योग_ध्यान_साधना से सफ़लता
यहाँ आप योग, ध्यान और साधना के साथ-साथ सफ़लता के मूल ज्ञान को पा सकते हो ! हमारा उद्देश्य आपको सत्य ज्ञान तथ्यों के साथ देना है; ताकि आप स्वस्थ तन, और मन के साथ-साथ सफ़लता के शिख़र तक पहुँच पाएँ !
चिंता l चिंतन l चिंता-चिंतन l worry l concerns l मनन
6. किसी भी परेशानी या रुकावटों का सामना हम विश्वास के
साथ या चिंता के साथ कर सकते हैं-
यह सब स्वयँ पर ही निर्भर करता है। अतः; अगर ख़ुशी के साथ
सफ़लता चाहिए; तो नकारात्मक भावों से बचते हुए चिंताओं के समाधानों पर दृढ़-संकल्प के
साथ प्रयास करें; लेकिन निराशा और चिंता से दूर रहें।
इसकी चिंता छोड़ दो कि कुछ गलत भी हो सकता है। अगर हम सफ़ल
होने की कामना के साथ आत्म-विश्वास से सही योजना के साथ निश्चित लक्ष्यों पर मेहनत
करेंगे तो सफ़लता ना मिले ऐसा हो ही नहीं सकता है।
लेकिन इसके लिए सजगता के साथ कठोर परिश्रम तो करना ही होगा
और आलश्य भी त्यागने ही होंगे।
7. अपनी कल्पनाओं को डर की भावनाओं की बजाय सकारात्मक उपायों
पर लगाएँगे; तभी समाधानों पर ठन्डे दिमाग़ से आत्म-विश्वास के साथ चल पाओगे।
चिंता के भाव रखोगे; तो अवसाद के साथ-साथ कायरता, निराशा,
खिन्नता, बैचेनी और मानसिक बीमार ही बनते जाओगे।
चिंता करने से लाभ कभी भी ना होगा; बल्कि आप और हानि की
दिशा में ही बढ़ते जाओगे।
8. चिंताग्रस्त होने पर समस्याओं का सामना करना मुश्किल
हो जाता है।
अतः चिंता की बजाय चिंतन-मनन करके समाधानों की दिशा में
आगे बढ़ें; लेकिन फ़ल या सफ़लता कब मिलेगी; इसकी चिंता कभी ना करें।
हमारा कार्य और ध्यान मात्र लगातार प्रयास करने और स्वयँ
को उन्नत करते जाने पर होना चाहिए; तभी समस्याओं के समाधानों के साथ-साथ चिंता-मुक्त
रह सकते हैं।
9. अधिक चिंतित होना हमारे कमज़ोर आत्म-विश्वास, हमारी लाचारी,
अज्ञानता को प्रदर्शित करता है।
धैर्य, सहनशीलता, और संघर्ष की शक्ति के बल पर हम तनाव,
चिंता, बेचैनी से बचे रह सकते हैं।
सकारात्मक-सोच के साथ नकारात्मक-विचारों और डरों को कम
करना आसान होता है।
10. हमें सुख-दुःख दोनों पलों को समभाव के साथ सहन करना
आना चाहिए।
कभी भी सफलताओं के कारण इतने अभिमानी भी ना बनो कि आगे
बढ़ना ही छोड़ दो; असफ़ल होने पर भी सकारात्मक भाव से पुनः सफ़ल होने की दिशा में अथक प्रयत्न
बिना निराशा और चिंता के करते रहें।
हमें भूतकाल का दुःख नहीं करना चाहिए और भविष्य को सफ़ल,
सम्बृद्ध बनाने के लिए वर्तमान में सार्थक प्रयास करते रहना चाहिए।
कभी भी मुसीबतों से घबराकर लक्ष्यों से समझौता नहीं करना
चाहिए। गलत परिस्थितियों को सफ़लता में रूपान्तरित करने के लिए संघर्ष करो; लेकिन पलायन
के बारे में कभी ना सोचो।
दृढ़-संकल्प के साथ परिश्रम सही दिशा में करते रहें; सही
समय पर सफ़लता जरूर मिलेगी।
आत्म-नियंत्रित
होकर, धैर्य के साथ, अच्छे समय की कामना के साथ लगातार स्वयँ को उन्नत्तिशील बनाते
जाएँ; तभी हम चिंता-मुक्ति के साथ-साथ ख़ुशी भी प्राप्त करेंगे।
मानसिक विकार सफलता में बाधक होते हैं । सकारात्मकता हममें से ज्यादातर व्यक्ति हो सकता है वे शारीरिक दृष्टिकोण से स्वस्थ हों; लेकिन ज्यादातर लोग मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नहीं रहते हैं। ज्यादातर में कोई ना कोई मानसिक विकार जरूर होता है। ये ही मानसिक अस्वास्थ्य हमारी सफलताओं को प्रभावित करने लग जाते हैं। मानसिक विकार मिटाने से ही सुख - समृद्धि के साथ - साथ जीवन की सफलता प्राप्त हो सकती है। क्रोध , घृणा , कपट - भावना , जलन का अनुभव होना , द्वेष - भावना , घमण्ड करना , अति - आत्मविश्वास में रहना , डरों के साथ जीना , नकारात्मक आचरण और दुराचरण की भावनाएँ रखना , छोटी - छोटी बातों से ही कुंठाएँ और हीन - भावनाएँ महसूस करना , अभिमानी होना आदि - आदि नकारात्मक प्रभाव मानसिक विकार ही होते हैं। यह सब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारी सफलताओं में बाधा ही पहुँचाते हैं ; अतः इन्हें समझकर दूर करने पर ही हम चिंतामुक्त होकर खुशी के साथ स्थाई सफलता पा सकते हैं। ...
सफलता के शिखर तक कैसे पहूँचें ? (कामयाबी के सूत्र , सफलता को कैसे बनाए रखें ?) कामयाबी की ख़ुशी " हर इन्सान की सफलता , असफलता उसकी स्वयँ की आदतों , व्यव्हार , आचरण , चरित्र और सोच पर ही निर्भर होती है। इन्सान स्वयँ ही अपने भाग्य का निर्माता होता है ; जितना श्रम वह सही सोच के साथ करेगा; उतना गुणा ही सफलता पा सकता है। जिस प्रकार के , जिस दिशा में कार्य होंगे ; उसी प्रकार के परिणाम होंगे। अगर आदतें या लोगों के साथ व्यव्हार ही सही नहीं होंगे; तो इन्सान का पतन निश्चित है। अतः सही सोच , विवेक , धैर्य के साथ परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कठोर परिश्रम सही दिशा में आत्म - विश्वास के साथ करते रहो। यही आपकी सफलता की सीढ़ी बनेंगी " हर मनुष्य की कामना होती है कि वह और उसके परिवार के हर सदस्य खुशहाल रहें और जीवन में कामयाब इन्सान बनें। हर इन्सान जीवन में सफलता को प्राप्त करना चाहता है , चाहता है कि उसे कभी किसी पर निर्भर ना रहना पड़े त...
छोटे - छोटे कार्यों और लक्ष्यों के साथ बड़ी सफलता पाना लाभदायक होता है ! धैर्य के साथ कार्य करें। जैसे बूँद - बूँद से घड़ा भर सकता है ; उसी प्रकार छोटे - छोटे कार्य योजना और लगन के साथ लगातार करके बड़ी सफलताएँ भी पाई जा सकती हैं। यह भी सत्य है कि छोटे - छोटे कार्यों को करने पर जोखिम और खतरों की सम्भावनाएँ भी तुलनात्मक रूप से कम ही होंगी और उन्हें करने में हम सहज और उत्साही भी महसूस करेंगे , दिमाग पर एक साथ बड़े बोझ का अहसास भी नहीं होगा और हम बिना बैचेनी और बड़ी हानि के तनाब से भी बचे रह सकते हैं। याद रखें कि एक ही बार में सब ख़ुशी जल्दी पा लेने की चाहत किसी को भी असफलताओं की ओर ही ले जाती हैं। ऐसा करने पर हमारे उपलब्ध शुरुआती ज्ञान , अनुभव के कारण कार्य बीच - बीच में बाधित या असफल होंगे और मन किसी एक कार्य में एकाग्रः नहीं हो पाएगा और हम भ्रम की स्थिति में जरूर दिशाहीन कार्य करेंगे ( दिश...
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