योग_ध्यान_साधना से सफ़लता
यहाँ आप योग, ध्यान और साधना के साथ-साथ सफ़लता के मूल ज्ञान को पा सकते हो ! हमारा उद्देश्य आपको सत्य ज्ञान तथ्यों के साथ देना है; ताकि आप स्वस्थ तन, और मन के साथ-साथ सफ़लता के शिख़र तक पहुँच पाएँ !
खेचरी मुद्रा क्या है ? खेचरी मुद्रा के अद्भुत फायदे ! खेचरी अवस्था खेचरी मुद्रा से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक फ़ायदे उज्जायी प्राणायाम के साथ खेचरी मुद्रा करने पर अधिक शीघ्र प्राप्त किए जा सकते हैं ! खेचरी मुद्रा के साथ ध्यान, और प्राणायाम अभ्यास करने पर लाभों का प्रभाव बढ़ जाता है ! यह किया-योग की विशेष मुद्रा है; जिसके बिना क्रिया-योग पूर्णता को प्राप्त नहीं होता है ! क्रिया-योग में शाम्भवी मुद्रा के साथ खेचरी मुद्रा लगाकर ध्यान साधना करने पर साधक को शीघ्र सिद्धि पाना संभव है ! ●● पूर्ण जानकारी के लिए निम्न वीडियो सुनें, और अभ्यास करें; आपको शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ अवश्य प्राप्त होंगे :-
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हमारी असफ़लताओं के मुख्य कारण l भविष्य की चिन्ता के बजाय वर्तमान पर ध्यान दें l विश्वास से ही सफ़लता मिलती है
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हमारे मन के काल्पनिक नकारात्मक विचार, अनहोनी या बुरा होने की संभावनाओं के बारे में हर समय सोचते रहने की आदत ही हमारी असफ़लताओं के मुख्य कारण हैं !
हम वर्तमान पर विश्वास के साथ कार्य करने पर ध्यान ना देकर यही पता करने की कौशिश करते रहते हैं कि भविष्य कैसा होगा ?
हमारे भविष्य के बारे में शक और शंका करना ही हमें अनिश्चितता में ड़ालकर हमारे मन में बैचेनी को बढ़ाता है, और हम डर के साए में वे सब प्रयास हड़बड़ी में आकर करने लग जाते है- जो हमारे ध्यान को वर्तमान कार्यों से भटकाकर हमें निरर्थक कार्यों पर समय बर्बाद करने को मज़बूर कर देते हैं और हमारी प्रगत्ति बाधित होती जाती है !
ध्यान रखें- हम जितना अधिक नकारात्मक सोचेंगे, और अकारण ही डरते, और शंकित होते रहेंगे; हमारे अवचेतन मन में उसी प्रकार की छबि बनेगी, और हमारा अवचेतन मन भी हमें उसी अनुरूप कार्य दशा, और वातावरण बना कर देगा, तथा साथ ही हमारा आत्म-विश्वास, और उत्साह गिरकर हम पूर्ण प्रयास करने में असमर्थ होकर असफलताओं को ही गले लगाकर दोष परिस्थितियों को देते रहेंगे, और भाग्य को कोसते रहेंगे !
अतः; अगर आप जीवन में तनावमुक्त रह कर सफ़लता पाना चाहते हैं- तो स्वयँ पर, और स्वयँ की क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास रखें, और भविष्य की चिन्ता करने के बजाय वर्तमान कार्यों पर ध्यान देकर पूर्ण मनोयोग से सही दिशा में योजना के साथ निरन्तर कार्य करते रहें- तभी आपको महान सफ़लता अवश्य प्राप्त होगी !
आपका दृढ़ संकल्पों के साथ किया गया प्रयास, और आत्म-विश्वास ही आपको महान बना सकता है !
आकर्षण का नियम ( आकर्षण के सिद्धान्त ) ब्रह्माण्ड की आकर्षण की शक्ति हमारे विचारों से हम हमारा भविष्य , जीवन , अपनी दुनिया का निर्माण करते हैं। हमारी जैसी भावनाएँ , विचार होंगे ; हमारी प्रवृत्ति , प्रकृत्ति , सोचने - समझने की क्षमता भी उसी अनुसार विकसित होंगी और ब्रह्माण्ड से उसी प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे। अतः अगर आप जीवन में शांति के साथ - साथ तरक्की , समृद्धि चाहते हैं ; तो सकारात्मक सोचना , समझना , सकारात्मक बातों पर ही विश्वास करना नितान्त आवश्यक है। “आप अपने जीवन में सकारात्मक (Positive) या नकारात्मक (Negative) चीजों को अपने विचारों और कर्मों से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हो (या दूसरे शब्दों में प्राप्त कर सकते हैं।) ।" यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि ब्रह्माण्ड की सब चीजें, यहाँ तक कि हम स्वयँ भी ऊर्जा से निर्मित हैं। अतः हम ऊर्जा को ब्रह्माण्ड ...
मानसिक विकार सफलता में बाधक होते हैं । सकारात्मकता हममें से ज्यादातर व्यक्ति हो सकता है वे शारीरिक दृष्टिकोण से स्वस्थ हों; लेकिन ज्यादातर लोग मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नहीं रहते हैं। ज्यादातर में कोई ना कोई मानसिक विकार जरूर होता है। ये ही मानसिक अस्वास्थ्य हमारी सफलताओं को प्रभावित करने लग जाते हैं। मानसिक विकार मिटाने से ही सुख - समृद्धि के साथ - साथ जीवन की सफलता प्राप्त हो सकती है। क्रोध , घृणा , कपट - भावना , जलन का अनुभव होना , द्वेष - भावना , घमण्ड करना , अति - आत्मविश्वास में रहना , डरों के साथ जीना , नकारात्मक आचरण और दुराचरण की भावनाएँ रखना , छोटी - छोटी बातों से ही कुंठाएँ और हीन - भावनाएँ महसूस करना , अभिमानी होना आदि - आदि नकारात्मक प्रभाव मानसिक विकार ही होते हैं। यह सब प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारी सफलताओं में बाधा ही पहुँचाते हैं ; अतः इन्हें समझकर दूर करने पर ही हम चिंतामुक्त होकर खुशी के साथ स्थाई सफलता पा सकते हैं। ...
मन , MIND , मन क्या है ? मन हम अक्सर यह शब्द सुनते और कहते रहते हैं कि - " उलझा हुआ मन " , " CONFUSED MIND ", भ्रम , " मन की सफाई " , " भ्रमित चित्त " , " मन की ताजगी ", " खुश मन - दुखी मन ", " अशांत मन "। आखिर ये मन क्या है ? और मन खुश - दुखी या शांत - अशांत कैसे और क्यों होता है ? क्या हममें से किसी ने मन को देखा है ? नहीं ना ? तो फिर हम मन के बारे में ही क्यों ज्यादा सोचते-समझते रहते हैं ? क्यों हम अपनी हर परेशानी और समस्याओं को मन से जोड़ देते हैं ? इन सब पर विचार करके ही हम मन और विचारों के बारे में जान सकते हैं। मन कोई चीज़ या वस्तु नहीं है जिसे देखा या छुआ जा सके। मन होता ही नहीं है ; हम हमारे उलझे हुए विचारों और उलझी हुई भावनाओं का सम्बन्ध मन से करने की भूल करते हैं। मन कभी भी उलझा हुआ नहीं होता , उलझे हुए होते हैं तो हमारे विचार होते हैं। अगर हम विचारों को सकारात्मक कर लें और सारी समस्याओं को सुल...
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