आभार प्रकट करने की शक्ति
(कृतज्ञता की शक्ति)
मानव एक सामाजिक प्राणी है। जैसे जैसे मानव आयु को प्राप्त करता जाता है उसी के साथ उस पर कार्य और जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता जाता है। अगर छात्र है तो उस पर पढ़ाई और अच्छे अंक लाने की जिम्मेदारी होती है। अगर वयस्क और अधिक आयु प्राप्त है तो घर की जिम्मेदारी , नौकरी की जिम्मेदारी , रिश्ते-नाते निभाना और परिवार में ख़ुशहाल रिश्तों की जिम्मेदारी होती है।
ये सभी कार्य सही-सलामत हों; ये किसी भी मनुष्य के लिए उतने आसान नहीं होते हैं; जैसा हम सोचते हैं।
भागदौड़ वाली जिन्दगी और परिवार, समाज, देश की आर्थिक दशा के अनुसार मनुष्य को कई कार्यों में दिक्कतें आती हैं, कई बार आशा और उपेक्षा जब सही समय पर पूरी नहीं होती हैं तो मानव चिंताग्रस्त, तनाब में आ जाता है तथा दुःखी होना शुरू हो जाता है।
इस भागदौड़ वाली जिन्दगी में उसके पास समय ही नहीं है कि
वह स्वयँ को पूरा समय दे सके। कई बार परिस्थितियाँ, रिश्ते या स्वस्थ्य आदि मानव की
परेशानियाँ और बढ़ा देते हैं।
अगर मनुष्य सकारात्मक सोच वाला और निश्चित उद्देश्यों के साथ कार्य करने वाला होगा; तो वह इन विपरीत परिस्थितियों, बिगड़े रिश्तों या स्वस्थ्य को सूझबूझ के साथ दूर करके ख़ुशी प्राप्त कर सकता है; लेकिन अगर सही समय पर सही प्रयास (Actions) नहीं लिए तो यही सब मिलकर मनष्य को नकारात्मक सोच, असफ़लता, चिंता-तनाव, आदि में घेर लेते हैं और उसके इन विपरीत परिस्थितियों से निकलने के अवसर कम होते जाते हैं।
अतः इन सब बातों से राहत पाने का ही आसान और असरकारक उपाय (इलाज़) यही है कि हम शुरूआत से ही अपने जीवन, उद्देश्यों, लक्ष्यों के प्रति सज़ग रहें तथा स्वयँ को शुरू से ही समय देकर आने वाली दिक्कतों पर मनन-मंथन करें। तथा सही समय पर सही प्रयास करें, जीवन को ख़ुशहाल बनाएँ।
इस भागदौड़ वाली जिन्दगी में खुश रहने का एक ही उपाय है कि हम जीवन कि 90% अच्छाइयों, सफ़लताओं को समझें,याद करें ; शेष 10% मुसीबतों (जो कि कार्य के बीच आना स्वाभाविक हैं) को सहर्ष स्वीकार कर इन मुसीबतों, परेशानियों के कारण खोजकर सतत प्रयास द्वारा जितना शीघ्र हो सके साथ के साथ दूर करते जाएँ (इनको बढ़ने नहीं देना है)।
जब कभी जीवन निराश-हताश लगे तो स्वयँ को समय दें, अपनी आज तक की उपलब्धियों, सफ़लताओं, प्रयासों,और उन सभी अच्छी बातों-चीजों को मन से याद करें (ऐसा करने पर कई बार हमें समस्या के हल भी पुरानी बातों या तरीकों से मिल जाते हैं); स्वयँ को और उन अच्छाइयों का धन्यवाद (शुक्रिया) करें; साथ ही जिनके कारण आपका जीवन सुखमय और ख़ुशहाल है उनको भी दिल से याद करके शुक्रिया करें।
इन्हीं शुक्रिया, आभारी होने के गुण के कारण ही आपका अवचेतन मन (Subconcious Mind) आपको प्रकृत्ति, ब्रह्माण्ड और अच्छे लोगों से आपका सकारात्मक जुड़ाव (Connection) करवा सकता है।
अतः संक्षेप में
"कृतज्ञता मानव का वह महान गुण है; जिसमें
वह अपने प्रति की गई विशेष सहायता, मदद, उपकार या प्राप्त उपहारों के लिए दूसरों के
प्रति श्रद्धा और विनम्र भाव से हृदय से सम्मान व्यक्त करता है।”
कृतज्ञता (आभार) व्यक्त करने से हमारा दूसरों के साथ सम्बन्ध
(रिश्ता) मजबूत होता है। इससे जीवन में विकास के साथ-साथ हमारे मानसिक और शारीरिक स्वस्थ्य
पर सकारात्मक लाभ प्राप्त होते हैं। कृतज्ञता की भावना के द्वारा हमारे अहंकार भी ख़त्म
हो जाते हैं।
कृतज्ञता के अभ्यास द्वारा हम नकारात्मक भावनाओं पर नियन्त्रण
कर सकते हैं। हम आक्रोश, ईर्ष्या, अवाँछनीय डर आदि को दूर कर सकते हैं। इससे चिंता,
अवसाद कम होते हैं।
कृतज्ञता के भाव हमें मात्र मानव जाती के साथ ही नहीं; अपितु इसे विस्तृत रूप में प्रकृत्ति, ईश्वर और ब्रह्माण्ड की किसी भी वास्तु या चीज़ के प्रति भी व्यक्त करने चाहिए; तभी हमें वास्तविक ख़ुशी और विशेष लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
हमें हर उन बातों, चीजों के बारे में सोचना चाहिए; जिनके कारण हमारे जीवन में प्रगत्ति, ख़ुशी, ख़ुशहाली आई हैं या आती जा रही हैं। हर इन घटनाओं, चीजों के बारे में दिल से विनम्र भाव से आभार प्रकट करें।
अगर
हम इन सभी अच्छाइयों, उपकारों, उपहारों या प्रगत्तियों को लिख कर याद करें; तो हमें
जीवन में लोगों, परिस्थितियों की सरहाना करने और नकारात्मक भावनाओं, विचारों से स्वयँ
का ध्यान हटाने में मदद मिलती है। इससे हम तनाव से मुक्ति, ख़ुशी का अनुभव करते हैं।
कृतज्ञता
के द्वारा हम हमारे अन्दर सकारात्मक भावना का विकास करते हैं, सकारात्मकता को महसूस
कर सकते हैं। इससे हमें आनन्द की अनुभूति, स्वस्थ्य में सुधार, प्रतिकूल परिस्थितियों का
साहस के साथ सामना करने की सामर्थ्य प्राप्त होती है। कृतज्ञता
द्वारा हमारे सम्बन्ध भी मजबूत बनाए जा सकते हैं।
1. कृतज्ञता के सिद्धांत :
अगर सकारात्मक सोच के साथ जीत की भावना होगी; तो उसी प्रकार की शक्तियाँ हमारी ओर आकर्षित होंगी तथा हमें उसी भावना के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। अगर मन में डर, आत्महीनता, हारने या नौकरी-व्यापार आदि में धोखे-नुकसान के डर होंगे तो हमें उसी प्रकार की प्रेरणा, विचार प्राप्त होंगे तथा हम आगे बढ़ने में दिक्कत महसूस करेंगे।
यह सब बातें आकर्षण के नियम (LAW OF ATTRECTION) पर आधारित हैं। इसके अनुसार प्रकृत्ति, ब्रह्माण्ड की सभी चीजें सूक्षम अणुओं से बनी हैं, सभी में ध्वनि तरंगें कम्पित (VIBRATION) होती हैं; इसी के अनुसार मनुष्य की विचारों की ध्वनि तरंगें ब्रह्माण्ड के चारों और एक स्थान से अन्य स्थान तक जा सकती हैं। अतः हमारे विचारों की ध्वनि तरंगें दूसरे तक जरूर जाती हैं।
अतः अगर हम किसी के बारे में नकारात्मक सोचेंगे, उससे जलेंगे, दूसरों का बुरा चाहेंगे तो प्रतिक्रियास्वरूप दूसरे की तरफ़ से भी हमें कई गुणा अधिक शक्तिशाली नकारात्मक प्रभाव ही प्राप्त होंगे। अगर सकारात्मक सोचेंगे तो दूसरे भी हमारे लिए कई गुणा अधिक सकारात्मक व्यव्हार ही देंगे।
यह एक शक्तिशाली नियम है और हमारी भावनाओं की VIBRATION का काफ़ी असर पड़ता है। इसका असर हमारे जीवन के हर क्षेत्र (जैसे- परिवार, रिश्ते-नाते, पेड़-पौधे, सफ़लता आदि ) पर पड़ता है।
अगर हमारे भाव और सोच में डर या दुःख होंगे तो हमें डर और दुःख ही प्राप्त हो सकता है। अगर नौकरी या व्यापार के कार्यों को ख़ुशी से नहीं करेंगे और इनसे मिली सफलताओं, लाभों के लिए शुक्रिया या आभार प्रकट नहीं करेंगे तो आने वाले समय में हमें दिक्कतें, हताशा आनी स्वभाविक हैं।
अतः जीवन में मजबूरी शब्द कहना या दुखी भाव से काम करना बंद कर दें, जो भी कार्य करें उनको ब्रमाण्ड की शक्तियों का उपहार मानकर सच्चे दिल से ख़ुशी के साथ करें, शुक्रिया (धन्यवाद कहना) कहने, उपकारों के लिए आभार व्यक्त करना शुरू करें; आपकी असफ़लताएँ सौभाग्य में बदलना शुरू हो जाएँगी।
सुबह उठते ही जीवन के लिए, सुख-शांति के वातावरण और आपके जीवन की अच्छाइयों के लिए सच्चे दिल से परमात्मा, प्रकृत्ति, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सभी अच्छे लोगों को कृतज्ञता के साथ याद करें और आभार व्यक्त करें। इससे आपको नए दिन की सकारात्मक शक्तियाँ प्राप्त होंगी; धीरे-धीरे आपकी आत्मिक शक्ति बढ़ती जाएँगी।
हमें आकर्षण के नियम को समझते हुए हर उस चीज़, बात, घटना, प्राप्त सुख-लाभ, शुभ-दिन, शुभ-विचारों के लिए प्रकृत्ति, भगवान, ब्रह्माण्ड का धन्यवाद करना है; जो हमें सुख, समृद्धि, शांति, प्रगत्ति में सहायक हो रही हैं I
आकर्षण की शक्ति (Power of Law of Attraction) को बढ़ाने में आभार प्रकट करना (Gratitude) काफ़ी महत्व रख़ता है।
" जिस तरह की भावनाएँ (Feelings) हम महसूस करेंगे; वैसी ही चीजें, घटनाएँ ब्रह्माण्ड (Universe) से हम आकर्षित करेंगे; उसी अनुकूल परिस्थितियाँ होती जाएँगी। यही आकर्षण का नियम है।"
अगर हम अच्छा महसूस करेंगे तो अच्छी चीजों को आकर्षित करेंगे और हमारे जीवन में प्रगत्ति, ख़शहाली आएगी। अगर बुरा या नकारात्मक परिणाम के ही बारे में जाने-अनजाने सोचते रहेंगे तो सब परिणाम प्रतिकूल ही प्राप्त होंगे।
अच्छी तथा प्रगत्तिशील भावनाओं के साथ हर अच्छी चीज, घटनाओं, परिस्थितियों, अच्छे मित्रों, सहयोगियों आदि के बारे में आभार प्रकट करके हम सीधे ब्रह्माण्ड की शक्तियों से जुड़ जाते हैं।
हम जो भी महसूस कर रहे हैं, वह एक ऊर्जा (energy) के रूप में कम्पन (Vibrate) होती है। हमारी जिस आवृत्ति (Frequency) की भावनाएँ (Feelings) होंगी; उतनी ही आवृत्ति की ऊर्जा (शक्ति) ब्रह्माण्ड में कम्पन होगी।
आभार (Gratitude) ही वह विधि है जिसके द्वारा हम ब्रह्माण्ड की सकारात्मक शक्तियों तक हमारी भावनाओं की आवृत्ति को जोड़ (Connect) सकते हैं।
हर बात के लिए अलग-अलग धन्यवाद करें। इसको आदत में ढ़ालना होगा। नियमित रूप से सुबह उठते ही और रात्रि को सोने से पहले आभार जरूर प्रकट करें; इससे आपके आत्म-विश्वास में बृद्धि होकर आपके सभी कार्य सफ़ल होते चले जायेंगे और आप पूरे दिन जोश-उत्साह से भरपूर रहेंगे। इससे आपको डर, चिंता, अवसाद से मुक्ति भी मिलेगी अगर आपका कृतज्ञता में दृढ-विश्वास होगा।
कम से कम लगातार 21 दिन आभार प्रकट करें और इसे हम आगे भी जारी रख सकते हैं। अच्छा तो यही है कि हम आजीवन हर अच्छाइयों के लिए आभार प्रकट करने की आदत ढ़ाल लें।
अगर स्वस्थ हैं, सुखी नींद सो रहे हैं, शरीर अच्छा है, आपको कोई बड़ा तनाब या बड़ी परेशानी नहीं है, खाना समय पर मिल रहा है, सोने-रहने के लिए घर है, नौकरी स्थाई रूप से चल रही है, वेतन समय पर मिल रहा है, साथी लोग तथा कर्मचारी आपको सहयोग कर रहे हैं तो अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हुए भगवान और ब्रह्माण्ड की शक्तियों का धन्यवाद करते हैं तो ब्रह्माण्ड (Universe) से आपको अधिक ख़ुशी मिलेगी। अगर आप दिनभर दुःखी या गरीबी का रोना रोते रहोगे; तो आपको और दुःख और गरीबी ही पुनः प्राप्त होगी। अतः सकारात्मक ही सोचें, जो भी अच्छी बातें हो रही हैं उनके लिए दिल से विनम्र भाव से धन्यवाद करें।
आभार प्रकट करते समय आप में छल, कपट, या माँग की इच्छा नहीं होनी चाहिए तभी प्रकृत्ति और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आपको आशा से भी अधिक खुशियाँ और उपहार आपको देंगे।
आभारी होने से जो भी आपके आसपास के लोग हैं वे स्वतः ही आपको सम्मान, सहयोग देना शुरू कर देंगेl
अगर वे गलत भी थे तो भी सकारात्मक ऊर्जा के कारण परिवर्तित हो जायेंगे।
हर कार्य आप में सकारात्मकता का विकास करेंगे; जो कि आगे चलकर आपकी प्रगत्ति में सहायक बनेंगे।
2. कृतज्ञता (आभार प्रकट करना) के लाभ, जीवन पर प्रभाव :
आभार प्रकट करके हम अपने जीवन की सभी अच्छाइयों को याद करते हैं; जिसके कारण सोच सकारात्मक होती है, तनाव, डर, चिन्ताएँ कम हो जाती है। इनका सीधा प्रभाव हमारी सफ़लता पर पड़ता है।
कृतज्ञता द्वारा हम नकारात्मकता को कम करके सकारात्मकता को बढ़ाते हैं; इससे सकारात्मक सोच विकसित होती है तथा विनम्रता,उत्साह, आत्म-विश्वास, मानसिक शक्ति,हमारी शक्तियों में वृद्धि होती है। अवचेतन मन में डर, शँका, दुख के विचार कम हो जाते हैं। इससे हमारी आन्तरिक जागृत्ति बढ़ती है।
इससे हमें दुनिया अच्छी, सुन्दर लगने लगती है, हम खुश और सन्तुष्ट होना सीख़ जाते हैं। कृतज्ञता के कारण हमें आगे बढ़ने की सम्भावनाएँ प्राप्त होती हैं।
1. कृतज्ञता से सम्बन्ध सुखद और खुशहाल बनते हैं :
इनसे ही आपको नई सम्भावनाएँ भी प्राप्त हो सकती हैं।
उपकार मानने, कृतज्ञ होने से ये सब आपका सम्मान और सहयोग दिल से करने लग जाएँगे।
2. कृतज्ञता से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक लाभ प्राप्त होते हैं :
3. कृतज्ञता के कारण आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास में बृध्दि होती है :
हम स्वयँ पर विश्वास के साथ स्वयँ में सुधार पर कार्य करने लग जाते हैं। इससे सफ़लता की सम्भावना बढ़ जाती है। हम हर समय ख़ुश, सन्तुष्ट रहते हैं।
No comments:
Post a Comment