Sunday, October 23, 2022

बुरा वक़्त l बुरा समय l मुश्किलों का सामना धैर्य के साथ करो i दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है l

 

विपरीत परिस्थितियों (बुरा वक्त) में भी सफ़ल कैसे हों ?

सफलता

    जीवन का नाम ही संघर्ष है। हमें जीवित रहना और आगे बढ़ना है तो कार्य के साथ-साथ जीवन में आने वाली कठिनाइयों के साथ संघर्ष करना ही होगा। छोटी-छोटी मुश्किलें तो हम रोज़ सुलझाते रहते हैं, जिन पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता और हम खुश, सन्तुष्ट रहते है। लेकिन कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी कठिन परिस्थितियां भी जाती हैं; जिन्हें सुलझाने में हमें कठिनाई महसूस होती है इसी समय को हम बुरा समय या बूरा वक़्त कह सकते हैं।

    समय और परिस्थितियाँ सदा एक जैसी नहीं रहती हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कभी अच्छा समय आता है, तो कभी बुरे दौर से भी गुजरना पड़ता है।                                                           

    जीवन में कई तरह की परिस्थितियाँ आती हैं, ऐसे में हताश होकर हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ भी हांसिल नहीं होगा; बल्कि स्थिति और बिगड़ सकती है। अतः इस समय धैर्यपूर्वक शांत दिमाग़ से सही निर्णय लेकर नई योजना के साथ कार्य करके ही स्थिति को सुधारा जा सकता है।

    हमें किसी भी परिस्थिति में फंस जाने पर घबराने के बजाय कोशिश करनी चाहिए। कोशिश करने से ही कोई ना कोई समाधान अवश्य निकल जाएगा।                                                                     जीवन के अच्छे दौर में तो सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी सही फ़ैसले ले लेता है; लेकिन जब विपरीत परिस्थितियाँ (प्रतिकूल परिस्थितियाँ) आती हैं तो सही फ़ैसले लेना इतना आसान नहीं होता है, इसी समय व्यक्ति की सूझ-बूझ और समझदारी की ज़रूरत होती है। इन विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने वाला व्यक्ति ही सफ़लता पा सकता है। लेकिन अगर इन प्रतिकूल परिस्थितियों में हतास होकर जल्दबाजी में गलत निर्णय कर लिए और स्वयं को संभाल नहीं पाए तो विफ़लता और परेशानियाँ सकती हैं। अतः ऐसे समय व्यक्ति को सूझ-बूझ और सजगता से परिस्थितियों को सही से समझने के बाद ही सोचे-समझे फ़ैसले पूर्ण धैर्य के साथ लेने चाहिए; तभी सफ़लता के पथ पर आगे बढ़ना संभव होगा।

अतः प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य को बनाए रखें, चुनौतियों का सूझ-बूझ के साथ सामना करें, सही निर्णय सोच-समझ कर ही करें।

    प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य और आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है। जो भी भी विचार करें तथ्यों के साथ पूरी स्थिति को समझते हुए करें। ऐसे समय किसी की कही या सुनी बातों को आधार नहीं बनाएँ, जो भी विचार और सुझाव हों उनका तथ्यों के साथ विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय लें।

    जिस व्यक्ति के पास धैर्य नहीं है, वह छोटी से छोटी समस्याओं का सामना भी सही तरीके से नहीं कर सकता है।

    प्रतिकूल परिस्थितियों में घबराहट महसूस होना स्वाभाविक है, व्यक्ति को अलग-अलग प्रकार के ख्याल भी आएँगे; लेकिन यदि व्यक्ति स्वयं पर और स्वयँ की योग्यता, कौशल पर विश्वास करता है तो वह इन परिस्थितियों में भी स्वयँ को धैर्य के साथ आत्म-विश्वास के बल पर जल्दबाजी में निर्णय लेने से रोक लेता है।

अगर व्यक्ति ऐसी स्थिति का आकलन करके सही योजना के साथ आगे बढ़ेगा तो वह लम्बे संघर्ष में भी धैर्य के साथ लगातार प्रयास करके सफलता पा लेगा।

    ऐसी स्थिति में संयम कभी ना खोएँ, सकारात्मक दिशा में संघर्ष करते रहें, तभी सफ़ल हो सकते हैं।जब व्यक्ति शांत होकर स्थिरता के साथ चुनौतियों का सामना करता है और संयम से काम लेता है तो वह हर कठिनाई का सामना कर सकता है।

    कोई भी सफलता एक ही दिन में नहीं मिलती, इसके लिए धैर्य के साथ लगातार कार्य करना ही होगा, अतः घबराहट पर नियंत्रण रखकर शांत भाव से कार्य करते रहें; जब तक कि सफ़ल ना हो जाएँ।

    याद रखें कि जिंदगी है तो सफलता और विफलता दोनों ही समय-समय पर मिलती रहेंगी। अच्छे समय के साथ-साथ कुछ बुरे समय (विपरीत परिस्थितियाँ) भी आएँगे ही। जिंदगी में उतार-चढाव आते ही रहेंगे।

    अगर सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें तो बुरा समय भी हमें काफ़ी कुछ सिखा कर ही जाता है; यह हमें जीवन के सत्यों से अबगत (सामना) करवाता है, जिनकी हम अच्छे समय में कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लोगों की पहचान भी बुरे वक्त में ही होती है।

    बुरा समय हमेशा नहीं रह सकता है। मुश्किल समय में ऐसा क्या करें कि हम मुश्किल समय में भी सुरक्षित निकल जाएँ और बेहत्तर कर पाएँ, बड़ी सफ़लता पाने में कामयाब हों ?

जानें कैसे करें बुरे वक्त का समाधान ?

1.  बुरे वक्त को स्वीकार करो
बुरे वक्त को स्वीकार करो

    बुरे वक़्त में भी तरक्की की सम्भावनाएँ छुपी होती हैं; उनका विश्लेषण धैर्य और सूझ-बूझ के साथ करोगे तो और बड़ी सफ़लता पा सकते हैं।

अतः बुरे समय को स्वीकार करके विपरीत परिस्थितियों को विवेक से सुलझाएँ। हमें आई दिक्कतों का विश्लेषण करके इन समस्याओं को समाप्त करने पर कार्य करने होंगे; ना कि इनका दोषारोपण दूसरों पर, भगवान आदि पर करके समय बर्बाद करना है।

जो भी है उसे स्वीकार करो, दूसरों से ज्यादा आशा ना रखो। जो भी करना है शीघ्र कार्यवाही (Action) शुरू कर दें। स्वयँ पर विश्वास कभी भी कम ना होने दें।

    यह समय कीमती है; जितना शीघ्र कार्य आरम्भ करोगे; आपका आत्म-विश्वास बना रहेगा तथा जितना समय निकालोगे उतनी ही आत्म-हीनता, डर, आत्मग्लानि बढ़ती जाएगी। इस मुश्किल वक़्त में हिम्मत, जोश के साथ सोची-समझी योजना के साथ शीघ्र शुरुआत करें। मानसिक रूप से कमजोर ना पड़ें।

    सोचने-समझने का नज़रिया सकारात्मक रखें, रास्ते तलाश करें। उम्मीदों का दामन ना छोड़ें, योजना पर धैर्य के साथ लगातार कार्य करते रहें।

    समस्या कभी बड़ी नहीं होती है; समस्या को बड़ा मन लेना ही असफ़लता, आत्म-विश्वास को कम करता है।

हमें हमारी भूलों, कमियों को खोजकर उन्हें दूर करना है; ना कि दूसरों को दोष देकर समय बर्बाद करना है।

2. सकारात्मक सोच के साथ धैर्य रखें

    समस्याओं के प्रति सकारात्मक मनोभाव रखें। अपनी क़ाबिलियत और अच्छाइयों को पहचानें और उन पर विश्वास के साथ कार्य करें; मुश्किल वक़्त में अगर आप स्वयं की शक्ति को जान लोगे तो वह लक्ष्य भी मिल जायेगा जिसको आप अपने दुःखों के निदान के लिए प्रयोग कर सकते हो; तुम्हारी क़ाबिलियत को नए व्यापार या सेवा का माध्यम बना सकते हो।

समस्याओं से घबराएँ नहीं बल्कि हिम्मत, धैर्य के साथ समाधान खोजकर सामना करें; तभी योग्य बन सकते हैं।

कोई भी सफ़लता एक ही दिन या एक ही प्रयास में नहीं मिलती है; इसके लिए दृढ-निश्चय के साथ लगातार प्रयास करते रहना पड़ता है और शुरूआती हारों का भी सामना करना ही पड़ता हैं; अतः धैर्य बनाए रखें तभी आपका आत्म-बिश्वास और हिम्मत बनी रहेगी।

स्वयँ को प्रोत्साहित करें, विश्वास बनाए रखें।

समय कीमती होता है, अतः मात्र सोचने से कुछ नहीं होग। जो भी विचार आएँ; उनका स्व-विवेक से विश्लेषण करें और अगर विचार सार्थक और लाभकारी हो तो इस पर योजना के साथ जितना जल्दी हो सके शीघ्र कार्य आरम्भ कर दें। कार्य की समझ कार्य ही देगा अतः कभी भी डरे नहीं और आरंभिक जानकारी के साथ योजना पर कार्य शुरू कर दें और साथ-साथ कमियों को दूर करते जाएँ तभी सफ़लता मिलेगी और आपका धैर्य बना रहेगा।

    अपने जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए सकारात्मक सोच रखें; हमेशा ख़ुश रहें। आस पास के लोगों को भी ख़ुश रखें, प्रगत्तिशील लोगों से सम्बन्ध बनाकर रखें। इससे आपकी इज्ज़त बढ़ेगी और आपके लिए सहयोगात्मक वातावरण बनेगा; जो कि आपकी तरक्की में सहायक सिद्ध होगा।

     मुश्किल समय में प्रगत्तिशील और सकारात्मक सोच वाले लोगों को ही समय दें। अगर सलाह लेनी आवश्यक हो तो अनुभवी लोगों, ईमानदार रिश्तेदार, मित्रों से ही सलाह लें; लेकिन कभी भी जलने वालों, समय बर्बाद करने वालों से सम्पर्क ना रखें, ना ही सलाह लें। जलन वाले लोग या अनुभवहीन लोग आपको सलाह देने की बजाय आप में डर या भ्रम पैदा कर सकते हैं।

3. चिंता नहीं; चिंतन-मनन करें
चिंता नहीं; चिंतन-मनन करें

    चिंता करने से कभी समस्याएँ ख़त्म नहीं होती हैं। चिंता स्वयँ में एक मुसीबत है और चिंतन उसका समाधान। चिंता करने से कार्य बनने के बजाय और मुश्किल लगने लगते हैं; जबकि चिंतन करने से मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसान बनकर लाभकारी परिणाम दे जाते हैं।

मेहनत के साथ सही दिशा में योजना के साथ लगातार प्रयास करने पर ही सफ़लता मिल सकती है।

हर समस्या का समाधान अवश्य होता है लेकिन समाधान तभी मिल्रेंगे जब हम समस्याओं पर सकारात्मक चिंतन-मनन  करेंगे।

अतः विवेक के साथ समस्याओं का सामना करो; तभी सफ़लता मिलेगी और चिंताएँ दूर होंगी।

    समस्याओं को सही नज़रिए से देखना शुरू करें। समस्याओं के कारण खोजें और जो भी कारण हों, या आपकी कमियाँ रह गई हों उन्हें दूर करने के सकारात्मक प्रयास आत्म-विश्वास के साथ करें।

अगर समस्याएँ आई हैं; तो अगर हम दृढ़ता के साथ सकारात्मक कर्म करेंगे तो ये सफ़लता में भी परिवर्तित जरूर होंगी; हमें बस बिना रुके कार्य करने हैं; फल की इच्छा में चिंतित नहीं रहना है।

सोचो कि बुरे से बुरा क्या हो सकता है; अगर हम समस्याओं का समाधान करके अधिक आत्म-बल के साथ सही कदम उठाएँगे तो हो सकता है हमें और बड़ी सफ़लता का मार्ग मिल जाए।

अतः सूझ-बूझ के साथ कार्य करें सफ़ल जरूर होंगे।

    किसी भी समस्या को छोटा समझकर नजरअंदाज ना करें। हर समस्या पर गंभीरता से कारणों सहित विचार करें, समाधानों को मेहनत के बल पर सफ़ल बनाएँ।

अतः समस्याओं पर अत्यधिक नकारात्मक विचार करके उन्हें बड़ा ना बनाओ; बल्कि सकारात्मक सोच के साथ समाधानों पर कार्य करें।

                                                                                        

4. महान लोगों के बारे में जानकारी लें, उनकी सफ़लता के बारे में जानें

    हमें महान, सफ़ल लोगों की जीवन में संघर्ष की बातें प्रेरित कर सकती हैं।

अतः कठिन समय में महान सफ़लतम लोगों की जीवनी पढ़ें और विचार करें उनके दृढ-संकल्पों और लगन के साथ मेहनत पर; जिनके बल पर उन्होंने बड़ी-बड़ी विषम परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोया और निश्चित उद्देश्यों के साथ कार्य करके बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ और जीवन की सभी ख़ुशी भी प्राप्त की।

    कोई भी व्यक्ति बिना मुश्किलों का सामना किये महान नहीं बन सकता है।

    हम प्रेरणा देने वाली पुस्तकों, लेखों से भी सकारात्मक प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं; इनके कारण हमारी सोच सकारात्मक होगी और हम अपने डर, चिंता को कम कर सकते हैं। हम प्रेरक विडिओ या ऑनलाइन लेख भी पढ़ सकते हैं।

इससे हमें नई-नई जानकारियों के साथ-साथ प्रेरणा भी प्राप्त होंगी; जो कि सफ़लता दिलाने में प्रेरक का कार्य करेंगी।

 

5. जीवन में सजगता जरूरी है

    बुरा समय या कठिन परिस्थितियाँ आने से पहले हमें संकेत जरूर मिलते हैं; जिन्हें कभी भी नज़र-अंदाज नहीं करना चाहिए।

    हमें आने वाली कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए आगे की योजना बनाकर रखनी चाहिए ताकि अगर हम बुरे समय में फँस भी गए तो इससे बिना जोख़िम के आगे की सफ़लता पा सकें। इससे हम आत्म-विश्वास, बिना चिंता के बुरे समय का सामना कर पाएँगे। कई बार ऐसा करने से हमें विशेष समाधान भी मिल जाते हैं; जिन पर तुरन्त कार्यवाही करके हम बुरे समय को आने से पहले ही विशेष समय भी बना सकते हैं; जो आशातीत सफ़लता, प्रगत्ति भी दे सकता है। 
    
    अतः कठिन समय में कमज़ोर मत पड़ो; पूर्व योजना बनाकर जीत हांसिल करो।

 

6. दुखों या निराशा के भाव हर जगह प्रदर्शित ना करो -

    अगर आप बुरे वक़्त में सही महसूस नहीं कर रहे हैं तो इसे ख़ुद तक ही या किसी विशेष व्यक्ति से ही साझा करें।

    अच्छा यही है कि ख़ुद तक ही सिमित रखें। सबको बताकर आप फ़ायदे की बजाय नुकसान झेल सकते हैं; क्योंकि ज़्यादातर लोग आपकी ख़ुशी से जलते थे और अब आपको दुःखी देख कर वे आपका दुख़ कम करने की बजाय आपका मज़ाक ज़्यादा बनाएँगे और लोक-हंसाई करवा सकते हैं। जब आपको गलती का अहसास होगा तो आपके दिल को बुरा महसूस होगा और आप में नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

    अतः स्वयँ पर विश्वास करें और स्वयँ की दिक्कतें स्वयँ के बल पर ही दूर करने के सकारात्मक प्रयास करें; तभी आप दिक्कतों से उबार पाएँगे।

           

 

                                   

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