विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं I

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 विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं l CONTROL YOUR BREATHING TO CONTROL MIND  हाँ ! मस्तिष्क से उठे तरह-तरह के अलग-अलग विचारों का जाल ही मन है I  मन अस्तित्वहीन है; जिसे हम दिल की गहरी भावनाओं के साथ जोड़कर खुश भी होते रहते हैं, या कभी कभी इतने दुखी, और निराश भी हो जाते हैं कि सब कुछ अशांत-दुखी, और बैचेन हो जाता है I  अतः; अगर आपको हर क्षण ख़ुशी-शांति, और तरक्की को अनुभव करते हुए पूर्ण स्वस्थ और सुखमय जीवन चाहिए-- तो स्वयँ को समझना, और स्वयँ को समय देकर अपने अंतर्मन की भावनाओं-विचारों, और तीब्र-इच्छाओं को विवेकशीलता के साथ समझना शुरू कर दो I  मन के जाल में ना फँसो; बल्कि बुद्धि का उपयोग करें, और मन में चल रहे विचारों का आत्मावलोकन शाँति, और धैर्य बनाए रखते हुए करें; तभी आप सही निष्कर्षों पर पहुँच कर सही निर्णय ले पाएँगे I  इससे हर कार्य सफ़ल भी होंगे, और आप हर प्रकार के तनाबों, तथा चिंताओं से भी बचे रहेंगे I मन क्या है ? ख़ुशी के साथ तनाबमुक्त सफलता पाने का रहस्य ● निम्न हिंदी वीडियो आपके लिए हितकर होंगे; कृपया चिंतन-मनन के साथ उपय...

आत्म - सम्मान l SELF ESTEEM

        आत्म - सम्मान ( SELF ESTEEM )


        सभी के जीवन की विशेष उपलब्धि या यों कहें  जीवन का महत्त्व ही आत्म-सम्मान से जुड़ा होता है I हमारे व्यक्तित्व की वास्तविक पहचान ही हमारी आत्म-सम्मान की अनुभूति द्वारा कर सकते हैं I 

        आत्म - सम्मान का अर्थ होता है - आपका आपकी नज़रों में कितना सम्मान है , तुम स्वयं पर कितना विश्वास करते हो ; ये ही तुम्हारे आत्म-सम्मान को परिभाषित करेंगे I

आपका आपकी काबिलियत , चरित्र , व्यक्तित्व पर विश्वास ,आस्था ,सम्मान होना आपका आत्म-सम्मान
है l  

आत्म-सम्मान,आत्म-गौरव से हमारे नैतिक चरित्र ,हमारी जीवन के लक्ष्यों के प्रति दृढ़ता प्रकट होती  है l 


        अगर हमें आत्म-सम्मान बढ़ाना है ; तो हमें स्वयं पर विश्वास करना होगा ,हमें सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम लेनी होंगी ; जितनी जोखिम बड़ी और सूझ-बूझ के साथ ली होंगी ,सफलता उतनी ही बड़ी होंगी l हमें  अस्वीकार ( rejection ) को सहने की शक्ति प्राप्त करनी होगी l
        चाहे हमारी सफलता के मार्ग में कितनी भी रुकावटें आयें , हमें हमारा धैर्य,आत्मविश्वास कम नहीं होने देना चाहिए l अपनी क्षमताओं पर विश्वास अटल रखना होगा l हमें अपनी काबिलियत ,लक्ष्यों तथा योजनाओं पर विश्वास व् सम्मान रखना होगा ; तभी हमारा आत्म सम्मान बना रह सकता है l हमें कभी भी नकारात्मक परिस्थितिओं  के बस में नहीं आना है ,जितना जल्दी हो गलत परिस्थितिओं  से निकलने का मार्ग निकलना होगा l
         कभी भी हताशा और भय में परिस्थितिओं से समझौता करके अपने आत्मसम्मान को न गिराएँ l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l  
        आत्म-सम्मान पर पारिवारिक कारणों से भी उनकी पारिवारिक परिस्थितिओं का प्रभाव पड़ता है l   हमारी सोच , उम्र , कोई बड़ी बीमारी या शारीरिक कमी का भी आत्म - सम्मान पर प्रभाव पड़ता है I हम किस प्रकार का कार्य कर रहे  हैं, इसका भी आत्म-सम्मान पर प्रभाव पड़ता है l
        आत्म-सम्मान गिरने पर हमें शर्म , तनाव और बेचैनी का अनुभव होता है l


अच्छे आत्म-सम्मान के लिए निम्न बातें होना अनिवार्य हैं :--


१. आत्म-विश्वास

२. जहां आवश्यक हो "ना" कहने की क्षमता हो l किसी को मात्र खुश करके ; अपने काम बिगाड़ने से अच्छा है ,हम ना कह दें l इससे हमारा आत्म-सम्मान व् भरोसा -वचन के प्रति बना रहेगा l

३. हमारा पहनावा व् व्यक्तित्व आकर्षक होना चाहिए l

४. अस्वीकार ( rejection ) सहने की क्षमता होनी  चाहिए l  हमारी कमियों को स्वीकार करके उनको अपनी शक्ति बना लें और कार्य की सफलता सुनिश्चित करें l इससे आत्म-सम्मान बढ़ेगा l

५. खुद से बातें करें और अपनी शक्ति ( strength ) और कमियों पर ध्यान केंद्रित करें l कार्यों की सफलताओं के लिए खुद को धन्यवाद भी देना चाहिए और उत्साहित  भी हों l

६. हमें आत्म-निर्भर होना चाहिए ; दूसरों पर निर्भर ना रहें l

    हमें दूसरों के सुझावों व् शब्दों पर जाकर हमारे फैसले और योजनाओं को परिवर्तित नहीं करना चाहिए l

७. हर स्थिति में ; सफलता या असफलता  में भी हमारा आत्म-सम्मान समान रहना चाहिए l आत्म-सम्मान पर सफलता की मात्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए l

८.तुम्हारी सफलता तुमसे निर्धारित होनी चाहिए ,ना की दूसरे तुम्हें निर्देशित करें l  इसका तुम्हारे आत्म-सम्मान व् गौरव पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है l

९( i ). हमें किसी विशेष उद्देश्य के साथ जीना चाहिए l

   (ii). हमें स्वयं को अपनी अच्छाइयों और कमियों के साथ स्वीकार करना चाहिए l

   (iii). हमें हमारी जिम्मेदारियां निभाना आना चाहिए ,साथ ही आत्म-सम्मान की रक्षा भी l

   (iv).  हमें हमारे काम पर ध्यान देना चाहिए , समय का सदुपयोग भी l हमें दूसरों का समय भी एक चुपकू बनकर ख़राब नहीं करना चाहिए l 

१०. हमें कम बोलना चाहिए , लेकिन दूसरों की ज्यादा सुनें I

११. वायदा निभाएं ,किसी भी परिस्थिति में l 

        अगर हम गंभीर होंगे अपने आत्म-सम्मान ,आत्म-स्वाभिमान के लिए तो उपरोक्त बातों पर विचार करें और इन्हें आपने जीवन की आदत बना लें l इससे तुम्हे सफलता के साथ - साथ आत्म-विश्वास और उत्साह भी प्राप्त होगा l   

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