आत्म - सम्मान ( SELF ESTEEM )
सभी के जीवन की विशेष उपलब्धि या यों कहें जीवन का महत्त्व ही आत्म-सम्मान से जुड़ा होता है I हमारे व्यक्तित्व की वास्तविक पहचान ही हमारी आत्म-सम्मान की अनुभूति द्वारा कर सकते हैं I
आत्म - सम्मान का अर्थ होता है - आपका आपकी नज़रों में कितना सम्मान है , तुम स्वयं पर कितना विश्वास करते हो ; ये ही तुम्हारे आत्म-सम्मान को परिभाषित करेंगे I
आपका आपकी काबिलियत , चरित्र , व्यक्तित्व पर विश्वास ,आस्था ,सम्मान होना आपका आत्म-सम्मान
है l
आत्म-सम्मान,आत्म-गौरव से हमारे नैतिक चरित्र ,हमारी जीवन के लक्ष्यों के प्रति दृढ़ता प्रकट होती है l
अगर हमें आत्म-सम्मान बढ़ाना है ; तो हमें स्वयं पर विश्वास करना होगा ,हमें सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम लेनी होंगी ; जितनी जोखिम बड़ी और सूझ-बूझ के साथ ली होंगी ,सफलता उतनी ही बड़ी होंगी l हमें अस्वीकार ( rejection ) को सहने की शक्ति प्राप्त करनी होगी l
चाहे हमारी सफलता के मार्ग में कितनी भी रुकावटें आयें , हमें हमारा धैर्य,आत्मविश्वास कम नहीं होने देना चाहिए l अपनी क्षमताओं पर विश्वास अटल रखना होगा l हमें अपनी काबिलियत ,लक्ष्यों तथा योजनाओं पर विश्वास व् सम्मान रखना होगा ; तभी हमारा आत्म सम्मान बना रह सकता है l हमें कभी भी नकारात्मक परिस्थितिओं के बस में नहीं आना है ,जितना जल्दी हो गलत परिस्थितिओं से निकलने का मार्ग निकलना होगा l
कभी भी हताशा और भय में परिस्थितिओं से समझौता करके अपने आत्मसम्मान को न गिराएँ l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l
हमें हमारे सहयोगियों का सम्मान करना होगा , जहां तक संभव हो दूसरों की निश्वार्थ सहायता करें ,इससे तुम्हें अच्छा अनुभव होगा , आपका आत्म-सम्मान, दूसरों को निगाहों में सम्मान भी बढ़ेगा l
अगर आत्म- सम्मान नहीं होगा ; तो हमें हारने की अनुभूति होगी , उदासी, खिन्नता , तनाव ,चिंता व् भय का वातावरण बनेगा l कार्य अपने लक्ष्य से भटक जायेगा ,आत्म-विश्वास गिर जायेगा , तुम्हारा व्यक्तित्व भी गिर जायेगा l
आत्म-सम्मान पर पारिवारिक कारणों से भी उनकी पारिवारिक परिस्थितिओं का प्रभाव पड़ता है l हमारी सोच , उम्र , कोई बड़ी बीमारी या शारीरिक कमी का भी आत्म - सम्मान पर प्रभाव पड़ता है I हम किस प्रकार का कार्य कर रहे हैं, इसका भी आत्म-सम्मान पर प्रभाव पड़ता है l
आत्म-सम्मान गिरने पर हमें शर्म , तनाव और बेचैनी का अनुभव होता है l
अच्छे आत्म-सम्मान के लिए निम्न बातें होना अनिवार्य हैं :--
१. आत्म-विश्वास
२. जहां आवश्यक हो "ना" कहने की क्षमता हो l किसी को मात्र खुश करके ; अपने काम बिगाड़ने से अच्छा है ,हम ना कह दें l इससे हमारा आत्म-सम्मान व् भरोसा -वचन के प्रति बना रहेगा l
३. हमारा पहनावा व् व्यक्तित्व आकर्षक होना चाहिए l
४. अस्वीकार ( rejection ) सहने की क्षमता होनी चाहिए l हमारी कमियों को स्वीकार करके उनको अपनी शक्ति बना लें और कार्य की सफलता सुनिश्चित करें l इससे आत्म-सम्मान बढ़ेगा l
५. खुद से बातें करें और अपनी शक्ति ( strength ) और कमियों पर ध्यान केंद्रित करें l कार्यों की सफलताओं के लिए खुद को धन्यवाद भी देना चाहिए और उत्साहित भी हों l
६. हमें आत्म-निर्भर होना चाहिए ; दूसरों पर निर्भर ना रहें l
हमें दूसरों के सुझावों व् शब्दों पर जाकर हमारे फैसले और योजनाओं को परिवर्तित नहीं करना चाहिए l
७. हर स्थिति में ; सफलता या असफलता में भी हमारा आत्म-सम्मान समान रहना चाहिए l आत्म-सम्मान पर सफलता की मात्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए l
८.तुम्हारी सफलता तुमसे निर्धारित होनी चाहिए ,ना की दूसरे तुम्हें निर्देशित करें l इसका तुम्हारे आत्म-सम्मान व् गौरव पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है l
९( i ). हमें किसी विशेष उद्देश्य के साथ जीना चाहिए l
(ii). हमें स्वयं को अपनी अच्छाइयों और कमियों के साथ स्वीकार करना चाहिए l
(iii). हमें हमारी जिम्मेदारियां निभाना आना चाहिए ,साथ ही आत्म-सम्मान की रक्षा भी l
(iv). हमें हमारे काम पर ध्यान देना चाहिए , समय का सदुपयोग भी l हमें दूसरों का समय भी एक चुपकू बनकर ख़राब नहीं करना चाहिए l
१०. हमें कम बोलना चाहिए , लेकिन दूसरों की ज्यादा सुनें I
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