Monday, May 25, 2020

वार्तालाप ( बातचीत ) की कला l communication skill l Conversation Skill

वार्तालाप ( बातचीत ) की कला ( communication skill ) :



       वार्तालाप का अर्थ होता है बोलना या किसी बात को कहना l किसी बात को कहने या प्रकट करने के लिए हम कई माध्यम प्रयोग करते हैं ; जैसे मुंह से बोलकर , लिखकर , या संचार के किसी भी माध्यम का प्रयोग करके हम अपनी बात किसी तक पहुंचा सकते हैं l वार्तालाप की कला का हमारी सफलता पाने में एक बहुत ही बड़ा महत्व है l किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने में , व्यापार की सफलता भी वार्तालाप ( संचार ) की कला पर ही निर्भर करती है ; अगर हम अपनी बातों से हमारे ग्राहक को प्रभावित नहीं कर पाए तो हम कभी भी  व्यापार  में सफल नहीं हो सकते हैं l 


हमारे सभी रिश्तों की महबूती भी हमारे व्यव्हार और बोलचाल के तरीकों और तमीज पर काफी कुछ निर्भर करती है l  एक बोल ही वह अनमोल चीज है जो रिश्ते मजबूत भी कर सकती है तो एक पल में रिश्ते बिगाड़ भी सकती है l हमारे मुँह से निकला एक शब्द पल भर में रिश्ते बना या बिगाड़ सकता है l यह ही वह कला है जिससे हम एक अच्छे-सफल व्यापारी , वक्ता ,प्रसाशक बन सकते हैं l हमारे मुँह से निकला एक-एक शब्द काफी महत्व रखता है l वार्तालाप में हमें आत्मविश्वास से बोलना, जवाब देना और जवाब लेना आना चाहिए l 

      अगर हम मिलनसार हैं और अच्छा-मधुर बोलना जानते हैं तो सभी हमारे से प्रभावित होंगे और हमारे सहयोगी भी l हम हमारी बोली और व्यव्हार से ही किसी को दोस्त भी बना सकते हैं या दुश्मन भी l
      एक अच्छा प्रशासक या व्यापारी वही होता है जो एक अच्छा वक्ता हो और आगे वाले को जानकर और परिस्थिति समझकर अपनी बात रखने में सफल हो और सामने बाले से उसकी छिपी समस्या और शंका उजागर करवा सके l 
      वाणी ही वे शब्द हैं जो प्यार या नफरत घोलते हैं ; बस बोलने का तरीका अलग-अलग होगा उसी के अनुसार परिणाम प्राप्त होंगे l  




       ये डर हटा दो कि हमें बोलना प्रभावशाली तरीके से नहीं आता ,हम कभी समूह में किसी विशेष विषय पर बोले नहीं हैं तो कैसे बोल पाएंगे ; हमारी कमियों को पहचनानकर लोग क्या कहेंगे ; ये ही वे सारे डर हैं जो हमें एक प्रभावशाली तरीके से बोलने से दूर रखने का  प्रयत्न करते हैं और हमारे आत्मविश्वास को कम करते हैं l कोई बचपन से ही सारी विशेषताएं या काबिलियत नहीं रखता है , हमारे सकारात्मक दिशा में किये गए प्रयास द्वारा ही हम अपनी झिझक और कमियां दूर कर सकते हैं l इसके लिए हमें स्वयं पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना होगा और आत्मबिश्वास के साथ प्रयास करने होंगे और हमें विषय से सम्बंधित ज्ञान बढ़ाना होगा तभी हम अच्छे वक्ता बन सकते हैं l थोड़ा स्टेज का डर बुरा नहीं है , ये हमें सीखने की प्रेरणा देने का काम करेगा ; लेकिन इस डर को स्वीकार करके हमें आत्मविश्वास के साथ योजना बनाकर उसको सफल बनाना होगा l  

जब भी बोलो चेहरे पर मुस्कान के साथ आत्मविश्वास से बोलो l आपकी वाणी में शक्ति होनी चाहिए और एक-एक शब्द स्पष्ट और सोच-समझकर बोलने चाहिए l वाणी में मधुरता और सजगता होनी आवश्यक  है l जो भी बात करो समय और माहुल देखकर बात करो ताकि लोगों को आपकी बातों से आपके लिए सम्मान की अनुभूति हो ; न कि उन्हें गुस्सा या दुःख का अनुभव हो l  

       आपके वार्तालाप को सुनकर सामने वालों को आप में रूचि जाग्रत होनी चाहिए न कि वे आपकी बातें सुनकर ऊब महशुस करें l जो भी बोलो सहजता के साथ और प्यार भरी मुस्कान छोड़ते हुए बोलो ; हो सके तो सामने वाले को भी आपकी बातों में शामिल कर लो l  उससे भी आपकी बातों में प्रतिक्रिया या सुझाव और प्रश्न पूछते रहो , जिससे उसे लगे कि आप उसमे रूचि रखते हैं l कोई भी बात कहने में डर नहीं होना चाहिए l जो भी बोलो आत्मविश्वास के साथ सोच-समझ कर बोलो l बोलते समय आँखों में ऑंखें डालकर बात करो , इससे तुम्हारा आत्मबिश्वास बढ़ेगा और आगे वाले को आपसे बातें करने में अच्छा लगेगा l बोलते समय शारीरिक हाव-भाव आकर्षक और आत्मविश्वास भरे हों , पहनावा माहुल और विषय से मेल खाता हुआ होना चाहिए l बात करते समय आपके हाथों के इशारे और लय आपकी बातों में गहराई प्रकट करने चाहिए l सामने वाले को समझकर बात करो l अगर कोई आपकी बातों से सहमत न हो तो उससे उलझो नहीं, ना ही बहस करो ; दूसरों को बोलने का भी मौका दो l 

      
जो भी बोलें विषय पर ही ध्यान केंद्रित करें , विषय से बाहर बोलकर ध्यान भटकाने से विषय की गंभीरता भंग होगी और हम अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाएंगे lबोलते समय सामने वाले से मधुरता और आत्मविश्वास के साथ प्रश्न करो ,इससे तुम्हें उसको जानने का मौका मिलेगा और उसकी सोच और इच्छाशक्ति जानकर आप अपनी बातें प्रभावशाली तरीके से रख पाओगे l सामने वाले से अच्छी समझ बनाने की कोशिस करो , उनकी मनोदशा के हिसाब से मुश्कान और दुःख प्रकट करो l दूसरों को अच्छी भावनाएं ( good feelings ) दो l तुम्हारी भावनाएं दूसरों के प्रति अच्छी और सहयोगातात्मक होनी चाहिए l दूसरों के सामने बातों में अपना घमंड बिलकुल भी प्रकट ना करो l इससे आगे वाले आपका और आपकी बातों का दिल से सम्मान करेंगे l बोलते समय सामने वालों की प्रतिक्रियाओं को या उनके विचारों को अपने ऊपर हावी मत होने दो , ठंडा दिमाग रखो और सकारात्मक मुश्कान के साथ जबाव दो l आपका आत्मविश्वास बनाये रखो l   




ये ही वे मुख्य बातें हैं जो हमारी  वार्तालाप को प्रभावी बना सकती हैं :--




निम्न कुछ बातें और हैं ,जिनसे आप और अच्छे से वार्तालाप ( संचार ) की कला में निखार ला सकते हैं l  इससे आप सम्मान और वार्तालाप में आकर्षण प्राप्त कर सकते हैं : --


1 . निडरता  और आत्मविश्वास के साथ बोलें l आपकी विषय पर पकड़ होनी चाहिए और आपकी वाणी आकर्षक , मधुर और दमदार होनी चाहिए l  


२ . आपके शारीरिक हाव-भाव और पहनावा आकर्षक और सकारात्मक होना चाहिए l आपके हाथों , आँखों और शरीर के हाव-भाव माहुल और विषय से मेल खाते हुए होने चाहिए l 


3 . आपको बोलने के साथ सामने वालों को सुनना भी आना चाहिए l सामने वालों की पसंद-नापसंद समझकर बोलना चाहिए l जहां तक संभव हो सामने वालों को भी बातों में शामिल करो और संक्षेप में बात कहना सीखो l 

4 . अपने विषय की पूरी जानकारी प्राप्त करो और बोलने से पहले सामने वाले के दिमाग को अच्छे से पढ़ने की कोशिस करो l आप कम बोलें ,सामने वाले को ज्यादा बोलने का मौका दें ; इससे आप उसकी पसंद-नापसंद और उसकी सोच को जाँच पाओगे l अपने शब्द भंडार को बढ़ाओ ताकि आप प्रभावशाली शब्दों का प्रयोग करके आपके प्रभाव को बढ़ा सकते हैं l जो भी बोलें शब्द चुनकर  बोलें और भाषा शालीन रखें l आपको आत्मविश्वास के साथ शालीन और मधुर बोलना है और बोली में दम होना चाहिए l कोई भी अश्लील और आक्रामक शब्दों का प्रयोग करने से बचें l 

5 . आपको माहुल देखकर बात करना आना चाहिए , बात करने में चतुराई का भी प्रयोग माहुल के अनुसार करना चाहिए l अगर कुछ कठोर कहना हो तो बोलने से पहले माफ़-कीजियेगा ( SORRY ) बोलना अच्छा होगा l कम बोलें और सामने बालों की ज्यादा सुनें ; तब अगर आवश्यक हो तो मधुरता के साथ अपनी प्रतिक्रिया दें और अपनी बात रखें l कई बार चुप रहना भी अच्छा होता है ; बिना मांगे सलाह देने की भूल न करें l
बातों के दौरान नकारात्मक टिप्पणियाँ करने से बचें , कभी भी किसी की चुगली न करें ; इनसे सामने वालों की नज़रों में आपका सम्मान बढ़ेगा और वे आपकी बातों में दिलचश्पी लेने के इच्छुक होंगे l
बातों में सकारात्मक मुश्कुराना , किसी के अच्छे काम या उनकी सफलता पर उनकी तारीफ करना आपके सम्मान को बढ़ने में आपकी मदद करेगा l दूसरों से वहस में न पड़ो और उनकी बातों से भी सहमत होना सीखो ; आगे वालों की भावना और मूड देखकर बात करो l

आगे वाले बात कर रहे हों तो अपनी सहमति का आभाष उन्हें संक्षेप में इशारों या हाँ-हूँ आदि कह कर देते रहो ; इससे सामने वालों  को आपका अपनत्व प्रकट होगा l   















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