Sunday, April 26, 2020

व्यक्तित्व विकास l personality development

व्यक्तित्व (personality) :--


       व्यक्तित्व अपने अंदर की विशेषताएं ( खासियतें ) हैं , जिनको हम जन्म  से ही रखते हैं l व्यक्तित्व पर हमारे पारिवारिक वातावरण , उनके रहन-सहन के तरीकों , हमारे पारिवारिक आचरण , भावनाओं और उनके दिए संस्कारों का काफ़ी प्रभाव होता है l हमारे हाव-भाव , हमारे बोलचाल के तरीके ,हमारा पहनावा ,हमारा आकर्षण (खूबशूरती) , चरित्र ,हमारी भावनाएं ,हमारे विचार , क्षमताएं , रूचि , रवैया (attitude) , व्यव्हार , हमारे देखने का नजरिया ,हमारे प्रयास करने के तरीके और आत्मविश्वास हमारे व्यक्तित्व की मुख्य पहचान होती हैं l 

     
हमारा व्यक्तित्व कभी भी दूसरों से मेल नहीं खा सकता ,क्यूंकि सभी के  संस्कार व पारिवारिक वातावरण और प्रवर्तियाँ कभी एक जैसी नहीं होती हैं l हमारी येही विशेषताएं हमें दूसरों से अलग पहचान ( unic ) दिलाती हैं l 


     
     हमारा व्यक्तित्व दो प्रकार का होता है ; बाहरी व्यक्तित्व और आंतरिक व्यक्तित्व l 

हमारा बाहरी दिखावा , हमारा रहन-सहन , हमारे शारीरिक हाव-भाव (body language) , हमारे बातचीत करने के तरीके , हमारे चलने के तरीके ; हमारे बाहरी व्यक्तित्व के परिचायक हैं l
 हमारी भावनाएं , हमारे देखने व सोचने के नजरिये ,
सकारात्मक दृष्टिकोण ( POSITIVE ATTITUDE ) ,आत्मविश्वास ,आंतरिक सोच ,आत्मानुभूति , हमारे चिंतन का तरीका , चरित्र , नैतिक व्यव्हार (moral), हमारी आत्मसम्मान की भावना , हमारी प्रतिक्रयाएं आदि हमारे आंतरिक व्यक्तित्व के परिचायक हैं l 

कोई भी व्यक्ति जन्म से ही पूर्ण नहीं होता है , हम अपनी सकारात्मक सोच , अपने पर विश्वास करके और आत्मविश्वास द्वारा अपने में परिवर्तन ला सकते हैं l चाहे हमारी पारिवारिक परिस्थितियां और वातावरण कितना भी ख़राब क्यों न रहा हो , हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं , हम भी आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त कर सकते हैं l बस हमें अपने पर विश्वास करना होगा और हमें सतत प्रयास करने होंगे l 

        दूसरों पर निर्भर न हों , अपने आप पर और अपने प्रयासों पर विश्वास रखो l लड़ाई और फ़िजूल की बहसबाजी से जितना हो दूर रहें l न किसी को अपमानित करो और न ही किसी का अपमान सहन करो , अगर कोई अपमान करने ही हिम्मत करे तो उसे तुरंत कड़क जबाब दो ; जिससे वह दुबारा ऐसी हिम्मत कभी न करे l न कभी किसी के सर चढ़ो और न ही किसी को सर पर चढ़ने दो l हमेशा प्रतिभाशाली लोगों के साथ रहो , फ़िजूल के समय बर्वाद करने वाले और हिम्मत-हीन लोगों से जितना हो सके उनसे दूरी बनाओ l मुसीबतों से कभी घबराएं नहीं ; उनका सामना आत्मविश्वास के साथ और कुशलता से करो l अनचाहे भविष्य में आने वाले डर से दूर रहें l कभी अपने काम को छोटा न समझें , मेहनत के बल पर उसको बड़ा करो l कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा खुश रहो और चेहरे पर मुश्कान बनाये रखो l 
हमेशा जो भी बोलो सोच समझकर बोलो ,जहां तक संभव हो कम बोलो और दूसरे को ज्यादा सुनो l तुम्हारे बोलने का तरीका शालीन होना चाहिए ; कभी भी बोलते समय हडबडाहट न हो , धैर्य से बोलें और चेहरे पर मुश्कुराहट बनाये रखें ; आँखों से आँखें मिलाकर आत्मविश्वास के साथ बात करें l आँखों की चमक हमेशा बनी रहनी चाहिए , बुलंद आबाज भी l चलो तो शालीनता और आत्मविश्वास के साथ चलो l चलते  समय तुम्हारा चेहरा आत्मविश्वास से भरा हुआ और सीधा रहे , हमेशा सामने या नीचे देखकर चलो ; फालतू टाँक- झाँक करते न चलो ; इससे तुम्हारे व्यक्तित्व में वृद्धि होगी l किसी को चलते हुए पलट कर न देखें , न ही कोई छींटाकसी ( comments ) करो ; इससे तुम्हारे व्यक्तित्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा l हंसो तो शालीन हंसो , जोर-जोर से या खि-खि करके अपना व्यक्तित्व कम न होने दो ; हमेशा वातावरण , परिस्थिति देखकर ही हंसना चाहिए l जब भी किसी से पहली बार मिलो तो कम बोलो , धीरे और शालीनता से बोलो , दूरी बनाकर रखो , जो पूछो प्यार से पूछो ,जो सामने वाला पूछे उसका जबाव दो ; इससे लोग तुमसे मिलने को उत्सुक होंगे ,तुम्हारा सम्मान करेंगे l पूरी बातचीत में हमेशा सकारात्मक मुस्कान चेहरे पर बनी रहनी चाहिए l हमेशा सामने वाले को विशिष्ट महसूस होना चाहिए l अगर नाराजगी दिखानी पड़े तो चुप्पी से दिखाओ ,अगर सामने वाला आपको सम्मान देना जानता है ; तो वह सब कुछ समझ जायेगा - तुम्हारी ख़ामोशी से l सामने वाले  को देखकर प्रतिक्रिया दें l कभी भी तुरंत उपलब्ध न हों ,जिससे उन्हें लगे तुम उनकी कृपा पर ही निर्भर हो ; आपका आत्म-सम्मान और आत्म-गौरव बनाये रखना तुम्हारे हाथों में है l दूसरों का सम्मान करें l  दूसरों की बातों को महत्व दें l सोचने का तरीका सकारात्मक रखें l तुम्हारे हाव-भाव सकारात्मक और शालीन रखें l अपना पहनावा आकर्षक और शालीन हो ; कार्य और परिस्थिति  के मुताविक कपड़ों आदि का चयन करें l

अगर तुम्हें अलग बनना है तो अलग दिखना भी होगा l जो भी कार्य करो गर्म-जोशी के साथ करो , धैर्य व् आत्मविश्वास बना रहना चाहिए l अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें l दूसरों के कार्यों की प्रसंसा करें और उन्हें प्रोत्साहित भी l इससे तुम्हारे चारों और ख़ुशी और सहयोग का एक विशेष वातावरण बनेगा , जो तुम्हारी सफलता में सहयोगी होगा l

       तुम्हारा दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए l सकारात्मक दृष्टिकोण से हमें सही दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने कि प्रेरणा मिलती है , हमारा व्यक्तित्व सकारात्मक होगा l जीवन में ख़ुशी और प्रगत्ति के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है l


       जब हमारी सोच नकारात्मक होती है तो असफलता की सम्भावना बढ़ जाती है ,हम अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लग जाते हैं ,हमारा आत्मविश्वास भी कम होने लगता है l इसलिए कार्य की सफलता के लिए नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण करना होगा l हम अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करके जीवन को बदल सकते हैं , सफल हो सकते हैं l सर्वश्रेष्ठ करने के लिए तुम्हें नकारात्मक सोच को सकारात्मक में बदलना ही होगा , आत्मविश्वास रखना होगा - अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर l 


निम्न कुछ बातें हैं , जिनका ध्यान रखें तो हम अपने व्यक्तित्व ( PERSONALITY) में , सकारात्मक दृष्टिकोण ( POSITIVE ATTITUDE) में परिवर्तन लाकर जीवन में सारी सफलताएं और खुशियां प्राप्त कर सकते हैं  :--



1 . अपने से छोटों की सही बातों का सम्मान करना चाहिए और बड़ों की सलाह को मानना चाहिए l     
     छोटी-छोटी बातों पर क्रोध व झगड़ा नहीं करें और विचार करें कारणों पर l 
     लोगों से वही व्यव्हार करो जो तुम दूसरों से अपने लिए चाहते हो ,तभी तुम सम्मान प्राप्त कर सकते 

     होl
     विनम्र बनें , चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक व मुश्कान लाएं , बोलचाल में सभ्यता का परिचय दें l
     अह्म (EGO) को हद से ज्यादा प्रदर्शित न करो l 

2.  तुम्हें दूसरों से विशेष होने के प्रयास करने चाहिए l दूसरों को नहीं देखें ,अपने में सकारात्मक परिवर्तन      लाएँ lतुम्हारा रहन - सहन , बातचीत का तरीका, तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरों से अलग होना चाहिए l   
     अगर कोई तुम्हें आदर व सम्मान दे रहा है तो, तुम भी उनके बन जाओ और उनको दिल से सम्मान          और आदर दो l उन्हें अपमानित और नज़रअंदाज़ मत करो l तुम अपने अच्छे व्यव्हार व विश्वास से            उनके दिल जीत सकते हो l
     इन सबसे तुम्हारा सम्मान व आत्म-गौरव बढ़ेगा l 

 3. कोई भी कार्य जल्दबाजी में न करें l कार्य की सफलता और उनकी अच्छाई-बुराई के बारे में सब              समझकर ही कार्य करें l हर कार्य की सफलता समय व समर्पण मांगती है अतः सब्र व धैर्य रखो ,              कार्य की सफलता तक l

4 .  ईमानदार बनो पर इस्तेमाल मत होने दो l प्रेम करो पर खुद पर ठेस न लगने दो , विश्वास करो पर             भोले न बनो l दूसरों की सुनो पर अपनी आवाज मत खोने दो l 

5 . कभी भी किसी की चालाकी का शिकार न हो l 

6 . कभी भी किसी को बिना मांगे सुझाव न दो l कोई आपसे बात करने में रूचि न दिखाए तो उसे छोड़        दो l अपनी अहमियत को समझो l 

7 . खुद पर और अपनी काबिलियत पर भरोसा करो ; कभी किसी दूसरों पर निर्भर मत हों l सकारात्मक      सोच रखो और खुद पर आत्मविश्वास रखो l न किसी को खास बनाओ और न ही किसी के खास              बनकर रहो l जहां  तक संभव हो कुछ ही खास दोस्त रखें l 

8 .  फिजूल की वहस और लड़ाई-झगड़ों से दूर ही रहें ; इनसे तुम्हारा समय वर्वाद होगा और तुम्हारा              ध्यान सकारात्मक कार्यों से भटक जायेगा और मन में अशांति का जन्म होगा l समाधान बातचीत से        निकालें , वहस से नहीं l 

9 . अपने को मानसिक रूप से शक्तिशाली बनाओ l जीवन व सफलता के बारे में सकारात्मक सोच              रखोl
     अपने को सफल बताना बंद करो ; तुम्हारी सफलता तुम्हारे कार्य व तुम्हारे उत्साह से दिखनी चाहिए ;      न कि तुम्हें  बताना पड़े l  वस , तुम अपने को योग्य बनाओ , दुनिया तुम्हारे पीछे होगी l तुम्हें अपने            प्रगत्ति के पथ पर रुकना नहीं है, आगे बढ़ते जाना है l  

10 . तुम्हें तुम्हारे बीते समय पर ध्यान नहीं देना है , वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करो ,अपनी सफलताओं के          लक्ष्यों के बारे में विचार करो , आने वाली अनचाही दिक्कतों के बारे में सोच-सोच कर निराश नहीं            होना है l अगर कुछ समस्याऍ आएँगी तो तब आत्मविश्वास के साथ समाधान भी करेंगे पर ; निराश          होकर अपने लक्ष्यों को परिवर्तित नहीं करना है l 

11 . दूसरों की सफलताओं पर जलना नहीं है , उनको उनकी सफलताओं पर बधाई दो ,हो सके तो                  उनकी मदद भी करो l ऐसा करने पर वे भी तुम्हारे हो जायेंगे ,तुम्हारी सफलता में सहायक भी l 

12 . कभी तुम्हारी असफलताओं के लिए किसी और को दोष न दो l कभी भी अपनी तुलना दूसरों से न            करो ,जो करना है तुम्हें ही तुम्हारे आत्मविश्वास व लगन और मेहनत के बल पर करना है l अपनी              ख़ुशी व सफलता अपने में खोजो , दूसरों में नहीं l 

13 . समय बर्वाद न करें l काम पर ध्यान दें , समय के पाबंद रहें l कभी भी अति-उत्साही  भी न हों ,                  सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो l खुद पर पूरा भरोसा रखो l 

14 . असफलताओं  से भी सकारात्मक विचार के साथ सीखो l भीड़ की नक़ल न करें ,मन की करें l 

15 . हमेशा कम बोलें और दूसरों की ज्यादा सुनें ,इससे तुम्हें काफी सिखने को मिलेगा और दूसरों पर              तुम्हारे  अच्छे व्यक्तित्व का असर होगा l 

16 . अपने व्यक्तित्व के विकास पर ध्यान दें l तुम्हारे बोलचाल का तरीका , शारीरिक हाव-भाव (body -          language) शालीन और आत्मविश्वास व उत्साह से पूर्ण हों l बातचीत में ऑंखें मिलाकर बात करें ,              तुम्हारे चेहरे के हाव-भाव हसमुख और आकर्षक हों l भावनाओं के साथ बोलें l





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