Sunday, November 27, 2022

ख़ुशी के साथ सफलता कैसे पाएँ ? l सफ़लता के लिए खुश रहना जरूरी है l ख़ुशी और सफ़लता l ख़ुशी l सफ़लता

 

ख़ुशी के साथ सफलता कैसे पाएँ ?
( ख़ुशी और सफ़लता एक दूसरे के पूरक हैं l )


सफ़लता के लिए खुश रहना जरूरी है। 

ख़ुशहाल व्यक्तित्व के साथ बातचीत 

जब तक आप ख़ुश नहीं रहेंगे; तब तक सफ़ल होना असंभव ही होगा।

सफ़ल होना है; तो हर छोटी-छोटी बातों में ख़ुश रहना सीख़ लो।


ख़ुशी के साथ-साथ सफ़लता सुखदायी होती है। लेकिन सफ़लता के साथ-साथ स्वास्थ्य भी जरूरी है; अन्यथा सफ़लता के सुःख से बंचित ही रहोगे।


जिस भी काम को करने से मन को सकून मिले; उसे ही करने से जीवन की वास्तविक ख़ुशी मिलती है।


बिना अच्छे स्वास्थ्य, सुखी-खुशहाल परिवार, बिना इज्ज़त-मान सम्मान के धन-दौलत या बड़ी-बड़ी सफ़लताओं का जीवन में कोई महत्व नहीं रह जाता है।

ख़ुद के साथ-साथ परिवार को समय देकर ही चिंता-मुक्ति के साथ-साथ ख़ुशियाँ बढ़ाई जा सकती हैं। 

काम कभी ख़त्म नहीं होने वाले हैं; अतः इनके साथ-साथ अपनी ख़ुशियाँ कभी कम या ख़त्म ना होने दें। 


ख़ुश रहकर ही आप सकारात्मक सोच सकते हो; जिसके कारण आप कम समय में बड़ी कामयाबी पा सकते हो। 


जितनी ज़्यादा चिंता करोगे; तो ख़ुशियों के साथ-साथ सफ़लता भी आपसे उतनी ही दूर होती जाएँगी। 


ख़ुद के बल पर प्राप्त सफ़लता ही (जो कि काफ़ी संघर्ष और परेशानियों के बाद मिलती है।) हमें वास्तविक जीत की ख़ुशी दे सकती है; जो आजीवन साथ निभाती है। 

अतः दूसरों पर कभी निर्भरता ना रखें और स्वयँ के परिश्रम के बल पर ख़ुशी के साथ सफ़लताएँ अर्जित करो, तभी आप आत्म-सम्मान के साथ आत्म-विश्वास की ख़ुशी का अनुभव कर पाएँगे। 



ख़ुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं; अतः दूसरों की ख़ुशियों में सच्चे दिल से शामिल हो जाओ। इससे आपकी तरक्की, सफ़लता के रास्ते (द्वार) ख़ुद-बा-ख़ुद खुलते चले जाएँगे। 

कभी सच्चे दिल से किसी की सहायता कर के देख लो या जरूरतमंदों को आगे बढ़ने की हिम्मत देकर देख लो। जब तुम उनकी आँखों में आपके लिए सच्ची कृतज्ञता के भाव देखेंगे; तो उससे बढ़कर और कोई ख़ुशी आपके लिए छोटी लगेगी।

यही वह सच्ची ख़ुशी है; जो आपको और आगे बढ़ने (तरक्की) की प्रेरणा देकर आपको चिंता-मुक्त कर देगी। इसके बाद आपसे आपकी ख़ुशी कोई नहीं छीन सकता है। यही तो वास्तविक तरक्की का मार्ग है। 

ख़ुद के लिए तो सभी जीते हैं; लेकिन दूसरों के जीवन का और तरक्की का सहारा बनने वाले ही जीवन की वास्तविक ख़ुशी के साथ-साथ बड़ी-बड़ी सफ़लताएँ अर्जित कर पाते हैं।


चाहे स्वयँ का कार्य कितना ही छोटा क्यों ना हो; अगर उसे आप ख़ुशी के साथ कर रहे हैं तो सफ़लता निश्चित समय पर अवश्य प्राप्त होगी। 

अतः कार्य निश्चित योजना, उद्देश्यों के साथ छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करके पूर्ण धैर्य के साथ करें। ख़ुशी के साथ आत्म-विश्वास बनाए रखें; तभी आप तनाब-मुक्त जीवन के साथ-साथ बड़ी सफ़लता कम समय पर प्राप्त करने योग्य होंगे।

* सबसे बड़ी सफ़लता हमारी मुस्कान, खुश और ख़ुशहाल पारिवारिक, सामाजिक सम्बन्ध, हमारा अच्छा स्वास्थ्य है। इसके बाद ही दूसरी सफ़लताएँ आती हैं। 

* सही दिशा में कर्म कर हम लगातार मेहनत व साधारण सुधारों (Improvements) के द्वारा ख़ुशी और सफ़लता को बरक़रार ऱख सकते हैं। 


 ख़ुशी और सफ़लता:



1. चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों; उनमें खुश रहकर आगे बढ़ें :- 
अच्छे दिन, सफ़लताओं के लिए कृतज्ञ रहें 

    चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थितियाँ आएँ हमें सदा ख़ुश रहकर सफ़लता के प्रयास लगातार जारी रखने चाहिए।

चिंता करने से कभी लाभ नहीं होता है; चिंता की बजाय चिंतन-मनन कर समस्याओं के समाधान खोजें और तुरन्त उन्हें प्रयोग में लेकर समस्या दूर करें; तभी सार्थक सफ़लता संभव होगी।

ख़ुशी के साथ किया गया कार्य ही जीवन जीने की प्रेरणा देता है (अपने दायित्वों को समझते हुए कठोर परिश्रम दृढ़-विश्वास के साथ करें; यही आपकी ख़ुशी का मार्ग बनाएगा।)

कोई भी व्यक्ति सम्पूर्ण (PERFECT) नहीं होता है; अतः कभी भी सम्पूर्णता (PERFEVTION) के चक्कर में निराश ना हों। कार्य के अनुसार ज्ञान, कौशल बढ़ाएँ, जहाँ तक संभव हो सकारात्मक और अनुभवशील लोगों से ही सहयोग प्राप्त करें।

हर असफ़लताओं और बाधाओं को स्वीकार करना आवश्यक है।

चुनौतियों का सामना निडरता के साथ करें। इसी से आपका हौंसला बना रहेगा और आप विषम परिस्थिति में भी ख़ुशी के साथ जीत की आशा से आगे बढ़ पाएँगे।


2. अपनी गलतियों को स्वीकार करें, दूसरों को माफ़ करना सीखें :-

    इस प्रकार का व्यव्हार आपको अहँकार से बचाकर सही राह पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा।
इससे आप जलने-भुनने (ईर्ष्यालु- JEOULS) की प्रवृत्ति से बचकर अच्छे स्वास्थ्य, हर-दम ख़ुशी के साथ-साथ अपना ध्यान सकारात्मक कार्यों पर लगा पाएँगे।

3. संतोष और संतुष्टि :- 
आत्म-सन्तुष्ट रहना ही जीवन की सफ़लता है 

    जब तक संतोष और संतुष्टि नहीं आएगी; तब तक हम चाहे कितनी भी बड़ी सफलता मिल जाए हम वास्तविक ख़ुशी प्राप्त ही नहीं कर सकते हैं।

अतः उद्देश्य निर्धारित करें और अपने जीवन में कार्यों, ख़ुशी, परिवार और सफलताओं में संतुलन बनाकर चलें। स्वयं को भी समय दें और स्वास्थ्य से समझौता करके कभी भी हद से ज्यादा कार्य ना करें।

धीरे-धीरे प्रगत्ति पथ पर आत्म-विश्वास के साथ बढ़ते रहें।

कभी हमारी इच्छाओं का अंत नहीं होता है। अगर आज हम कोई बड़ी सफ़लता पा भी लेते हैं; तो हम इस ख़ुशी को क्षणिक ही महसूस करते हैं और अगली सफ़लता के लिए बैचेन होना शुरू कर देते हैं।

यह सही नहीं है; इस प्रकार हम वर्तमान में उपलब्ध सफ़लता की ख़ुशी को खो देंगे।

    अच्छा यह होगा कि हम वर्तमान ख़ुशी को बरक़रार रखते हुए अगले लक्ष्य पर कार्य करें, वर्तमान सफ़लता की ख़ुशी और प्राप्त ज्ञान को धैर्य के साथ बिना उताबलेपन के साथ आगे बढ़ाएँ। कभी भी हताश, निराश, बैचेन ना हों।

यह हमें आदत में ढालना होगा तभी हम ख़ुश रह सकते हैं।

जीवन में आत्म-संतुष्टि आवश्यक है; लेकिन इतना भी नहीं कि हम एक सफ़लता के बाद उन्मांद और घमंड या अति-आत्मविश्वास के साथ बैठ ही जाएँ; यह प्रवृत्ति हमें आगे के लिए बर्बाद भी कर सकती है।

अतः जीवन में सूझ-बूझ  के साथ संतुलन बनाकर चलें, मेहनत करते रहें। कभी रुके नहीं, थके नहीं; लेकिन जो भी करें बिना बैचेन हुए सूझ-बूझ के साथ करें। बस प्रयास करें, उत्साहित रहें तथा अपनी वर्तमान उपलब्धियों तथा हर क्षण मिली सफलताओं पर ख़ुश रहें।


4. जो भी करें ख़ुद की रुचि के अनुसार करें :-

    वास्तविक ख़ुशी हमारे स्वयं के मन-मुताबिक उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करने से ही मिलती है। किसी और के दबाब में आकर बिना रुचि के कार्य कभी भी हमें वास्तविक ख़ुशी प्रदान नहीं कर सकते हैं। हो सकता है कि हम बिना रुचि वाले कार्यों में भी सफ़ल हो जाएँ; लेकिन जो बड़ी सफ़लता की ख़ुशी आप स्वयं के रूचिकर कार्यों के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं; वह ख़ुशी दुर्लभ है।
    अपने वास्तविक रूचिकर लक्ष्य को पाने की ख़ुशी ही महत्वपूर्ण होती है। यही ख़ुशी हमें जीवन भर की स्थाई ख़ुशी दे पाएगी।
जो कार्य आपको रचिकर नहीं लगेंगे वे सफ़लता के बाद भी आपको जिंदगी भर दुःखी ही करेंगे, आप कभी भी अपना ध्यान इन कार्यों में ख़ुशी के साथ लगा ही नहीं पाएँगे। इससे हमें जीवन भर रूचिकर कार्यों का अफ़सोस ही रहेगा।

5. विशेष बातें :-

    सफ़लता और ख़ुशी आपके अन्दर ही छुपी हैं; इन्हें बहार ना तलाश करें, अपने अन्दर को पहचानो।

स्वयँ को बदलो तब धीरे-धीरे सब कुछ अपने आप बदलता जायेगा।

    बदलाव एक दिन में कभी नहीं आते हैं इसके लिए धैर्य के साथ लगातार सही दिशा में कार्य करते रहो। अतः कार्य करते हुए अच्छे समय और बड़ी सफ़लता की धैर्य के साथ प्रतीक्षा करें लेकिन बैचेन कभी ना हों।

    चिंता करने से कभी समाधान नहीं निकलेंगे, अतः इस आदत को अपने उद्देश्यों के साथ छोड़ दें। हमें हर छोटी-छोटी बातों पर ख़ुश होना चाहिए और स्वयँ पर और लक्ष्यों पर पूर्ण विश्वास करना चाहिए तभी हम लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और हर दम ख़ुश रह सकते हैं।



    हमारे कार्य कभी ख़त्म नहीं होने वाले हैं; अगर हमें एक सफ़लता मिली है तो अगले लक्ष्य पर भी कार्य करना ही होगा। अतः भविष्य या परिणामों की चिंताओं में या कार्यं के बीच आई छोटी-छोटी बाधाओं के चक्कर में छोटी-छोटी खुशियों को कभी ना खोएँ; हर अच्छी घटनाओं या बातों पर आनन्द मनाएँ अन्यथा बड़ी ख़ुशी भी महत्वहीन और क्षणिक ही होगी; इसके बाद आप दूसरे लक्ष्य के लिए चिंतित-बैचेन होना शुरू कर दोगे। इस प्रकार ख़ुशी आपसे दूर होती चली जाएगी।

    ध्यान रखें ख़ुशी से ही सफ़लता के द्वार खुलते हैं, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अतः हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि अपने लक्ष्य को सर्वोत्तम बनाने के लिए श्रेष्ठम कार्य मन लगाकर पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ करें।

    रोज-रोज चिंता करना या परिणामों के लिए बैचेन रहना हमें निराशा, दुःख और बिगड़ा स्वास्थ्य ही देगा; साथ ही आप ध्यान को कार्य पर भी सही से एकाग्रः नहीं कर पाएँगे; अतः जितना सम्भब हो इनसे बचें तथा स्वयँ का आत्म-विश्वास कभी भी कम ना होने दें। शत-प्रतिशत कार्य कुशलता के साथ ख़ुश रहते हुए आगे बढ़ें।

    दूसरों से अपनी सफ़लता की बातें सुनने या तारीफों की कामना करना बन्द कर दें। अपना या अपनी सफ़लताओं का मूल्यांकन स्वयँ करें तथा जरूरत के हिसाब से खुद को बेहत्तर बनाते जाएँ।


6. अन्त में :-

    स्थाई सफ़लता पाने के लिए देश, दुनिया, तकनिकी, परिस्थितियों के अनुरूप स्वयँ को ढालना सीखें, साथ ही ख़ुद की तथा कार्यों की गुणवत्ता को नए बदलावों के अनुरूप बढ़ाते रहें।
दुनिया की प्रतियोगिता भरे वातावरण में सफल होने के लिए आपको नए-नए बदलाबों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
    अपने प्रयासों में लचीलापन, निरंतरता बनाए रखें। अगर आपकी योजना विफ़ल होती है तो रुकें, कारणों पर विचार करें, धैर्य के साथ पुर्नमूल्याँकन करें और फिर नई योजना के साथ लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ें।
अन्त में ध्यान रखें :-
    चाहे स्वयँ का अपनी रुचि का कार्य कितना भी छोटा क्यों ना हो; अगर उसे आप ख़ुशी के साथ योजना बनाकर कर रहे हैं; तो हमें सफ़लता निश्चित समय पर अवश्य प्राप्त होगी।
अतः जो भी कार्य करें ख़ुशी के साथ करें, साथ ही धैर्य और आत्म-विश्वास कभी भी ना खोएँ।



















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