विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं I

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 विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं l CONTROL YOUR BREATHING TO CONTROL MIND  हाँ ! मस्तिष्क से उठे तरह-तरह के अलग-अलग विचारों का जाल ही मन है I  मन अस्तित्वहीन है; जिसे हम दिल की गहरी भावनाओं के साथ जोड़कर खुश भी होते रहते हैं, या कभी कभी इतने दुखी, और निराश भी हो जाते हैं कि सब कुछ अशांत-दुखी, और बैचेन हो जाता है I  अतः; अगर आपको हर क्षण ख़ुशी-शांति, और तरक्की को अनुभव करते हुए पूर्ण स्वस्थ और सुखमय जीवन चाहिए-- तो स्वयँ को समझना, और स्वयँ को समय देकर अपने अंतर्मन की भावनाओं-विचारों, और तीब्र-इच्छाओं को विवेकशीलता के साथ समझना शुरू कर दो I  मन के जाल में ना फँसो; बल्कि बुद्धि का उपयोग करें, और मन में चल रहे विचारों का आत्मावलोकन शाँति, और धैर्य बनाए रखते हुए करें; तभी आप सही निष्कर्षों पर पहुँच कर सही निर्णय ले पाएँगे I  इससे हर कार्य सफ़ल भी होंगे, और आप हर प्रकार के तनाबों, तथा चिंताओं से भी बचे रहेंगे I मन क्या है ? ख़ुशी के साथ तनाबमुक्त सफलता पाने का रहस्य ● निम्न हिंदी वीडियो आपके लिए हितकर होंगे; कृपया चिंतन-मनन के साथ उपय...

अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है l अतीत l Past l Success Tips In Hindi

 

" वर्तमान में रहकर कार्य करें; लेकिन लक्ष्य और योजना निर्धारित करते समय अतीत पर भी विचार जरूर करें !"
(अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है; इससे ही हमें वर्तमान में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने की सीख मिलती है।
)
अतीत की अच्छी यादें 

"वर्तमान में रहकर कार्य करें; लेकिन लक्ष्य और योजना निर्धारित करते समय अतीत पर भी विचार जरूर करें !"

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरा आशय समझ रहे हैं कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ; जबकि हम सब एक ही बात कहते हैं कि अतीत और भविष्य की चिंताएं और उन पर दुःख मानाने मैं समय बर्बाद ना करते हुए हमें वर्तमान कार्यों पर ध्यान एकाग्रः करना चाहिए।

हाँआप  सही बोल और समझ रहे हैं, मैं भी यही मानता हूँ कि अतीत और भविष्य की बुरी बातों से ध्यान हटाकर; हमें वर्तमान पर ध्यान एकाग्रः करके वर्तमान को सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा; तभी हमारा भविष्य सर्वश्रेष्ठ और खुशहाल होगा।

यहाँ मैं इसी बात मैं एक सुझाव यही देना चाहता हूँ जो कि सफलता के लिए आवश्यक है बह है; कि हमें लक्ष्य और योजना बनाते समय हमारे हर उद्देश्यों के साथ-साथ हमारे अतीत के सभी अच्छे-बुरे क्षणों, सफलता-असफलता के कारणों की एक बार पुनरावृत्ति अवश्य करनी चाहिए।



और जो भी योजना या लक्ष्य निर्धारित करें; विवरण के साथ लिखित मैं समय-सीमा निर्धारित करते हुए (वर्तमान के कार्य, भविष्य के लक्ष्य और योजना दोनों अलग-अलग लिखें ) बनाएँ।

ऐसा करते समय अतीत के कार्यों, कार्य दशाओं और सभी जानकारियों पर ध्यान देकर ही नई योजना बनाएँ।

इससे आप व्यावहारिक लक्ष्य और समय-सीमा निर्धारित कर पाएंगे। आपके पुराने अनुभव आपको क्या अच्छा रहेगा और क्या बुरा इसे पहचानने में आपकी मदद करेंगे।

अगर हम नए लक्ष्य निर्धारित करते समय अतीत पर ईमानदार भाव के साथ विचार करें; तो हम स्वयं की क्षमतओं, कुशलताओं और परिस्थितियों को अच्छे से समझते हुए योजना को प्रभावी बना सकते हैं। जल्दबाजी मैं बिना सोचे-समझे बनी योजनाएँ हमें हानिकारक भी सिद्ध हो सकती हैं।

अतीत के अनुभव ही हमें लोगों की पहचान करना सिखाते हैं। अच्छे-बुरे अनुभवों से काफ़ी कुछ सीखकर उन गलतियों को दुबारा दुहराने से बच सकते हैं।

बुरे लोगों से दूरी बनाकर अच्छे लोगों से लाभ कैसे लेना है ?; इसकी योजना अतीत पर ध्यान देकर ही बना सकते हैं।

कौनसा कार्य हमें ज्यादा लाभकारी होगा और कौनसा छोड़ दें; यह समझ भी हमें अतीत के कार्य अनुभवों से ही मिलती है।

अतीत की बातों से ही हमें हमारी अच्छाइयों और कमियों की जानकारी मिलती है; जिन्हें समय पर सुधारा जा सकता है। पुराने प्राप्त अनुभव हमारे वर्तमान को अच्छा बना सकते हैं (अगर विश्लेषण कर इन्हें प्रयोग करने की पूर्ण योजना बनाएँ तो लाभ जरूर मिलता है )

जब तक हम अतीत के लक्ष्यों का तुलनात्मक विश्लेषण नहीं करेंगे तो हमें उन अपूर्ण महत्वपूर्ण लक्ष्यों की जानकारी ही नहीं मिलेगी जो कि समय के अभावों के कारण हम पूर्ण नहीं कर पाए हैं। वर्तमान में हम योजना बनाकर इन अपूर्ण कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूर्ण कर सकते हैं।

वर्तमान की अच्छी और व्यवहारिक योजना बनाने के लिए अतीत के अनुभव काफ़ी काम आते हैं। यहाँ तक कि अतीत की भूलों को जानकर, उन्हें दुबारा ना दुहराने के उपाय करके हम वर्तमान में कार्यों, लक्ष्यों की सफलता की सम्भावना को बढ़ा सकते हैं।

अतः; अतीत में आप क्या खोए थे ?, क्यों नहीं कर पाए ?, किसने आपको धोखा दिया ?; उन बातों पर दुःख ना मनाएँ। जो हो गया उसे अब सही भी तो नहीं किया जा सकता है; लेकिन इन सभी धोखों और असफलताओं, भूलों, हारों, आदि-आदि से सीख लेकर वर्तमान में उन्हें ना दुहराने से सजगता के साथ बचा जा सकता है।

नई योजना बनाते समय अतीत के लक्ष्यों पर आत्म-विश्लेषण, आई परेशानियों और उपलब्धियों पर विचार करना महत्वपूर्ण होता है। हो सकता है कुछ ऐसे कौशल होंगे; जो आप समय की कमी के कारण या दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों को पूर्ण करने की अनिवार्यता के कारणवश हँसिल नहीं कर पाए हैं। इन अधूरे कार्यों, लक्ष्यों और कौशल पर ध्यान देकर नए कौशल विकास के साथ-साथ नए लक्ष्यों के अनुसार बड़ी सफलता प्राप्त करने की योजना बना सकते हैं।

अगर नए लक्ष्य मुश्किल और असंभव लगें; तो अतीत की उपलब्धियों को याद करना और चिंतन-मनन करना कि उस समय कठिन लक्ष्य कैसे प्राप्त किए थे ?; ऐसा करने पर आपका आत्म-बल और आत्म-विश्वास बढ़ेगा, साथ ही आप समझ पाएँगे कि अगर धैर्य के साथ व्यावहारिक योजना बनाएँगे तो एक सही समय समय पर जरूर असंभव लगने बाला कार्य या लक्ष्य भी प्राप्त होगा; बस जरूरत है तो स्वयँ पर आत्म-विश्वास के साथ लगातार योजना पर अनुशासन के साथ कार्य करने के दृढ़-संकल्पों का पालन करने और कार्य करने की।



निम्न बातें ध्यानपूर्वक चिंतन-मनन के साथ जीवन में प्रयोग करें; तभी आपको कोई भी बात सफल होने से रोक नहीं पाएगी :-

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