Sunday, January 22, 2023

सफलता के शिखर तक कैसे पहूँचें? l कामयाबी के सूत्र, सफलता को कैसे बनाए रखें? l सफल कैसे बनें l अमीरी के रहस्य

 

सफलता के शिखर तक कैसे पहूँचें?
(कामयाबी के सूत्र, सफलता को कैसे बनाए रखें
?)

कामयाबी की ख़ुशी 

"हर इन्सान की सफलता, असफलता उसकी स्वयँ की आदतों, व्यव्हार, आचरण, चरित्र और सोच पर ही निर्भर होती है।

इन्सान स्वयँ ही अपने भाग्य का निर्माता होता है; जितना श्रम वह सही सोच के साथ करेगा; उतना गुणा ही सफलता पा सकता है। जिस प्रकार के, जिस दिशा में कार्य होंगे; उसी प्रकार के परिणाम होंगे।

अगर आदतें या लोगों के साथ व्यव्हार ही सही नहीं होंगे; तो इन्सान का पतन निश्चित है।

अतः सही सोच, विवेक, धैर्य के साथ परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कठोर परिश्रम सही दिशा में आत्म-विश्वास के साथ करते रहो। यही आपकी सफलता की सीढ़ी बनेंगी "

हर मनुष्य की कामना होती है कि वह और उसके परिवार के हर सदस्य खुशहाल रहें और जीवन में कामयाब इन्सान बनें। हर इन्सान जीवन में सफलता को प्राप्त करना चाहता है, चाहता है कि उसे कभी किसी पर निर्भर ना रहना पड़े तथा साथ ही कामना होती है कि वह पूरे परिवार का लालन-पालन इज्जत, सम्मान, ख़ुशी और हर प्रकार की समृद्धि के साथ करने में कामयाब हो।

हर मनुष्य में यह क्षमता होती है कि अगर वह दृढ-संकल्पों के साथ स्वयँ पर विश्वास रखते हुए धैर्य के साथ सही दिशा में लगातार प्रयास करे तो वह अपनी हर इच्छा, सपने साकार कर सकता है; लेकिन मात्र सोचने भर से या कल्पनाएँ करने मात्र से सफलता प्राप्त नहीं होती हैं। इसके लिए निश्चित उद्देश्यों पर निश्चित लक्ष्य बनाकर कठोर परिश्रम और पुरुषार्थ तो करने ही होते हैं।

चाहें हम कोई भी कार्य करें हमें बाधाओं का सामना तो करना ही होगा। इसके लिए लक्ष्यों पर उद्देश्य पूर्ण विचारों के साथ सूझ-बूझ, लगन के साथ बाधाओं के समाधानों पर भी कार्य साथ-साथ करने ही होंगे; तभी इन्सान सफलता के शिखर को प्राप्त कर सकता है।

सफलता का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है, हर व्यक्ति के लिए सफलता के उद्देश्य, लक्ष्य भी अलग-अलग होते हैं। जैसे एक विधार्थी का लक्ष्य पढ़ाई में अच्छे अंक प्राप्त कर जीवन में अच्छी नौकरी या अच्छे संस्थान में प्रवेश (Admission) लेना हो सकता है। किसी का लक्ष्य अच्छा कार्य करके अच्छा घर बनाना हो सकता है।

एक बात और जीवन के सम्पूर्ण लक्ष्य काफी बड़े होते हैं; जिन्हें कोई भी व्यक्ति एक साथ पूर्ण नहीं कर सकता है। जैसे जिस व्यक्ति का प्रथम लक्ष्य अच्छा घर पाना था; जब वह इसे हाँसिल कर लेगा तो उसके अगले लक्ष्य उत्पन्न होंगे; जैसे बच्चों को अच्छी संस्था में पढ़ाना, बैंक में अच्छी रकम जमा करना ताकि मजबूरी में काम आए या जीवन बिना किसी पर निर्भर हुए सम्मान के साथ जिया जा सके। अन्य लक्ष्य व्यवसाय को बड़ा करने का भी हो सकता है; आदि-आदि।

सबसे अच्छा यही होता है कि हम हम दुनिया के पीछे पागलों की तरह भागना बंद कर दें; इसकी बजाय स्वयँ को समय दें, स्वयँ की मजबूरियों, इच्छाओं पर समय देकर चिंतन-मनन करें तथा लक्ष्यों, उद्देश्यों को छोटे-छोटे भागों में बाँटकर एक-एक करके लक्ष्यों को प्राप्त करते जाएँ; तभी हम क्रमबार सफलताएँ अर्जित करते हुए शिखर तक पहुँचने में कामयाब हो सकते हैं।

जितना उताबले होकर एक साथ लम्बी छलाँग लगाने की कोशिस करेंगे तो हो सकता है हम असफ़ल हो जाएँ।

अतः; स्व-विवेक के साथ छोटे-छोटे लक्ष्यों को बनाकर शिखर तक लगातार मेहनत करते हुए धैर्य के साथ पहूँचें।

इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि हमनें जो भी लक्ष्य बनाए हैं; उन्हें हम प्राप्त भी कर पा रहे हैं कि नहीं?; इसके लिए कार्यों, लक्ष्यों, मौजूद परिस्थितियों-परेशानिओं, प्राप्त परिणामों की समय-समय पर जाँच, विश्लेषण करते रहें।

लक्ष्यों को हम तभी हांसिल कर सकते हैं; जब उन्हें स्व-अनुशासन में रहकर स्वयँ के बनाए लक्ष्यों की योजना के साथ कार्य; लगन और मेहनत के साथ लगातार करें। व्यक्ति को समय-सीमा में रहकर कार्य करने का अनुशासन, हर कार्य को धैर्य के साथ मन लगाकर करना चाहिए; तभी हमें सफलताएँ मिलना संभव होगा।

हमें सदैव कुछ ना कुछ नया सीखते हुए कार्य-कुशलता को बढ़ाकर हर कार्य समय-सीमा से पूर्व ख़त्म करने के प्रयत्न करने चाहिए।

आपकी सफलता नैतिक कार्यों द्वारा अर्जित होनी चाहिए, मानवीय-मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए। कभी भी ऐसा कार्य ना करें; जिससे दूसरों को कष्ट पहुँचे या उनका जीवन ही बर्बाद हो जाए। ऐसा होने पर हम स्वयँ ही ख़ुद की नजरों में गिर जायेंगे और परिवार, समाज, कार्य-स्थल पर भी हम लज्ज़ित और अपमानित ही महसूस करेंगे।

अतः आत्म-बल के साथ सकारात्मक तरीकों से ही इज्जत, सफलताएँ अर्जित करें; चाहे सफलता कुछ ज्यादा समय बाद ही क्यों ना मिले। ऐसे सफलता ही हमें इज्जत, मान-सम्मान के साथ स्थाई सफलता के शिखर तक ले जा सकती है।

अतः सूझ-बूझ के साथ निश्चित उद्देश्यों, लक्ष्यों पर निरंतर आगे बढ़ते रहें।

अन्त में यह भी ध्यान रखें कि चाहें आप कितनी भी बड़ी सफलता क्यों ना हांसिल कर लें; कभी भी अति-आत्मविश्वास में ना आएँ। वर्तमान में रहकर अपनी काबिलियत, कौशल, रूचि, अनुभवों का ध्यान रखते हुए पूर्ण लगन के साथ कठोर परिश्रम सही दिशा में, नई-नई जानकारियों और नए विकसित तरीकों से लगातार करते रहें।

हमेशा दूसरों के मददगार, विनम्र स्वाभाव रखें; तभी दूसरे आपको इज्जत, सहयोग देंगे जिससे आपकी समृद्धि स्थाई रूप से समय के साथ-साथ बढ़ती ही जाएगी।


नीचे कुछ विशेष महत्वपूर्ण तरीके और जानकारियाँ हैं; जिन पर चलकर कामयाबी के शिखर तक पहुँचा जा सकता है। अतः इन्हें चिंतन-मनन के साथ पढ़ें, अपने जीवन में अनुशासित भाव से उतारें; तभी आप सफलतम बन सकते हैं। (ये सब बातें आपके जीवन में खुशियाँ, समृद्धि के साथ-साथ आपको सर्वश्रेष्ठ सफलता में सहायक सिद्ध होंगी।):-

1. आप जब तक हार नहीं सकते; जब तक कि कोशिस करना बन्द नहीं कर देते हो:

आप लक्ष्य निर्धारित करके, आत्म-विश्वास भरे सकारात्मक-दृष्टिकोण के साथ एक के बाद एक कामयाबी हांसिल करते हुए सकारात्मक-सोच के बल पर सफलता के शिखर तक पहुँच सकते हो। लेकिन; यह तभी संभव होगा; जबकि आप स्वयँ पर विश्वास के साथ डरों का सामना करते हुए लगातार कार्य करने को आत्म-प्रेरित हो जाओगे तथा चाहें कितनी भी बड़ी बाधा क्यों ना जाए; आप बिना रुके धैर्य के साथ कोशिस करते रहोगे।

अगर आप कार्यों की सफ़लता के प्रति दृढ़-संकल्पित हैं; तो धीरे-धीरे कार्यों को सफल बनाने के लिए आवश्यक जानकारी, कौशल, ज्ञान तथा कार्यों के जानकार व्यक्तियों को पा ही लेंगे; बस आपको जरूरत है तो एक साहसी कदम कार्य को शुरू करने की दिशा में बढ़ाने की।

2. टालमटोल से बचें :
मुसीबतों का सामना साहस के साथ करें !

हमारी मुख्य समस्या ही कार्यों को सही समय पर तुरन्त शुरू ना करने की ही होती है। हम कल-कल करते-करते सालों गुज़ार देते हैं फिर असफ़ल होने पर पछताते रहते हैं कि; अगर यह कार्य पहले शुरू कर देते तो काफ़ी अच्छा होता।

ये सब हमारी मात्र सोचते रहने की गन्दी आदत, मन में उत्पन्न डरों के कारण ही होता है।

अतः नकारात्मक डरों को जितना जल्दी हो सके दिमाग़ से निकाल दो तथा निश्चित उद्देश्यों, लक्ष्यों को बनाकर कार्य जितना जल्दी हो सके शुरू कर दो; तभी परिस्थितियाँ धीरे-धीरे स्वतः ही आपके अनुकूल होती चली जाएँगी।

कोई भी कामयाबी 1-2 दिन में नहीं मिलती है; अतः कार्यों के साथ-साथ धैर्य बनाए रखना भी जरूरी होगा तभी आप ध्यान को कार्यों पर एकाग्रः कर पाएँगे। 

3. हमेशा बड़ी सोच के साथ अमीरी और प्रगत्तिशील सोच के साथ आगे बढ़ो; तभी समृद्दि और महानता आपके पास होगी :

1. कभी भी छोटी-छोटी सफलताओं को पाने पर ही अति-आत्मविश्वास या घमण्ड में बैठे रहकर शाँत ना हो जाएँ। असली विजेता बनने के लिए सफलताओं को बरकरार रखते हुए अगले बड़े लक्ष्य हाँसिल करते रहना जरूरी होता है; तभी आपकी सफलताएँ स्थाई रह पाएँगी तथा आप प्रतियोगी वातावरण का सामना कर पाएँगे।

असली विजेता बनने के लिए समय की माँग को समझते हुए स्वयँ को, कार्यों को करने के तौर-तरीकों में भी सकारात्मक परिवर्तन करते रहना होगा; तभी प्रतियोगी वातावरण में शिखर पर रह सकते हैं।

2.  चाहें कितनी भी परेशानियाँ आएँ, परिस्थितियाँ आपके लक्ष्यों के प्रतिकूल हों; लेकिन आपको हार स्वीकार नहीं करनी है।

ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलता के वातावरण में कारणों को खोजकर; समाधानों के साथ-साथ लगातार दुगुने-उत्साह के साथ कार्य लगातार करते जाना होगा; तभी आप आत्म-विश्वास के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता के अवसर खोज सकेंगे और सफलता भी प्राप्त करेंगे।

3. अगर आप खोजेंगे और पता करेंगे तो पाएँगे कि आज की दुनिया में अधिकाँश जितने भी महानतम-व्यक्ति, उधोगपत्ति, समृद्दि प्राप्त हस्तियाँ हैं; उन्होंने भी अपने कार्यों की शुरूआत हमसे भी बदतर हालातों, परिस्थितियों, साधनों के अभाबों के साथ ही की थीं तथा कई बड़ी-बड़ी एक के बाद एक असफलताओं का भी सामना किया था; लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और लगातार लक्ष्यों पर डटे रहकर कठिन मेहनत के बल पर आगे बढ़ते रहे, इन्होंने कभी भी लक्ष्यों से समझौता नहीं किया; इसी कारण आज वे सफलता के शिखर पर हैं।

हम भी ऐसा कर सकते हैं।

अतः; दृढ़-संकल्पशक्ति, डरों से सामना करने की क्षमता का हम भरपूर उपयोग करके हर हाल में लक्ष्यों पर कार्य करें। तभी हम सफलता के शिखर पर पहुँच सकते हैं।

लोगों, परिस्थितियों आदि से कभी ना डरो। कभी भी किसी पर ना तो निर्भर रहो, ना ही उनसे तारीफ और सहयोग की अपेक्षा रखो; जो भी निर्णय लो स्वविवेक से स्वयं के दम पर लो और उन्हें पूरा करने में जी-जान लगा तो; तब आपको शिखर तक पहुँचने से कोई बाधा रोक ही नहीं पाएगी।

4. हमेशा स्वयँ को सकारात्मक बनाओ :
कृतज्ञता के साथ सकारात्मक-दृश्टिकोण

स्व-अनुशासन के साथ हर कार्य करें, स्व-प्रेरित रहें और अपने व्यक्तित्व, बोलचाल के तरीकों में सर्वश्रेष्ठ परिवर्तन करके आकर्षक, कार्यों के अनुरूप करें।

ज्ञान, कौशल तथा प्रेरणा प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम और सफलतम लोगों की पुस्तकें पढ़ें, उनकी जीवनियाँ पढ़ें।

कौशल विकास के लिए सेमिनार में जाएँ, ट्रेनिंग लेकर अपने अनुभव, कौशल को बढ़ाते रहें।

लोगों का सम्मान, सहयोग प्राप्त करने के लिए सकारात्मक-भाव के साथ लोगों को सहयोग दें, उनको प्रेरित-प्रोत्साहित करते रहें। इससे आपके पास सहयोगियों की एक श्रंखला बनेगी; जो आपको सहयोग भी देंगे और आपकी तरक्की में सहायक सिद्ध होंगे।

स्वयँ को, अपने उद्देश्यों को तथा लक्ष्यों को जानें। अपनी रुचियों, प्रतिभाओं को बाहर लाएँ, अपनी कमजोरियों का पता लगाकर उन्हें सीखकर विकसित करें।

5. जितना जल्दी संभव हो; कार्यों की शुरूआत कर दो :

ज़्यादा सोचने में समय बर्बाद ना करो, शीघ्र चिंतन-मनन करके योजना पर कार्य आरम्भ कर दो।

जो भी करें सोच-समझकर पूर्ण योजना के साथ करें और चाहें कैसे भी प्रलोभन या बाधाएँ आएँ; कभी भी ना तो लक्ष्य बदलें और ना ही कार्य करना ही छोड़ दें।

अगर सफल होना है; तो जीवन में जोखिम तो उठानी ही होंगी, मेहनत तो करनी ही होगी।

अतः दृढ़-संकल्पों के साथ लगातार कार्य करते रहें; तभी आप सफल बन सकते हैं।

6. वर्तमान में रहकर कार्य करें :

वर्तमान में रहें। अतीत और भविष्य पर चिंतित कभी ना हों।

आपको बस धैर्य के साथ कार्य करते जाना है; लेकिन कभी भी कल्पनाएँ करके परिणामों की चिंता ना करो।

हमेशा आशावान रहो, सकारात्मक सोचो।

हमेशा स्वयँ पर, अपने लक्ष्यों और कार्य-योजनाओं पर विश्वास रखें, जोश-उत्साह के साथ कार्य करें; तभी आप परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत रख पाएँगे तथा काम करने में मन लगेगा।

7.कार्यों को लोगों के साथ मिलकर एक टीम बनाकर करें; तभी कार्यों में विस्तार कर सकते हैं:

कोई भी कार्य तभी विस्तार कर सकता है; जब आप अपने कौशल, अनुभवों के बल पर दूसरे लोगों को प्रशिक्षित कर अपने छोटे-छोटे कार्यों का दायित्व सोंपें तथा स्वयँ को कार्यों के विस्तार और उनकी प्रगत्ति में लगाएँ; तभी आप प्रगत्तिशील सफलता प्राप्त कर पाएँगे।

अपने साथ कार्य करने वाले लोगों, कर्मचारियों पर विश्वास करें, उनके कौशल बिकास में सहायता करें, उनको उनके अच्छे कार्यो के लिए प्रोत्साहित भी करें। इनसे आपके साथी और कर्मचारीगण सच्चे दिल, मन से आपकी सफलता में सहायक सिद्ध होंगे तथा आप कार्यों का विस्तार चिंतामुक्त होकर कर पाएँगे।

8. सफल लोगों से ही मिलो और सलाह लो; लेकिन नकारात्मक और असफल लोगों से कभी भी सलाह ना लो :

अच्छे सफलत्तम तथा सकारात्मक-भावनाओं वाले लोगों से मिलना-जुलना और सलाह लेना या ऐसे लोगों को अपने कार्यों में सहयोगी बनाना कभी बुरा नहीं होता है। लेकिंन निकम्मे, जलन की भावनाओं वाले, चुगलखोर, मक्कारों, आलसी, हीन-भावनाओं वाले, दंगा-फसाद या लड़ाई-झगड़े में विश्वास करने वाले लोगों से दूरी बनाना ही उच्चित होता है। ऐसे लोगों से सम्बन्ध रखने से आपकी सफलता प्रभावित हो सकती है।

गलत लोगों की गलत सलाह; आपके समय बर्बादी के साथ-साथ सफलता से दूरी बना सकती है या कई बार आप बड़ी मुसीबत में भी पड़ सकते हैं।

अतः; लोगों, सहयोगियों का चुनाव सोच-समझकर ही करना चाहिए।

9. एक बार में एक ही लक्ष्य पर कार्य करें :

कभी भी एक बार में एक से अधिक उद्देश्यों या लक्ष्यों पर कार्य ना करें। यह बात आपकी धैर्य-शक्ति को गिरा सकती है तथा जल्दबाजी में गलत निर्णय लेने की आदत बन सकती है; जिससे सही समय पर सही निर्णय ना लेने या सही समय पर सफलता हांसिल करने से चूक सकते हैं।

एक-एक करके लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान होता है। इससे हमारे मन-मस्तिष्क पर भी कार्यों का तनाब कम होगा; साथ ही एक लक्ष्य से प्राप्त अनुभव के कारण दूसरे लक्ष्य पर समझ बढ़ेगी तथा हमारा आत्म-विश्वास भी सफलता दिलाने में सहायक होगा।

10. बहाने बनाना बन्द करो :

कभी भी कार्यों को जल्दी पूरा करने के चक्कर में शार्ट-कट अपनाकर मुसीबतों में ना फँसो; जो भी करें उसे अच्छे-वास्तविक तरीकों के साथ, गुणवत्ता के साथ करें; तभी कार्य आपको सफल और सर्वश्रेस्ठ बना सकते हैं। शार्ट-कट अपनाकर कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे।

आप बेईमानी के साथ कभी स्थाई सफलता हाँसिल नहीं कर सकते हैं; अगर किसी भी प्रकार छोटी सफलता हाँसिल कर भी ली तो आने वाले समय में आप बड़ी मुसीबतों में फंस सकते हैं। ऐसी बेईमानियों के कारण व्यक्ति स्वयँ की आत्मा से भी गिर जाता है तथा समाज में उनकी कोई इज्जत नहीं करता है। ये लोग कभी भी चिंता मुक्त जीवन व्यतीत कर ही नहीं सकते हैं। ऐसे लोग हमेशा डर और चिंता के साथ जीते रहेंगे तथा कब शीर्ष से गर्त में गिर जाएँगे पता भी ना चलेगा। अतः ईमानदारी, गुणवत्ता के साथ हर कार्य करें; तभी वास्तविक खुशी के साथ स्थाई सफलता हम प्राप्त कर पाएंगे।

चाहें कामयाबी थोड़ी लम्बे समय बाद मिले; लेकिन सदा ईमानदारी, मानवतावादी तरीकों से कार्य करके, स्वयँ की मेहनत के बल पर सफलता हाँसिल करो। ऐसी सफलता ही दुनिया में सफलता कहलाती है; जिन पर स्वयँ, देश, विश्व गर्व महसूस करते हैं। हम सब इन्हीं लोगों को आदर्श मानकर इन लोगों की बातो का अनुसरण करते हैं। 

अपने कार्यों की जिम्मेदारी स्वयं लें, कभी भी दूसरों पर निर्भर निर्भर होकर कार्य ना करें; असफलताओं की जिम्मेदारी ईमानदारी के साथ स्वीकार करें। कभी भी अपनी असफलताओं और परेशानियों की जिम्मेदारी दूसरों पर ना डालें। जो भी कमी रह गई थी या परिवर्तन करना है; स्वयं में करो।

परिस्थितियों को सही करने की जिम्मेदारी हमारी ही है; और किसी की नहीं।

अगर आप परिवर्तित होंगे तो सभी परिवर्तन स्वतः ही धीरे-धीरे आपके अनुकूल होते जाएँगे।

परिस्थितियों के अनुसार स्वयँ में सर्वश्रेष्ठ परिवर्तन लगातार आदत रूप में करते रहें, आदतें सकारात्मक करें; ईमानदारी के साथ अपने चरित्र, व्यक्तित्व को कार्यों के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ बनायें; ये सब कार्य आपकी इज्जत के साथ-साथ आपकी सफलता में सहायक सिद्ध होंगे।

आपको कभी भी दूसरों से तुलना करके स्वयँ को कम नहीं आँकना चाहिए। स्वयँ पर ध्यान दो, अपने कौशल, ज्ञान को कार्य के हिसाब से विशेष बनाने के प्रयास करो।

11. निश्चित उद्देश्यों के साथ; लक्ष्य निर्धारित करके ही सफलता की दिशा में चलना संभव होगा:

अगर जीवन में सफल होना है; तो हमें जीवन को उद्देश्यों के साथ जीना आना चाहिए। हमें क्या बनना है?, कब तक सफलता चाहिए?, किस दिशा  में, किस प्रकार आगे बढ़ें? आदि-आदि; इन सब बातों की निश्चित योजना भी लिखित में बनाना आवश्यक है; तभी हम एक निश्चित दिशा में समयबद्ध कार्यक्रम के हिसाब से आगे बढ़ सकते हैं। ये विस्तृत लिखित लक्ष्य बनाकर आसान हो सकता है।

कोई भी कामयाबी भाग्य भरोसे हांसिल नहीं की जा सकती है; इसके लिए धीरे-धीरे एक-एक कदम सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ कार्य करते हुए आगे बढ़ना होता है।

अगर लक्ष्य बड़े हैं तो धैर्य के साथ इन्हें छोटे-छोटे भागों में बाँटकर एक के बाद दूसरे लक्ष्य पर आगे बढ़ें। कभी जल्दबाजी ना करें। पहले लक्ष्य को सफल होने दें; तभी अगले लक्ष्य पर कार्य करें। इस प्रकार आपका आत्म-विश्वास बढ़ता जाएगा; जो अगले लक्ष्यों को ख़ुशी के साथ सफल बनाने में आपको मददगार होगा।

कभी भी छोटे-छोटे कार्यों और कामयाबियों को हल्के में ना लो; इनको करने से प्राप्त अनुभव ही आपको अगली सफलता में आधार-स्तम्भ बनेंगे। बिना इनके बड़ी सफलता पाना मश्किल होगा।

अतः धैर्य के साथ एक-एक कदम आगे योजना के साथ बढ़ते रहें।

अपने ज्ञान, कौशल, काबिलियत का भरपूर उपयोग करो और लक्ष्य की दिशा में अनुशासन के साथ समय-सीमा में रहकर कार्य उत्साह-उमंग, सफलता की आशा के साथ करते रहें।

कभी भी दूसरों पर या किस्मत पर निर्भर ना रहें। समय का सदुपयोग करो; तभी सही समय पर बड़ी सफलता संभव होगी।

12. तुरन्त निर्णय लेकर तुरन्त कार्य आरम्भ करने की आदत डालो:

हर सफलता सही समय पर ही अच्छी लगती है। अतः मात्र सोचने-विचार करने में ही समय, दिन, सालों ना बर्बाद करो; जो भी सोचा-समझा है; उस पर कार्य करना शुरू करें।

स्वयं के कौशल, अनुभव, ज्ञान, कार्य-दशाओं को पहचानें, उसी अनुरूप कार्य जितना जल्दी संभव हो; तुरन्त शुरू कर दें।

आलसी बनना, शुरू में ही सविधाएँ तलाशना (confort zone) या पहले ही विशेषज्ञता हांसिल करने में समय बर्बाद करना आदि-आदि के चक्कर में समय बर्बाद ना करो।

जब कार्य शुरू कर देंगे; तभी आपको अलग-अलग सभी तरह की कार्य से सम्बन्धित जानकारियाँ, कौशल प्राप्त होंगे। कभी भी शुभ समय के इन्तजार में हाथ-पर हाथ धरे बैठे ना रहो; अन्यथा सही समय या लोगों के सहयोग के इन्तजार में सफलता की सम्भावनाएँ ही कम होती चली जाएँगी। हो सकता है; आपकी इस भूल और डरों या आलस का फायदा आपके प्रतियोगी को हो जाए और इस एक छोटी सी गलती के कारण आप सफलता की महत्वपूर्ण प्रतियोगिता से ही बाहर हो जाएँ।

तरक्की करनी है; तो आपको दूसरों से हटकर सोचना-समझना होगा। कार्यों को करते हुए ही कौशल, ज्ञान, तकनिकी जानकारियाँ बढ़ाते जाना होगा।

कभी भी कार्यों को टालने की आदत ना डालो। आज का कार्य आज ही; या संभव हो तो अभी ख़त्म करने की आदत डालें।

जब तक एक कार्य पूर्ण ना हो; तब तक दूसरा कार्य हाथ में कभी भी ना लो।

आपको जो भी कार्य करने हैं, उनकी पूर्व-योजना दिन की शुरूआत में या रात को सोने से पहले जरूर तैयार कर लें; तभी आप कार्यों पर नियन्त्रण रख पाएँगे।

कभी भी योजना के साथ जोखिम लेने से ना डरो। अगर आप में कौशल, ज्ञान है, कार्य आपके रुचि के अनुरूप है; तो जोखिम लेने से कभी ना डरो।

चाहें शुरुआत छोटे स्तर से करें; लेकिन तुरन्त करें। तभी यह छोटी शुरुआत आपकी मेहनत, लगन, कौशल के बल पर बड़ी कामयाबी में सही समय पर जरूर परिवर्तित होगी।

अतः सोचना छोड़ो, शुरुआत करो।

13. कार्य को बढ़ाने, पैसे से पैसा बनाने का ज्ञान प्राप्त करो:

जब तक कार्यों, सेवाओं, व्यवसाय को बढ़ाना या पैसे से पैसा बनाना नहीं आएगा; तब तक आशा अनुरूप समृद्दि, लाभ नहीं मिल सकता है।

इन कौशलों को सीखकर; अपने हिसाब से उपयोग में लेना जरूरी है। इसके लिए प्रयास करें, किताबें पढ़ें या ट्रेनिंग और सेमिनारों में जाकर जानकारी इकट्ठी करें।

अतः; इन्हें प्रयास करके सीखें, समझें और उपयोग में लाएँ।

सजगता के साथ कार्यों, व्यवसाय, सेवाओं का विस्तार और निवेश इनकी वृध्दि के लिए करें। ऐसा सूझ-बूझ और दिमाग का उपयोग करते हुए करें।

कभी भी निवेश करते समय जल्दबाजी या भाबुकता में ना आएँ; सही निर्णय लेकर ही कार्य करें।

ये ही वह महत्वपूर्ण बात है; जिससे अमीरी, समृद्दि पाई जा सकती है।

14. आप ही अपनी सफलता या असफलता के लिए जिम्मेदार होते हैं: 

आप अपना उज्ज्वल भाग्य बना भी सकते हैं या बिगाड़ भी सकते हैं; ये सब आपकी सोच, आदतों, व्यव्हार, चरित्र, निर्णय लेने की क्षमतओं, धारणाओं पर निर्भर करता है।

इसे हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं :-

* आप परिस्थितियों के अनुसार अपनी क्षमता, कौशल बढाकर बड़ी चुनौतियों में भी सफलता अर्जित कर सकते हैं। अतिरिक्त समय देकर अन्य आवश्यक कार्यों को करते हुए भी हम सही समय पर लक्ष्य पूर्ण कर सकते हैं; ये सब हमारी परिस्थितियों के प्रति नजरिये और सूझ-बूझ पर निर्भर करता है।

* आप लक्ष्य पर कितने संकल्पित हैं (दृढ़-संकल्प), नियमित कार्यों का आकलन किस प्रकार करते हैं और परिणामों की समीक्षा करके कार्य में किस प्रकार परिवर्तन करते हैं, आप कार्यों में नए-नए तरीकों और तकनिकों को कितना प्रयोग करते हैं, आदि-आदि इन सब बातों पर आपकी सफलता निर्भर करती है।

* जितनी ज्यादा जानकारी इकट्ठी करके उन्हें उपयोग में लाते रहेंगे; उतना ही आपके कार्यों का सही दिशा में विकास होता चला जाएगा। अतः स्वयँ को और कार्यों के विकास पर ध्यान दें, इनकी गुणवत्ता और वैल्यू बढ़ाने के निरन्तर प्रयास करते रहें।

* आप लक्ष्य पर एकाग्रता तभी ला पाएँगे; जब आपके सोचने-समझने का नजरिया (mindset) प्रगत्तिशील होगा।

आपको स्वयँ को, कार्यों को परिस्थितियों के अनुसार ढ़ालना आना चाहिए; तभी आप हर परिस्थिति में बिना रुके लक्ष्य की दिशा में कार्य करके योग्यता हांसिल कर सकते हैं।

जो भी कार्य करें; लक्ष्य के साथ समय-सीमा का ध्यान रखते हुए करें तभी आपके सफलता के उद्देश्य पूर्ण हो सकते हैं।

 

अन्त में:

कामयाबी के शिखर पर पहुँचने के लिए दृढ़-संकल्प के साथ; लक्ष्यों पर लगातार आत्म-विश्वास रखते हुए कठोर परिश्रम करो।

सफलता पाने के लिए आपको अपने निरर्थक एशो-आराम, आलसीपन को त्यागना होगा।

यह सिद्ध बात है कि जो व्यक्ति शुरू-शुरू में जितना जल्दी सफलता की दिशा में मेहनत कर लेता है; वही विजेता बनता है तथा इसके बाद उसे स्वतः ही सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ, आरामदायक-जीवन, तनाब-मुक्त जीवन मिलता है।

लेकिन जो शुरू-शुरू में; जवानी के जोश में मौज-मस्ती में समय बर्बाद कर देता है; वह जीवन में वास्तविक बड़ी सफलता कभी भी हांसिल नहीं कर सकता है; तथा ऐसे लोग बचा जीवन अभावों, आत्म-ग्लानि के साथ, चिंताओं के साथ निकालते हैं और जीवन भर पछताते रहते हैं।

अतः; अब भी समय है (जब जागो; तभी सवेरा) उठो, निश्चित उद्देश्यों के साथ-साथ लक्ष्य निर्धारित करो और आराम, डरों को नकारते हुए अपने बल पर बड़ी जीत की तैयारी में दृढ़-संकल्प और लगन के साथ जुट जाओ। ऐसा करने पर आप जरूर सफलत्तम इंसान बनेंगे।

स्वयं पर विश्वास करें। इरादे मजबूत रखो, सब कुछ संभव हो जाएगा।

जो भी निर्णय लें सोच-समझकर लें। जल्दबाजी में कभी कोई राय ना बनाएँ और ना ही निर्णय लें।

हमेशा ध्यान रखें "डर के आगे जीत है "; अतः योजना बनाकर सूझ-बूझ के साथ जोखिम लेने से कभी ना डरो; तभी आप सफलता के शिखर पर पहुँचेंगे।

अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है l अतीत l Past l Success Tips In Hindi

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