आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे अगर आपने अपनी 24 घण्टे चल रही सांसों को साधना सीख लिया l Deep Breathing l Health Care l Healthy Life l IKIGAI

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DEEP BREATHING  आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे; अगर आपने अपनी 24 घण्टे चल रही सांसों को साधना सीख लिया ! यह एक वैज्ञानिक प्रमाणित तथ्य है कि कोई भी प्राणी जो सांसों को नाभि तक गहरी-लम्बी लेगा और जितना धीमा साँस बाहर ज्यादा समय ख़र्च करते हुए छोड़ेगा; उसकी आयु उतने गुणा ही बढ़ती जाएगी ! लम्बी-गहरी नाभि तक ली गई प्रत्येक सांस सीधे हमारी नाड़ियों तक पहुंचकर हमारी प्रत्येक कोशिकाओं को सही मात्रा में पोषित और ऊर्जावान बना सकती है ! इसके साथ ही ज्यादा देर में धीमी गति से साँस छोड़ने से शरीर में प्राणवायु लेने के लिए वैक्यूम बनेगा, और हम अधिक प्राणवायु लेने की योग्यता हाँसिल करेंगे, और शरीर में भरपूर प्राणवायु प्राण-ऊर्जा के रूप में एकत्रित होगी; इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तथा शरीर के खून में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ेगा; जिनके फलस्वरूप शरीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता चला जाएगा ! जितना ज्यादा समय साँस लेने और छोड़ने का होगा उतना ही हमारी स्वास की दर कम होगी; जिसका सुफल हमारी दीर्धायु होगी !  ● इसका उदाहरण हमें जापानियों में मिलता है; जो लम्बी-गहरी साँस लेते हैं, और ज्यादा देर में धीमी गति ...

ध्यान किया नहीं जाता है ध्यान तो ख़ुद लग जाता है l Meditation Is The Automatic Process l How Meditate l Dhyan Avastha

प्राण वायु से ऊर्जा प्रवाह 

ध्यान किया नहीं जाता है; ध्यान तो ख़ुद लग जाता है !

ध्यान एक स्वतः प्रक्रिया है जो स्वतः ही घटित होती है !

ध्यान किया नहीं जाता है; ध्यान तो ख़ुद लग जाता है ! 
ध्यान को जबरदस्ती साधने की चेष्टा या हट करने से कभी नहीं साधा जा सकता है; ध्यान बहुत सुगम प्रक्रिया है; जो चेतन अवस्था में किसी भी क्षण हो सकती है !

ध्यान तभी लगता है; जब आप किसी भी एक चीज पर, या शब्द, और बात में इतना खो जाएँ कि आप अन्य हर जगह, विचारों, चीजों, समय के बोध से अलग हो जाएँ ! 
ऐसा हम बल पूर्वक चाह कर भी नहीं कर सकते हैं- ऐसा तभी हो सकता है; जब हम सभी बातों, चीजों, विचारों को साक्षी भाव के साथ आने-जाने दें, उन पर कोई ध्यान ही ना दें, और ना ही कोई प्रतिक्रिया दें- बस हमारे ध्यान का फोकस एक ही चीज या विचार पर होना चाहिए, और कभी यह ना सोचें कि कब हम ध्यान अवस्था में जाएँगे- तब ऐसा कुछ विशेष स्वतः ही घटित होगा कि आप स्वतः ही विचार शुन्य अवस्था में आ जाएँगे- और यही आपकी गहन ध्यान की अवस्था होगी ! 

यह घ्यान हमें वह ख़ुशी, सामर्थ्य प्रदान करेगा; जिसकी कल्पना मात्र से हमारे सभी दुःख-दर्द समाप्त होकर हमारे आत्म-विश्वास को चरम पर पहुंचा देंगे !

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