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Showing posts from February, 2025

विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं I

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 विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं l CONTROL YOUR BREATHING TO CONTROL MIND  हाँ ! मस्तिष्क से उठे तरह-तरह के अलग-अलग विचारों का जाल ही मन है I  मन अस्तित्वहीन है; जिसे हम दिल की गहरी भावनाओं के साथ जोड़कर खुश भी होते रहते हैं, या कभी कभी इतने दुखी, और निराश भी हो जाते हैं कि सब कुछ अशांत-दुखी, और बैचेन हो जाता है I  अतः; अगर आपको हर क्षण ख़ुशी-शांति, और तरक्की को अनुभव करते हुए पूर्ण स्वस्थ और सुखमय जीवन चाहिए-- तो स्वयँ को समझना, और स्वयँ को समय देकर अपने अंतर्मन की भावनाओं-विचारों, और तीब्र-इच्छाओं को विवेकशीलता के साथ समझना शुरू कर दो I  मन के जाल में ना फँसो; बल्कि बुद्धि का उपयोग करें, और मन में चल रहे विचारों का आत्मावलोकन शाँति, और धैर्य बनाए रखते हुए करें; तभी आप सही निष्कर्षों पर पहुँच कर सही निर्णय ले पाएँगे I  इससे हर कार्य सफ़ल भी होंगे, और आप हर प्रकार के तनाबों, तथा चिंताओं से भी बचे रहेंगे I मन क्या है ? ख़ुशी के साथ तनाबमुक्त सफलता पाने का रहस्य ● निम्न हिंदी वीडियो आपके लिए हितकर होंगे; कृपया चिंतन-मनन के साथ उपय...

ध्यान किया नहीं जाता है ध्यान तो ख़ुद लग जाता है l Meditation Is The Automatic Process l How Meditate l Dhyan Avastha

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प्राण वायु से ऊर्जा प्रवाह  ध्यान किया नहीं जाता है; ध्यान तो ख़ुद लग जाता है ! ध्यान एक स्वतः प्रक्रिया है जो स्वतः ही घटित होती है ! ध्यान किया नहीं जाता है; ध्यान तो ख़ुद लग जाता है !  ध्यान को जबरदस्ती साधने की चेष्टा या हट करने से कभी नहीं साधा जा सकता है; ध्यान बहुत सुगम प्रक्रिया है; जो चेतन अवस्था में किसी भी क्षण हो सकती है ! ध्यान तभी लगता है; जब आप किसी भी एक चीज पर, या शब्द, और बात में इतना खो जाएँ कि आप अन्य हर जगह, विचारों, चीजों, समय के बोध से अलग हो जाएँ !  ऐसा हम बल पूर्वक चाह कर भी नहीं कर सकते हैं- ऐसा तभी हो सकता है; जब हम सभी बातों, चीजों, विचारों को साक्षी भाव के साथ आने-जाने दें, उन पर कोई ध्यान ही ना दें, और ना ही कोई प्रतिक्रिया दें- बस हमारे ध्यान का फोकस एक ही चीज या विचार पर होना चाहिए, और कभी यह ना सोचें कि कब हम ध्यान अवस्था में जाएँगे- तब ऐसा कुछ विशेष स्वतः ही घटित होगा कि आप स्वतः ही विचार शुन्य अवस्था में आ जाएँगे- और यही आपकी गहन ध्यान की अवस्था होगी !  यह घ्यान हमें वह ख़ुशी, सामर्थ्य प्रदान करेगा; जिसकी कल्पना मात्र से हमारे सभी दुःख...

हमारी 72 हज़ार नाड़ियों की शुध्दि ना होने के कारण ही हम अस्वस्थ और मानसिक रोगों से ग्रषित हैं l Nadi Shodhan l नाड़ी शोधन से स्वास्थ्य प्राप्त करें

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                 नाड़ी शोधन से स्वास्थ्य प्राप्त करें  हमारी 72 हज़ार नाड़ियों की शुध्दि ना होने के कारण ही हम अस्वस्थ और मानसिक रोगों से ग्रषित हैं ! हमारा शरीर ही हमारा सबसे बड़ा डॉक्टर है; लेकिन हम अज्ञानतावश स्वयँ की शक्तियों को भुलाकर हर रोगों, दुखों-कष्टों के लिए या तो डॉक्टरों या अन्य ढ़ोंगियों पर निर्भर रहकर- और मुशिबत में फँसते चले जा रहे हैं !  अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है; अपने ध्यान को होशपूर्वक स्वयँ पर, और स्वयँ की सोइ हुई शक्तियों पर केन्द्रित करें- और स्वयँ को, और स्वयँ की परेशानियों के वास्तविक कारण जानकर ध्यान, प्राणायाम, और योग की सही विधियों को उपयोग में लेकर स्वयँ को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाएँ !  यह आसान भी है; बस जरूरत है- तो स्वयँ को जाग्रत्त करने की !

ध्यान l होशपूर्ण ध्यान ही सफ़लताकारक सिद्ध होता है l Meditation l Conscious Meditation

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MEDITATION 🧘‍♀️  ध्यान वही होगा- जिसमे हम चेतन अवस्था में रहकर एक ही बात, या कार्य, या चीज पर पूर्णतः एकाग्रः और एक-चित्त हो जाएँगे !   अचेतन अवस्था में या बेहोशी की अवस्था में किए गए कार्य या चीज पर ध्यान देते रहना कभी भी ध्यान अवस्था के विशेष लाभ नहीं दे पाएँगे !                 चेतन ध्यान से ही बड़ी-बड़ी सफलताएँ और सिध्दि पाना संभव है !   सचेत अवस्था में किए गए कार्यों में वह शक्ति, और ऊर्जा होती है; जो व्यक्ति को हर कार्य पूर्ण लगन के साथ करने की ऊर्जा, और आत्म-विश्वास प्रदान करके उसे निरन्तर करके सफ़ल भी बनाती है !  हर कार्य ध्यान पूर्वक, पूर्ण होश में करना ही योग है; जिसमे हर साँस के साथ हमें प्राण-ऊर्जा प्राप्त होती है; जिसके कारण हम उत्साह के साथ कठिन कार्य भी ख़ुशी के साथ सम्पन्न कर लेते हैं ! ●● RELATED IMPORTANT HINDI BLOG :- MEDITATION