आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे अगर आपने अपनी 24 घण्टे चल रही सांसों को साधना सीख लिया l Deep Breathing l Health Care l Healthy Life l IKIGAI

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DEEP BREATHING  आप कभी भी बीमार नहीं पड़ोगे; अगर आपने अपनी 24 घण्टे चल रही सांसों को साधना सीख लिया ! यह एक वैज्ञानिक प्रमाणित तथ्य है कि कोई भी प्राणी जो सांसों को नाभि तक गहरी-लम्बी लेगा और जितना धीमा साँस बाहर ज्यादा समय ख़र्च करते हुए छोड़ेगा; उसकी आयु उतने गुणा ही बढ़ती जाएगी ! लम्बी-गहरी नाभि तक ली गई प्रत्येक सांस सीधे हमारी नाड़ियों तक पहुंचकर हमारी प्रत्येक कोशिकाओं को सही मात्रा में पोषित और ऊर्जावान बना सकती है ! इसके साथ ही ज्यादा देर में धीमी गति से साँस छोड़ने से शरीर में प्राणवायु लेने के लिए वैक्यूम बनेगा, और हम अधिक प्राणवायु लेने की योग्यता हाँसिल करेंगे, और शरीर में भरपूर प्राणवायु प्राण-ऊर्जा के रूप में एकत्रित होगी; इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तथा शरीर के खून में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ेगा; जिनके फलस्वरूप शरीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता चला जाएगा ! जितना ज्यादा समय साँस लेने और छोड़ने का होगा उतना ही हमारी स्वास की दर कम होगी; जिसका सुफल हमारी दीर्धायु होगी !  ● इसका उदाहरण हमें जापानियों में मिलता है; जो लम्बी-गहरी साँस लेते हैं, और ज्यादा देर में धीमी गति ...

व्यक्तित्व विकास l personality development

व्यक्तित्व (personality) :--


       व्यक्तित्व अपने अंदर की विशेषताएं ( खासियतें ) हैं , जिनको हम जन्म  से ही रखते हैं l व्यक्तित्व पर हमारे पारिवारिक वातावरण , उनके रहन-सहन के तरीकों , हमारे पारिवारिक आचरण , भावनाओं और उनके दिए संस्कारों का काफ़ी प्रभाव होता है l हमारे हाव-भाव , हमारे बोलचाल के तरीके ,हमारा पहनावा ,हमारा आकर्षण (खूबशूरती) , चरित्र ,हमारी भावनाएं ,हमारे विचार , क्षमताएं , रूचि , रवैया (attitude) , व्यव्हार , हमारे देखने का नजरिया ,हमारे प्रयास करने के तरीके और आत्मविश्वास हमारे व्यक्तित्व की मुख्य पहचान होती हैं l 

     
हमारा व्यक्तित्व कभी भी दूसरों से मेल नहीं खा सकता ,क्यूंकि सभी के  संस्कार व पारिवारिक वातावरण और प्रवर्तियाँ कभी एक जैसी नहीं होती हैं l हमारी येही विशेषताएं हमें दूसरों से अलग पहचान ( unic ) दिलाती हैं l 


     
     हमारा व्यक्तित्व दो प्रकार का होता है ; बाहरी व्यक्तित्व और आंतरिक व्यक्तित्व l 

हमारा बाहरी दिखावा , हमारा रहन-सहन , हमारे शारीरिक हाव-भाव (body language) , हमारे बातचीत करने के तरीके , हमारे चलने के तरीके ; हमारे बाहरी व्यक्तित्व के परिचायक हैं l
 हमारी भावनाएं , हमारे देखने व सोचने के नजरिये ,
सकारात्मक दृष्टिकोण ( POSITIVE ATTITUDE ) ,आत्मविश्वास ,आंतरिक सोच ,आत्मानुभूति , हमारे चिंतन का तरीका , चरित्र , नैतिक व्यव्हार (moral), हमारी आत्मसम्मान की भावना , हमारी प्रतिक्रयाएं आदि हमारे आंतरिक व्यक्तित्व के परिचायक हैं l 

कोई भी व्यक्ति जन्म से ही पूर्ण नहीं होता है , हम अपनी सकारात्मक सोच , अपने पर विश्वास करके और आत्मविश्वास द्वारा अपने में परिवर्तन ला सकते हैं l चाहे हमारी पारिवारिक परिस्थितियां और वातावरण कितना भी ख़राब क्यों न रहा हो , हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं , हम भी आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त कर सकते हैं l बस हमें अपने पर विश्वास करना होगा और हमें सतत प्रयास करने होंगे l 

        दूसरों पर निर्भर न हों , अपने आप पर और अपने प्रयासों पर विश्वास रखो l लड़ाई और फ़िजूल की बहसबाजी से जितना हो दूर रहें l न किसी को अपमानित करो और न ही किसी का अपमान सहन करो , अगर कोई अपमान करने ही हिम्मत करे तो उसे तुरंत कड़क जबाब दो ; जिससे वह दुबारा ऐसी हिम्मत कभी न करे l न कभी किसी के सर चढ़ो और न ही किसी को सर पर चढ़ने दो l हमेशा प्रतिभाशाली लोगों के साथ रहो , फ़िजूल के समय बर्वाद करने वाले और हिम्मत-हीन लोगों से जितना हो सके उनसे दूरी बनाओ l मुसीबतों से कभी घबराएं नहीं ; उनका सामना आत्मविश्वास के साथ और कुशलता से करो l अनचाहे भविष्य में आने वाले डर से दूर रहें l कभी अपने काम को छोटा न समझें , मेहनत के बल पर उसको बड़ा करो l कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा खुश रहो और चेहरे पर मुश्कान बनाये रखो l 
हमेशा जो भी बोलो सोच समझकर बोलो ,जहां तक संभव हो कम बोलो और दूसरे को ज्यादा सुनो l तुम्हारे बोलने का तरीका शालीन होना चाहिए ; कभी भी बोलते समय हडबडाहट न हो , धैर्य से बोलें और चेहरे पर मुश्कुराहट बनाये रखें ; आँखों से आँखें मिलाकर आत्मविश्वास के साथ बात करें l आँखों की चमक हमेशा बनी रहनी चाहिए , बुलंद आबाज भी l चलो तो शालीनता और आत्मविश्वास के साथ चलो l चलते  समय तुम्हारा चेहरा आत्मविश्वास से भरा हुआ और सीधा रहे , हमेशा सामने या नीचे देखकर चलो ; फालतू टाँक- झाँक करते न चलो ; इससे तुम्हारे व्यक्तित्व में वृद्धि होगी l किसी को चलते हुए पलट कर न देखें , न ही कोई छींटाकसी ( comments ) करो ; इससे तुम्हारे व्यक्तित्व पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा l हंसो तो शालीन हंसो , जोर-जोर से या खि-खि करके अपना व्यक्तित्व कम न होने दो ; हमेशा वातावरण , परिस्थिति देखकर ही हंसना चाहिए l जब भी किसी से पहली बार मिलो तो कम बोलो , धीरे और शालीनता से बोलो , दूरी बनाकर रखो , जो पूछो प्यार से पूछो ,जो सामने वाला पूछे उसका जबाव दो ; इससे लोग तुमसे मिलने को उत्सुक होंगे ,तुम्हारा सम्मान करेंगे l पूरी बातचीत में हमेशा सकारात्मक मुस्कान चेहरे पर बनी रहनी चाहिए l हमेशा सामने वाले को विशिष्ट महसूस होना चाहिए l अगर नाराजगी दिखानी पड़े तो चुप्पी से दिखाओ ,अगर सामने वाला आपको सम्मान देना जानता है ; तो वह सब कुछ समझ जायेगा - तुम्हारी ख़ामोशी से l सामने वाले  को देखकर प्रतिक्रिया दें l कभी भी तुरंत उपलब्ध न हों ,जिससे उन्हें लगे तुम उनकी कृपा पर ही निर्भर हो ; आपका आत्म-सम्मान और आत्म-गौरव बनाये रखना तुम्हारे हाथों में है l दूसरों का सम्मान करें l  दूसरों की बातों को महत्व दें l सोचने का तरीका सकारात्मक रखें l तुम्हारे हाव-भाव सकारात्मक और शालीन रखें l अपना पहनावा आकर्षक और शालीन हो ; कार्य और परिस्थिति  के मुताविक कपड़ों आदि का चयन करें l

अगर तुम्हें अलग बनना है तो अलग दिखना भी होगा l जो भी कार्य करो गर्म-जोशी के साथ करो , धैर्य व् आत्मविश्वास बना रहना चाहिए l अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें l दूसरों के कार्यों की प्रसंसा करें और उन्हें प्रोत्साहित भी l इससे तुम्हारे चारों और ख़ुशी और सहयोग का एक विशेष वातावरण बनेगा , जो तुम्हारी सफलता में सहयोगी होगा l

       तुम्हारा दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए l सकारात्मक दृष्टिकोण से हमें सही दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने कि प्रेरणा मिलती है , हमारा व्यक्तित्व सकारात्मक होगा l जीवन में ख़ुशी और प्रगत्ति के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है l


       जब हमारी सोच नकारात्मक होती है तो असफलता की सम्भावना बढ़ जाती है ,हम अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लग जाते हैं ,हमारा आत्मविश्वास भी कम होने लगता है l इसलिए कार्य की सफलता के लिए नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण करना होगा l हम अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करके जीवन को बदल सकते हैं , सफल हो सकते हैं l सर्वश्रेष्ठ करने के लिए तुम्हें नकारात्मक सोच को सकारात्मक में बदलना ही होगा , आत्मविश्वास रखना होगा - अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर l 


निम्न कुछ बातें हैं , जिनका ध्यान रखें तो हम अपने व्यक्तित्व ( PERSONALITY) में , सकारात्मक दृष्टिकोण ( POSITIVE ATTITUDE) में परिवर्तन लाकर जीवन में सारी सफलताएं और खुशियां प्राप्त कर सकते हैं  :--



1 . अपने से छोटों की सही बातों का सम्मान करना चाहिए और बड़ों की सलाह को मानना चाहिए l     
     छोटी-छोटी बातों पर क्रोध व झगड़ा नहीं करें और विचार करें कारणों पर l 
     लोगों से वही व्यव्हार करो जो तुम दूसरों से अपने लिए चाहते हो ,तभी तुम सम्मान प्राप्त कर सकते 

     होl
     विनम्र बनें , चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक व मुश्कान लाएं , बोलचाल में सभ्यता का परिचय दें l
     अह्म (EGO) को हद से ज्यादा प्रदर्शित न करो l 

2.  तुम्हें दूसरों से विशेष होने के प्रयास करने चाहिए l दूसरों को नहीं देखें ,अपने में सकारात्मक परिवर्तन      लाएँ lतुम्हारा रहन - सहन , बातचीत का तरीका, तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरों से अलग होना चाहिए l   
     अगर कोई तुम्हें आदर व सम्मान दे रहा है तो, तुम भी उनके बन जाओ और उनको दिल से सम्मान          और आदर दो l उन्हें अपमानित और नज़रअंदाज़ मत करो l तुम अपने अच्छे व्यव्हार व विश्वास से            उनके दिल जीत सकते हो l
     इन सबसे तुम्हारा सम्मान व आत्म-गौरव बढ़ेगा l 

 3. कोई भी कार्य जल्दबाजी में न करें l कार्य की सफलता और उनकी अच्छाई-बुराई के बारे में सब              समझकर ही कार्य करें l हर कार्य की सफलता समय व समर्पण मांगती है अतः सब्र व धैर्य रखो ,              कार्य की सफलता तक l

4 .  ईमानदार बनो पर इस्तेमाल मत होने दो l प्रेम करो पर खुद पर ठेस न लगने दो , विश्वास करो पर             भोले न बनो l दूसरों की सुनो पर अपनी आवाज मत खोने दो l 

5 . कभी भी किसी की चालाकी का शिकार न हो l 

6 . कभी भी किसी को बिना मांगे सुझाव न दो l कोई आपसे बात करने में रूचि न दिखाए तो उसे छोड़        दो l अपनी अहमियत को समझो l 

7 . खुद पर और अपनी काबिलियत पर भरोसा करो ; कभी किसी दूसरों पर निर्भर मत हों l सकारात्मक      सोच रखो और खुद पर आत्मविश्वास रखो l न किसी को खास बनाओ और न ही किसी के खास              बनकर रहो l जहां  तक संभव हो कुछ ही खास दोस्त रखें l 

8 .  फिजूल की वहस और लड़ाई-झगड़ों से दूर ही रहें ; इनसे तुम्हारा समय वर्वाद होगा और तुम्हारा              ध्यान सकारात्मक कार्यों से भटक जायेगा और मन में अशांति का जन्म होगा l समाधान बातचीत से        निकालें , वहस से नहीं l 

9 . अपने को मानसिक रूप से शक्तिशाली बनाओ l जीवन व सफलता के बारे में सकारात्मक सोच              रखोl
     अपने को सफल बताना बंद करो ; तुम्हारी सफलता तुम्हारे कार्य व तुम्हारे उत्साह से दिखनी चाहिए ;      न कि तुम्हें  बताना पड़े l  वस , तुम अपने को योग्य बनाओ , दुनिया तुम्हारे पीछे होगी l तुम्हें अपने            प्रगत्ति के पथ पर रुकना नहीं है, आगे बढ़ते जाना है l  

10 . तुम्हें तुम्हारे बीते समय पर ध्यान नहीं देना है , वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करो ,अपनी सफलताओं के          लक्ष्यों के बारे में विचार करो , आने वाली अनचाही दिक्कतों के बारे में सोच-सोच कर निराश नहीं            होना है l अगर कुछ समस्याऍ आएँगी तो तब आत्मविश्वास के साथ समाधान भी करेंगे पर ; निराश          होकर अपने लक्ष्यों को परिवर्तित नहीं करना है l 

11 . दूसरों की सफलताओं पर जलना नहीं है , उनको उनकी सफलताओं पर बधाई दो ,हो सके तो                  उनकी मदद भी करो l ऐसा करने पर वे भी तुम्हारे हो जायेंगे ,तुम्हारी सफलता में सहायक भी l 

12 . कभी तुम्हारी असफलताओं के लिए किसी और को दोष न दो l कभी भी अपनी तुलना दूसरों से न            करो ,जो करना है तुम्हें ही तुम्हारे आत्मविश्वास व लगन और मेहनत के बल पर करना है l अपनी              ख़ुशी व सफलता अपने में खोजो , दूसरों में नहीं l 

13 . समय बर्वाद न करें l काम पर ध्यान दें , समय के पाबंद रहें l कभी भी अति-उत्साही  भी न हों ,                  सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ो l खुद पर पूरा भरोसा रखो l 

14 . असफलताओं  से भी सकारात्मक विचार के साथ सीखो l भीड़ की नक़ल न करें ,मन की करें l 

15 . हमेशा कम बोलें और दूसरों की ज्यादा सुनें ,इससे तुम्हें काफी सिखने को मिलेगा और दूसरों पर              तुम्हारे  अच्छे व्यक्तित्व का असर होगा l 

16 . अपने व्यक्तित्व के विकास पर ध्यान दें l तुम्हारे बोलचाल का तरीका , शारीरिक हाव-भाव (body -          language) शालीन और आत्मविश्वास व उत्साह से पूर्ण हों l बातचीत में ऑंखें मिलाकर बात करें ,              तुम्हारे चेहरे के हाव-भाव हसमुख और आकर्षक हों l भावनाओं के साथ बोलें l





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