खेचरी मुद्रा क्या है l खेचरी मुद्रा के अद्भुत फायदे l Kriya Yoga Or Khechari Mudra

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 खेचरी मुद्रा क्या है ? खेचरी मुद्रा के अद्भुत फायदे ! खेचरी अवस्था  खेचरी मुद्रा से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक फ़ायदे उज्जायी प्राणायाम के साथ खेचरी मुद्रा करने पर अधिक शीघ्र प्राप्त किए जा सकते हैं !  खेचरी मुद्रा के साथ ध्यान, और प्राणायाम अभ्यास करने पर लाभों का प्रभाव बढ़ जाता है ! यह किया-योग की विशेष मुद्रा है; जिसके बिना क्रिया-योग पूर्णता को प्राप्त नहीं होता है !  क्रिया-योग में शाम्भवी मुद्रा के साथ खेचरी मुद्रा लगाकर ध्यान साधना करने पर साधक को शीघ्र सिद्धि पाना संभव है !  ●● पूर्ण जानकारी के लिए निम्न वीडियो सुनें, और अभ्यास करें; आपको शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ अवश्य प्राप्त होंगे :-

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है l PRAN VAYU l PRAN URJA l PRANAYAM l YOGA

7 CHAKRA 

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है !

हमारे शरीर का संचालन प्राण-वायु द्वारा प्राप्त प्राण-ऊर्जा शक्ति द्वारा ही संभव हो पाता है !

अगर शरीर के हर अंग कोशिकाओं और नस-नाड़ियों तक आवश्यक अनुपात में प्राण-ऊर्जा सही समय पर ना पहुँच पाए; तो शरीर में कई प्रकार के रोग और विकार उत्पन्न हो जाएँगे; जिनका बुरा असर हमारे मानसिक स्तर शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर पड़ेगा ! 

हमारे शरीर की 72000 नाड़ियाँ हमारे शरीर के रीढ़ पर स्थित 7 मूल चक्रों ( वैसे 10 चक्र हैं- लेकिन मूल चक्र 7 हैं - मूलाधार चक्र , स्वादिष्ठान चक्र , मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र , विशुद्धि चक्र , आज्ञा चक्र , सहस्त्रात चक्र ) से जुड़ी होती हैं, और कुण्डली बनाकर स्थिरता प्राप्त करती हैं ! 

हमारा मूलाधार चक्र शरीर का ऊर्जा केन्द्र होता है; जहाँ से ऊर्जा ऊर्ध्वागमन करती हुई इन बाकी 6 चक्रों ( स्वादिष्ठान चक्र , मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र , विशुद्धि चक्र , सहस्त्रात चक्र ) तक पहुँच सकती है !

हमारे द्वारा ली गई प्रत्येक लम्बी-गहरी साँस जो हमारी नाभी तक जाती है; वही प्राण-वायु होती है- जो मूलाधार चक्र को ऊर्जा प्रदान करती रहती है !

बिना प्राण-वायु के शरीर निर्जीव हो जाएगा, और अगर शरीर में सही मात्रा में प्राण-वायु नहीं जाएगी- तो शरीर में प्राण-ऊर्जा कम हो जाएगी- और हमारी नश-नाड़ियों और कोशिकाओं को भी आवश्यक ऊर्जा ना मिलने के कारण उनमें विकार उत्त्पन्न होंगे, तथा शरीर निर्बल और रोगग्रस्त हो जाएगा ! 

अतः; अगर शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य चाहिए- तो लम्बी-गहरी सांसें लेने की आदत डालें, तथा चैतन्य रहते हुए जो भी साँस लें- वे नाभी तक लें !
आधी-अधूरी सांसें जो नाभी तक नहीं पहुँच पाएँगी- उनसे पूर्ण ऊर्जा का लाभ शरीर को प्राप्त नहीं हो पाएगा !




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Flow Of Pran-urja




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