विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं I

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 विचार, मन और भावनाएँ हमारे मस्तिष्क की एक स्वाभाविक क्रियाएँ हैं l CONTROL YOUR BREATHING TO CONTROL MIND  हाँ ! मस्तिष्क से उठे तरह-तरह के अलग-अलग विचारों का जाल ही मन है I  मन अस्तित्वहीन है; जिसे हम दिल की गहरी भावनाओं के साथ जोड़कर खुश भी होते रहते हैं, या कभी कभी इतने दुखी, और निराश भी हो जाते हैं कि सब कुछ अशांत-दुखी, और बैचेन हो जाता है I  अतः; अगर आपको हर क्षण ख़ुशी-शांति, और तरक्की को अनुभव करते हुए पूर्ण स्वस्थ और सुखमय जीवन चाहिए-- तो स्वयँ को समझना, और स्वयँ को समय देकर अपने अंतर्मन की भावनाओं-विचारों, और तीब्र-इच्छाओं को विवेकशीलता के साथ समझना शुरू कर दो I  मन के जाल में ना फँसो; बल्कि बुद्धि का उपयोग करें, और मन में चल रहे विचारों का आत्मावलोकन शाँति, और धैर्य बनाए रखते हुए करें; तभी आप सही निष्कर्षों पर पहुँच कर सही निर्णय ले पाएँगे I  इससे हर कार्य सफ़ल भी होंगे, और आप हर प्रकार के तनाबों, तथा चिंताओं से भी बचे रहेंगे I मन क्या है ? ख़ुशी के साथ तनाबमुक्त सफलता पाने का रहस्य ● निम्न हिंदी वीडियो आपके लिए हितकर होंगे; कृपया चिंतन-मनन के साथ उपय...

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है l PRAN VAYU l PRAN URJA l PRANAYAM l YOGA

7 CHAKRA 

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है !

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है !

अगर शरीर के हर अंग कोशिकाओं और नस-नाड़ियों तक आवश्यक अनुपात में प्राण-ऊर्जा सही समय पर ना पहुँच पाए; तो शरीर में कई प्रकार के रोग और विकार उत्पन्न हो जाएँगे; जिनका बुरा असर हमारे मानसिक स्तर शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर पड़ेगा ! 

हमारे शरीर की 72000 नाड़ियाँ हमारे शरीर के रीढ़ पर स्थित 7 मूल चक्रों ( वैसे 10 चक्र हैं- लेकिन मूल चक्र 7 हैं - मूलाधार चक्र , स्वादिष्ठान चक्र , मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र , विशुद्धि चक्र , आज्ञा चक्र , सहस्त्रात चक्र ) से जुड़ी होती हैं, और कुण्डली बनाकर स्थिरता प्राप्त करती हैं ! 

हमारा मूलाधार चक्र शरीर का ऊर्जा केन्द्र होता है; जहाँ से ऊर्जा ऊर्ध्वागमन करती हुई इन बाकी 6 चक्रों ( स्वादिष्ठान चक्र , मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र , विशुद्धि चक्र , सहस्त्रात चक्र ) तक पहुँच सकती है !

हमारे द्वारा ली गई प्रत्येक लम्बी-गहरी साँस जो हमारी नाभी तक जाती है; वही प्राण-वायु होती है- जो मूलाधार चक्र को ऊर्जा प्रदान करती रहती है !

बिना प्राण-वायु के शरीर निर्जीव हो जाएगा, और अगर शरीर में सही मात्रा में प्राण-वायु नहीं जाएगी- तो शरीर में प्राण-ऊर्जा कम हो जाएगी- और हमारी नश-नाड़ियों और कोशिकाओं को भी आवश्यक ऊर्जा ना मिलने के कारण उनमें विकार उत्त्पन्न होंगे, तथा शरीर निर्बल और रोगग्रस्त हो जाएगा ! 

अतः; अगर शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य चाहिए- तो लम्बी-गहरी सांसें लेने की आदत डालें, तथा चैतन्य रहते हुए जो भी साँस लें- वे नाभी तक लें !
आधी-अधूरी सांसें जो नाभी तक नहीं पहुँच पाएँगी- उनसे पूर्ण ऊर्जा का लाभ शरीर को प्राप्त नहीं हो पाएगा !




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All The Best 👍 

Flow Of Pran-urja




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