्खता ही होगी। अगर हम भविष्य की कल्पनाओं में ही समय बर्बाद करते रहेंगे तो कुछ भी हांसिल नहीं होगा। अतः आज कड़ी मेहनत सकारात्मक-दृष्टिकोण के साथ करें; जिसका सुफ़ल स्वतः ही भविष्य को प्रगत्तिशील बना देगा।

 

3. अगर ऐसा आप भी करते हैं; तो आज से इन्हें ना करें- तभी सफल जीवन बनेगा : 

1. क्या आपको सप्ताह भर के कार्यों में अच्छा प्रदर्शन ना करने का अफ़सोस रहता है?

ऐसा करना सही नहीं होगा। ऐसे अफ़सोस करने से आप में आत्म-हीनता आती है और आपका आत्म-विश्वास कम होता है; जिसका प्रभाव आपके वर्तमान कार्यों पर पड़ रहा है। आप जल्दबाजी में पुराने प्रदर्शन (performance) को सुधारने की उधेड़बुन में लगकर वर्तमान कार्यों को भी सही से नहीं कर पाएंगे। अतः जो हो गया उसे भूल कर वर्तमान कार्यों में ध्यान एकाग्रः करें।

2. क्या आप पिछली गलतियों पर पछतावा करते हैं; जिनके कारण आगे अच्छा ना करने का मलाल रहता है ?

इन्हें भूलना ही उच्चित होगा तथा वर्तमान में अलग तरीके से काम करके आगे बढ़ना ही होगा।

जो बीत गया उस पर पछताने का कोई मतलब नहीं होता है, उल्टा ऐसा करके हम स्वयँ के समय और स्वस्थ को नष्ट करते हैं।

3. क्या आपको कोई कार्य शुरू करने से पहले उसके परिणामों की चिंता या आने वाली दिक्कतों का सामना करने की चिंता होती है?

अगर ऐसा है तो यह आपकी भविष्य की बुरी कल्पना मात्र होंगी; जिनका कोई निश्चित आधार नहीं है तथा ये मन के डर ही हैं।
इन्हें छोड़ना ही हितकर होगा तथा सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी; ताकि आने वाला भविष्य सुखमय हो।

4. लोग क्या कहेंगे?; क्या ये विचार आपको भी परेशान करते हैं?

तो इस विचार को अभी इसी क्षण त्यागें; क्योंकि ऐसे विचार आपको कभी भी आगे बढ़ने ही नहीं देंगे। अतः वर्तमान पर ध्यान एकाग्रः करके लोगों पर ध्यान देना बन्द करके वर्तमान कार्यों में सवश्रेष्ठ सफलता हांसिल करें तभी आप में आत्म-विश्वास जाग्रत होगा।

लोग क्या कहेंगे या कोई हमारी बदनामी तो नहीं करेगा ऐसे विचार करना अभी से बन्द करो; इनका कोई लाभ नहीं होगा।

 

उपरोक्त सभी बातें आपको कभी सफ़ल नहीं होने देंगी। ये सभी आपके वर्तमान कार्यों, लक्ष्यों पर नकारात्मक प्रभाव ही डालेंगीं। अतः जितना जल्दी हो इन पर सकारात्मक भाव से विचार करके इनको सोचना और सोच-सोच कर डरना बन्द कर दें। जीवन को निडरता और साहस के साथ खुशी के साथ जिएँ।

आत्मग्लानि, कुंठा, डर को निकल कर पुराने अच्छे अनुभवों के आधार पर, पुरानी गलतियों से सबक लेकर नई लक्ष्य आधारित योजना पर ध्यान एकाग्रः करें; तभी वर्तमान समय का सर्वश्रेष्ठ लाभ ले पाएँगे।

जो अतीत की बातें अब अर्थहीन हैं और अब होना असंभव है; उन पर सोच कर समय बर्बाद करने से बचें। भविष्य की अच्छी कल्पना करो लेकिन " भविष्य में सफ़ल होंगे कि नहीं " ऐसी अर्थहीन बातों पर अभी से डरने से कोई फ़ायदा नहीं होगा। जब भविष्य का निश्चित समय आएगा तब की परिस्थितियों का आकलन अभी से करना मूर्खता ही होगी; जो कि आपको बैचेन करके आपके वर्तमान कार्यों पर ध्यान एकाग्रः करने में बाधक होगी। अतः ऐसी बुरी नकारात्मक सोच को त्याग दें।

 

4. अंत में:

    हमें अपने आप को और आज को जानने की जरूरत है। जो भी हमें करना है वह आज ही और जहाँ तक संभव हो अभी इसी क्षण करना चाहिए।

इंसान ज्यादातर अपने अतीत के दिनों की यादों में या भविष्य की चिंताओं में ही खोया रहता है; जिसके कारण वह आज का ना तो भरपूर लाभ ले पाता है और आने वाले कल की चिंता, तनावों के कारण आज की खुशी के छोटे-छोटे पलों को भी महसूस नहीं कर पाता है और इन्हीं कारणों से मायूस, आत्महीनता, डर के साये में जीकर अपना जीवन बर्बाद कर बैठता है।

हमें आज की वर्तमान में जीने की शक्ति और स्वयं की शक्ति पर विश्वास करना चाहिए। हमें अतीत और भविष्य को भूलकर वर्तमान में जीना चाहिए। वर्तमान को सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए ऐसे उपयोग में लाना चाहिए कि हर परेशानी को सुगमता से हल करने में सक्षम बन सकें।

हमें कभी भी स्वयं को किसी से भी कमजोर नहीं समझना चाहिए और ना ही यह मानना चाहिए कि हम कोई कार्य कर ही नहीं सकते हैं। हमें वर्तमान पर ध्यान देते हुए दृढ़ता के साथ स्वयँ को बदलने और कठोर परिश्रम करने तथा जोखिमों का सामना बिना आलस, आत्मग्लानि के करने को तैयार रहना चाहिए। ऐसा करने पर हम मेहनत, लगन के बल पर सब कुछ हांसिल कर सकते हैं।

हमें स्वयँ पर ध्यान देते हुए; स्वयँ की कमजोरियों को दूर करने के लिए जैसे भी और जहाँ से भी संभव हो सीखकर अपना ज्ञान, कौशल, अनुभव बढ़ाते जाना चाहिए। ये सब तभी संभव होगा; जब हमें स्वयँ पर अटूट विश्वास होगा।

हम जैसे भी हैं हमें स्वयँ को स्वीकार करना चाहिए, साथ ही कभी भी स्वयँ की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। जानना है और सुधारना है तो स्वयँ को जानो और स्वयँ को उन्नत बनाओ l

हमें भविष्य के बारे में तभी सोचना चाहिए जब इसकी जरूरत हो। कभी भी अपने बीते हुए कल या आने वाले कल की चिंता में हाथ पर हाथ रखे बैठे नहीं रहना चाहिए; यह गलत है। ऐसा करने पर हम वर्तमान (आज) को सही तरीके से सदुपयोग नहीं कर पाएँगे और आज को जीना ही दुभर हो जाएगा।

कोई जरूरी नहीं कि जो सुबिधा आज हमारे पास है वह कल भी उपलब्ध होगी। अतः कभी अच्छे समय की प्रतीक्षा में वर्तमान समय को बर्बाद ना करो। जीवन के हर एक वर्तमान क्षण (पल) का सदुपयोग करो और हर पल की छोटी-छोटी खुशियाँ प्राप्त करते रहें। मन को नियंत्रित रखें और अपने उद्देश्य, लक्ष्यों से कभी भी ना भटकें। जो भी आप कर रहे हैं उसमें आत्म-संतुष्ट रहें।

अगर कार्य करते हुए दिक्कतें आएँ तो उन्हें सहर्ष स्वीकार करते हुए, उनके कारणों पर विचार करते हुए शीघ्र समाधान की दिशा में भी कार्य करके उन्हें दूर करने के प्रयास करो; लेकिन चिंता कभी ना करो।

जो कल बीत गया अब हम उसे बदल नहीं सकते हैं; तो हमारा चिंता करना व्यर्थ है। इसी प्रकार आने वाले समय की कोई गारंटी नहीं होती है कि हम जैसा सोच रहे हैं बैसा ही सब कुछ होगा; अतः आने वाले समय के इन्तज़ार में बैठना मूर्खता होगी। जो भी या जितना भी संभव हो आज ही कार्य करें तथा कल के इन्तज़ार में वर्तमान पल के लाभों को ना खोएँ।

स्वयँपर विश्वास करें। ना तो दूसरीं पर निर्भर रहें, ना ही उनकी निर्थक डरी-डरी बातों पर ध्यान दें।

दूसरों से स्वयँ की तुलना कभी भी ना करें अन्यथा आपका आत्म-विश्वास गिर सकता है।

हाँ; सफल लोगों की जीवनी से या उनके कार्य करने के तरीकों को जानना और अपने हिसाब से उनकी अच्छाइयों को अपनाने में कोई बुराई नहीं है।

अगर सुझाव चाहिए तो योग्य, ईमानदार लोगों से ही लो।

हाँ! बीते हुए कल का आकलन करना या भविष्य की योजना बनाना कभी गलत नहीं होता है; यह हमें करना ही चाहिए। इसे हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:--

बीते हुए कल से हम भूलों, कार्य में आने वाली दिक्कतों, स्वयँ की कमजोरियों का पता लगा सकते हैं। इनसे सबक लेकर वर्तमान में उन भूलों को दुबारा होने से बच सकते हैं; साथ ही स्वयँ की कमियों को सुधार सकते हैं। जो भी दिक्कतें आई थीं उनके समाधान खोज सकते हैं।

 

Friday, December 30, 2022

नव-वर्ष के संकल्प l साल 2024 के संकल्प कैसे लें l संकल्प लेने से ही समृद्धि सम्भव है l Resolution in New-Year 2024 l हिंदी

 

नव-वर्ष के संकल्प
(Resolution In New-Year 2023)

नव-वर्ष के संकल्प 

    हम सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विशेष अवसरों पर विशेष कार्यों को पूरा करने या स्वयँ में सर्वोत्तम गुण लाने के संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के लिए नव-वर्ष के संकल्प काफ़ी महत्व रखते हैं।

    संकल्प के द्वारा हम किसी अच्छी बात, कार्यों को करने का दृढ़-निश्चय करते हैं।  

    नव-वर्ष की शुरूआत नई ऊर्जा, उत्साह-उमंग के साथ निश्चित लक्ष्यों के साथ करें।

    यह भी ध्यान रखना जरूरी होगा कि मात्र संकल्प करने भर से कुछ भी हांसिल नहीं होगा; लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दृढ़-इच्छा शक्ति (Strong Will-Power) के साथ-साथ हमें योजना बनाकर समयबद्ध कार्यक्रम अनुसार अनुशाषित होकर कठोर-परिश्रम भी करना होगा।

जो भी संकल्प लें सोच-समझ कर लें। कभी भी संकल्प भाबुकता में आकर ना लें। पहले स्वयँ को जानें, स्वयँ के इच्छित उद्देश्यों, दायित्वों, तथा परिस्थितियों और स्वयँ की काबिलियत, ज्ञान, कौशल, कमजोरियों पर ध्यान देकर छोटे-छोटे दृढ़-संकल्प बनाएँ।

    अगर बड़े संकल्प हैं तो सुबिधानुसार समय-सीमा निर्धारित करते हुए संकल्पों की सूची (List) तैयार करें।

आपको संकल्पों को पूरा करने के लिए स्वयँ से दृढ़-प्रतीज्ञा करनी होगी और चाहे जैसी भी परिस्थिति आ जाए या चाहें दुनिया का कोई भी इन्सान आप से नाराज हो जाए, चाहे अन्य कोई प्रलोभन आएँ; तब भी पहले आप को संकल्प पूरा करने पर ध्यान एकाग्रः करना होगा; उसके बाद ही समय मिलने पर दूसरे कार्य करें। अगर आप ऐसी मानसिक-दृढ़ता पैदा करने में सफल रहते हैं तो संकल्पों को पूरा करना आसान हो जाएगा।

इन सबके लिए आपको मन को वश में रखकर आत्म-नियंत्रित होना होगा। सभी प्रकार के आलस, डर, बाधाओं को दूर करने के लिए कठोर-परिश्रम करने होंगे। ये सब कार्य कठिन नहीं होंगे; अगर आपने स्वविवेक से संकल्प लिए हैं।

    इन संकल्पों के लिए आपको निश्चित लक्ष्य बनाने चाहिए। लक्ष्य भी निश्चित दिशा में, समय-सीमा निर्धारित करते हुए बनाएँ। बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे भागों में विभक्त करके; उन्हें समय-बद्ध तरीके से लिखित समय-सीमा से पहले पूर्ण करने के लिए दृढ-प्रतिज्ञ बनें।

    स्वयं को समय-सारणी (Timetable) और कार्यों के प्रति अनुशाषित रखें। तभी निश्चित समय पर आपके संकल्प पूर्ण होकर आपको खुशहाली, समृद्धि के शिखर तक ले जाएँगे।

" नव-वर्ष या नया जीवन शुरू करने से पहले स्वयँ की इज्ज़त करना सीख लो। दृढ़-प्रतिज्ञ बनो। दूसरों की गुलामी करने की बजाय स्वयँ को समझो, स्वयँ पर विश्वास बढ़ाओ; तभी आप आत्म-विश्वास, ख़ुशी के साथ आगे बढ़ सकते हो।"

" लोगों को खुश करने के चक्कर में स्वयँ के कार्यों, अपनी रुचि, अपनी इज्ज़त-आत्म सम्मान से समझौता कभी ना करो।

अगर आपमें काबिलियत है तो आपको किसी की भी गुलामी करने की जरूरत नहीं; हिम्मत जगाओ और अपनी आत्मा की आवाज सुनो, अपनी रुचि का कार्य तुरन्त शुरू करो; चाहे शुरूआत छोटी ही क्यों ना हो।

जब तुम असली सफलता की जीत हांसिल करोगे तो सभी आपकी इज्ज़त स्वतः ही करने लगेंगे।"


संकल्प (Resolution) 
दृढ़-संकल्पों में शक्ति होती है

    जरूरी नहीं कि संकल्प मात्र नई-साल के पहले दिन ही लें। हमें आवश्यकतानुसार छोटे-छोटे संकल्प लेते रहना चाहिए।
हर दिन, हर सुबह, हर पल हमारे लिए शुभ होते हैं। अतः हाथ पर हाथ धरे ना बैठे रहें और नई साल का ही इंतज़ार ना करते रहें। अच्छे कार्यों की शुरूआत जितना जल्दी हो सके करें; ताकि आप आत्म-विश्वास के साथ जीवन को प्रगत्तिशील बना पाओगे।
    दृढ़-संकल्पों में असीम-शक्ति होती है; अगर आप ये संकल्प पूर्ण लगन, विश्वास के साथ अनुशाषित होकर पूरा करते हो।
    अगर संकल्प लेकर भूल जाओगे तो इनका कोई महत्व नहीं होगा। बगैर संकल्प के जीवन-पथ पर प्रगत्ति करना मुश्किल होता है। संकल्पों को पूरा करने के लिए दृढ़-इच्छा शक्ति का होना जरूरी होगा। अगर संकल्प लेकर भूलना है तो आपका प्रयास व्यर्थ होगा।

हमें निम्न संकल्प जरूर लेने चाहिए-
गलत आदतों को छोड़ने के, नशा या कोई भी बुरी लत को छोड़ने के, आलस को त्यागने के, हमेशा वर्तमान में जीने के, लक्ष्य को पूरा होने तक लगातार कार्य करने के, लक्ष्य से ना भटकने का संकल्प, निडर रहने का संकल्प, स्वास्थ्य सुधार के संकल्प, परिवार में सुख-खुशहाली के
संकल्प।

    हमारी संकल्प शक्ति इतनी प्रबल होनी चाहिए कि जिस लक्ष्य का हम चयन करें; उसे बिना प्राप्त किए कभी भी संतुष्ठ ना हों; दिन-रात एक कर दें; लेकिन लक्ष्य प्राप्त करके ही मानें।
मात्र चाहत या इरादे रखने से कुछ नहीं होगा; इसके लिए दृढ़-निश्चय और पक्का-इरादा करके संकल्प लेकर लक्ष्य पर कठोर-परिश्रम करना होगा; जब तक कि लक्ष्य हांसिल ना हो जाए। तभी आप सर्वश्रेष्ठ बन सकते
हो।

नव-वर्ष के संकल्प
संकल्प लेकर बाधाओं को पार किया जा सकता है। 

    नए साल और शुभ-खुशहाल नए-दिन की प्रतीक्षा हम सभी को रहती है। अच्छे-दिन और नई-साल का पहला दिन आते ही हमारे अन्दर एक नई आशा और उमंग का संचार होता है।

सच में हमारे काफ़ी संघर्षों के बाद हमें नव-जीवन का नया-दिन मिला है; तो हमें इस ख़ुशी को सबके साथ बाँटना भी चाहिए।
अगर विचार करें तो नव-वर्ष पुरानी चीजों को पीछे छोड़कर हमारे लिए एक नई आशा की किरण लेकर आता है।

    हम सब कुछ पुरानी गलत चीजों, बातों, घटनाओं को भूलकर नए-जीवन की सकारात्मक शुरूआत भी कर सकते हैं। हमें इस नए दिन के आगमन का स्वागत सदभाव और ख़ुशी के साथ करना चाहिए। नए-साल के साथ उत्साह, दृढ़-संकल्प की एक कामना छुपी होती है। हमें इस दिन स्वयं को समय देकर नए सिरे से उत्साह के साथ नई-सफलता के लिए दृढ़-संकल्प लेने चाहिए।

    पुरानी भूलों, हारों, असफलताओं से सबक लेकर नई-प्रेरणा के साथ अपने दृढ़-संकल्प करने चाहिए; तभी हम नव-वर्ष में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सक्षम हो सकते हैं।

    हमें जीत, हार दोनों में समभाव की दृष्टि अपनाते हुए अहंकार, ईर्ष्या, पश्चाताप, आत्म-ग्लानि, जल्दबाजी का अबगुण, भाबुकता की भावना, आवेगों से आगे निकलना होगा। हमें अपना व्यक्तित्व विकसित करते हुए सकारात्मक-सोच, विचार, भावना अपनानी होगी; तभी हमारा नया साल हमें बड़ी उपलब्धि और समृद्दि देकर जाएगा।

    देखा जाए तो नए-साल की शुरूआत एक बेहत्तर अवसर होता है; जो हमें अपनी गलतियों, कमियों को सुधार कर आगे बढ़ने के लिए नए लक्ष्य निर्माण की प्रेरणा देता है। अतः हमें इस शुभ-अवसर का लाभ लेना चाहिए।

    अगर नए साल की शुरूआत अच्छे-कार्यों, शुभ-समृद्ध विचारों के साथ की जाए; तो पूरा साल और आगे का जीवन बेहत्तर बनाया जा सकता है। सब कुछ हमारी सोच, समझ पर निर्भर है।
इस अवसर पर हमें सजगता के साथ स्वयँ के कौशल, रूचि अनुरूप आगे तरक्की के लिए निश्चित उद्देश्यों के साथ लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए।


विशेष :

    कभी भी संकल्प अपनी सामर्थ्य से ऊपर के ना बनाएँ; अन्यथा उनके पूर्ण ना होने पर आप हताश हो सकते हैं। आप आधे-अधूरे मन से किए गए संकल्प कभी पूर्ण नहीं कर सकते हैं।
जो भी संकल्प लो; पूर्ण सोच-समझकर लें, पूर्ण-मनोयोग से उसे पूर्ण करने का प्रयास करें। यही वे संकल्प होंगे जो आगे आपके जीवन को सही-दिशा में प्रगत्तिशील बनाकर नई बड़ी सफलता के मूल-स्रोत बनेंगे।

    बुरी आदतें ख़त्म करने और नई अच्छी आदतें डालने में संकल्प-शक्ति काफ़ी सहायक होती है।
संकल्प करके हम प्रगत्ति पाने के लिए हमारे कार्यों, विचारों, भावनाओं को एक सकारात्मक-दिशा देने का प्रयत्न करते हैं; जिससे कार्यों, आदतों को एक निश्चित दिशा मिलती है तथा हम उत्साह के साथ लक्ष्यों के प्रति एकाग्रः हो सकते हैं।

    दृढ़-संकल्प एक प्रतीज्ञा ही होती है; जिससे बुराइयों, कमजोरियों को मिटाकर हम अच्छाई अपनाकर स्वयँ को सक्षम, शक्तिशाली बनाने की प्रतीज्ञा करते हैं l हर प्रतीज्ञा में एक बुराई छोड़ कर उसकी जगह अच्छी बातें स्वीकार करने का प्रयास होता है। जैसे क्रोध ना करने की प्रतीज्ञा के साथ हम शांति, सहयोग की कामना करते हैं। नकारात्मक-सोच को छोड़ने का संकल्प लेकर हम सकारात्मक-सोच को अपनाते हैं। ईष्या-घृणा को छोड़कर प्रेम, सहयोग, सदभावना को बढ़ा सकते हैं।

1. हमें हक़ीक़त के दायरे में जीना होगा

    भाबुकताओं और कल्पनाओं को छोड़कर स्वयँ की सच्चाइयों को स्वीकार करते हुए स्वयँ की कमियों, बुराइयों, गलत आदतों को ख़त्म करके सर्वश्रेष्ठ बनने की दिशा में दृढ़-प्रतिज्ञ होकर नई-शक्ति, जोश, ज्ञान-कौशल तथा अच्छे-आचरण, विचार, आदतों को अपनाना होगा; तभी हम आत्म-विश्वास के साथ नव-वर्ष के लक्ष्यों को हांसिल कर पाएँगे।

    मात्र लक्ष्य बनाने से कुछ भी नहीं होगा; उनको पूरा करने के लिए कठोर-परिश्रम निश्चित दिशा में लगातार बिना रुके करते जाना होगा।
हमारे बनाए लक्ष्यों की योजना और समय-सीमाओं का ईमानदारी, अनुशासन के साथ तय समय-सीमा पर लक्ष्य हांसिल करने होंगे।

2. अपने आप को धोखा देना बन्द करो

    याद करो आपने पहले भी कई नव-वर्ष मनाए हैं, कई प्रतिज्ञाएँ, निश्चय किए हैं; लेकिन आप कभी भी इन्हें पूरा नहीं कर पाए। कभी कारण जानने का प्रयास किया है ? क्यों नहीं किया ? क्योंकि आप अपनी काल्पनिक दुनिया, बुरी लतों-आदतों, बुरे लोगों, बुरे कर्मों में इतने जकड़ चुके हो कि कभी बाहर आने की और स्वयँ को पहचानने की कौशिश ही नहीं करते हो।

    अब भी कोई देर नहीं हुई है; जागो, झूठे सपनों-ख्वाबों की दुनिया से और इसी नव-वर्ष में दृढ़-प्रतिज्ञा करो जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने की, बुरी आदतों-लतों को मिटाने की, साथ ही साथ बुरे लोगों की संगत छोड़ने की; तभी आप जीवन की वास्तविक ख़ुशी, समृद्धि, कठोर-परिश्रम का समय तथा घर-परिवार की ख़ुशी आप पा सकते हैं।

3. स्वयँ को जानो, वर्तमान में रहकर कार्य करो। 
बाधाओं का सामना साहस के साथ करें। 

    यही प्रतिज्ञा आपको संसार में सर्वश्रैष्ठ बना सकती है। अपने जीवन की समृद्दि के जिम्मेदार आप स्वयँ हैं।

अतः अपनी जिम्मेदारियाँ समझें और नव-वर्ष से जिम्मेदारी के साथ स्वयँ को पूरा समय, ख़ुशियाँ देते हुए नव-जीवन में प्रगत्ति-पथ पर आगे बढ़ें।

    हमेशा अपने दिल की सुनों, लोगों के नकारात्मक सुझावों, कटाक्ष को नजरअंदाज करो।

    कभी भी किसी भी परिस्थिति में अपने लक्ष्यों से पीछे ना हटो। परेशानियाँ तो आएँगी ही; लेकिन अगर आपने उन मुश्किलों का सामना कर लिया तो मंज़िल आपके सामने होगी।

ये सब तभी होगा जब आप धैर्य के साथ-साथ स्वयँ पर विश्वास करना सीख लोगे।

    कभी भी अच्छे अवसरों को ना छोड़ना; इसके लिए सूझ-बूझ और योजना के साथ जोख़िम तो लेनी ही होंगी।

    जोख़िम जितनी बड़ी उठाओगे; तो सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी।

    हमेशा सकारात्मक-धारणाओं के साथ सकारात्मक-सोच रखना; तभी अमीरी, समृद्धि, ख़ुशियाँ आपके पास होंगी।

    याद रखना; निरन्तर प्रयास करने से बड़ी से बड़ी बाधा या चुनौतियों को जीता जा सकता है। लेकिन धैर्य रखना जरूरी है।

कभी भी परिणामों की चिंता में निराश ना होना चाहिए।

    होंसले बुलन्द रखना; तभी आप हर मुश्किलों से लड़कर सफलता के शिखर तक सही समय पर पहुँच पाओगे।

4. जो भी कार्य करें स्वयँ के बल पर पूर्ण-समझदारी के साथ करें

दूसरों पर निर्भर रहोगे तो लक्ष्य तक पहुँच पाना सम्भव ही नहीं होगा।

नई-शुरूआत निश्चित उद्देश्यों के साथ करें।

जो भी सोचें या करें उद्देश्यपूर्ण होने चाहिए। जो भी संकल्प लेकर लक्ष्य निर्धारित किए हैं; उन पर शीघ्र कार्यवाही योजना बनाकर करें।


    मुझे आशा है कि आप भी मेरी बातों, सुझावों से सहमत होंगे।

    आएँ; नव-वर्ष की ख़ुशियाँ मनाएँ।

    अपनी ख़ुशियाँ और सहयोग पूरे परिवार, समाज, समुदाय, मित्रों और देश-विदेश में बाटें। अपने विचारों, आदर्शों, सफलताओं की सीमा बढ़ाएँ।  

अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है l अतीत l Past l Success Tips In Hindi

  " वर्तमान में रहकर कार्य करें ; लेकिन लक्ष्य और योजना निर्धारित करते समय अतीत पर भी विचार जरूर करें !" ( अतीत ...