मानसिक दृढ़ता ( MENTAL TOUGHNESS )
हम सभी जीवन में बड़ी उपलब्धि या सफलता हांसिल करना चाहते हैं, लेकिन जैसे ही आगे बढ़ते हैं,सफलता का मार्ग उतना आसान नहीं लगता जैसा हम साधारण रूप में समझ लेते हैं।
कई बार हम जब एक सफलतम व्यक्ति के बारे में सोचते हैं कि उसको कुछ जन्मजात विशेषताएँ प्राप्त हैं, जिनके कारण वे इतने उच्च-स्तर की सफलता प्राप्त करने में सफल हो गए, कुछ भाग्य को सफलता का मुख्य श्रोत मान बैठते हैं; खुद की नकामिबियों पर स्वयं को या भाग्य को कोसते रहते हैं।
लेकिन वास्तविकता में सफलता का कोई सुगम रास्ता या सफलता पाना कोई जन्मजात गुण पर निर्भर नहीं करता है। भाग्य नाम की कोई चीज़ नहीं होती है, हमारी सफलता और असफलता ही हमारा भविष्य और भाग्य निर्धारित करते हैं।
सफलता कभी भी बिना धैर्य के साथ परिश्रम किये बिना प्राप्त नहीं होती है। हर सफलता के पीछे सफलतम व्यक्तियों का कई सालों का परिश्रम, धर्य,आत्मविश्वास के साथ स्वयं को कठिन परिस्थितियों से लड़ने का इतिहास छुपा होता है।
किसी कार्य में विपरीत परिस्थितियों में टिके रहकर बिना रुके,बिना निराश हुए लगातार कार्य करते रहने के लिए शारीरिक क्षमता से ज्यादा मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता होती है। बिना मानसिक रूप से सुदृढ़ हुए स्वयँ को कठिन परिस्थिति में स्थिर करना सम्भव नहीं है।
शारीरिक रूप से शक्तिशाली होने पर भी मानसिक रूप से शक्तिशाली होने पर ही हम आत्मविश्वास,धैर्य के साथ बार-बार हारने पर भी दुबारा प्रयास करने के लिए प्रेरित हो सकते
हैं। इसी मानसिक दृढ़ता के कारण मार्ग में आये उतार-चढाव
(UPS & DOWN),असफलता, हतोत्साह, थकान, तनाव, दैनिक और बाहरी जिम्मेदारियों / दबाब
का सामना करने की हिम्मत और जुनून जागृत होता है, हम निडरता के साथ कठिन से कठिन परिस्थितियों
में भी लगातार परिश्रम के बल पर बिना रुके आगे बढ़ते रह सकते हैं।
विशिष्ट उपलब्धि मात्र प्रतिभा, शारीरिक बल पर हांसिल नहीं
की जा सकती है; इसके लिए साहस, आत्म-विश्वास के साथ कार्य के प्रति जुनून और मानसिक
दृढ़ता महत्वपूर्ण होती है। धैर्य
के साथ लगातार कार्य करते रहने पर या हार कर पुनः दुगुने उत्साह से कार्य की शुरूआत
करने पर ही सफलता हांसिल की जा सकती है।
मानसिक दृढ़ता क्या है
?PEACE OF MIND WITH AFFIRMATION
मानसिक दृढ़ता से ही निडरता और असफलता को मेहनत, लगन के बल पर सफलता में बदलने की शक्ति आती है।
मानसिक दृढ़ता से हम परिस्थितियों से समझौता ना करके गलत विकट परिस्थिति में भी तनाव-मुक्त, चिंता-रहित रहकर सही निर्णय धैर्य के साथ लेने में सक्षम हो पाते हैं। इससे हमें जीवन में स्थायित्व व सफल-व्यक्तित्व मिलता है।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए सकारात्मक मानसिकता का होना जरूरी है; तभी हम सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में बिना डर, तनाव के सही निर्णय लेकर धैर्य के साथ किसी कार्य पर स्थिर रह सकते हैं तथा परेशानियों, दिक्कतों का सामना करने का साहस पा सकते हैं।
मानसिक दृढ़ता तभी आती है, जब हमारे जीवन-लक्ष्य उद्देश्य के साथ निर्धारित होते हैं। जब विपरीत परिस्थिति में कोई रास्ता नहीं दीखता तब यही उद्देश्य हमें पुनः शक्ति के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा और साहस देते हैं तथा हम लक्ष्यों को पाने के लिए पुनः दृढ-संकल्पित होकर नियमित मेहनत करने का जज्बा कायम रख पाते हैं।
कठिन प्रतिस्पर्धी परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत तथा लगन मानसिक रूप से दृढ़ होने पर ही आ सकती है, जिससे हम आत्म-विश्वास के साथ सही निर्णय ले सकते हैं।
इससे दबाब को सँभालने, आत्म-विश्वास रखने की क्षमता, जीवन-शैली को लचीला बनाने की शक्ति प्राप्त होती है।
मानसिक दृढ़ता के विशेष लक्ष्य तथा सिद्धाँत:
मानसिक दृढ़ता के मुख्य लाभ के रूप में हम दबाब को सँभालने, विफलता में भी धैर्य रखकर तनाव-मुक्त रहने, शारीरिक सीमा से अधिक कार्य करने की शक्ति प्राप्त करते हैं; जिससे लगन के साथ साहस का परिचय देते हुए विपरीत-विषम परिस्थिति में भी जीत हांसिल की जा सकती है।
मानसिक दृढ़ता के कारण ही हम किसी बड़ी बाधा, प्रतिकूल परिस्थिति में भी अपने आत्म-मूल्यों, दृष्टिकोण, व्यव्हार, भावनाओं को सन्तुलित रख पाते हैं। साथ ही साथ अच्छी परिस्थिति में भी कार्य के प्रति एकाग्रता, कार्य के करने की तीव्र-प्रेरणा भी पाते हैं।
मानसिक दृढ़ता के कारण ही हम हर परिस्थिति में खुश और संयमित रहने की शक्ति प्राप्त करते हैं।
मानसिक दृढ़ता के कारण हम लक्ष्य पर स्थिरता के साथ बिना भय, चिंता के आगे निरंतर बढ़ सकते हैं; चाहें परिस्थिति ख़राब से ख़राब भी क्यों ना हो।
मानसिक दृढ़ता बढ़ाने के उपाय:
मुख्य बिंदु
:
1.
उद्देश्य पूर्ण जीवन ( Purposeful Life ) जीने का प्रयास लक्ष्य बनाकर करो !
2.
लक्ष्य हासिल होने तक कभी मत रुको, ना ही थककर या डर कर मार्ग बदलो !
3.
कभी भी गलती ना दुहराएँ, स्वयँ की जिम्मेदारी लेना सीखें !
4.
मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से सशक्त होना जरूरी है !
मानसिक दृढ़ता के कारण ही हम विपरीत परिस्थितियों, विरोध आदि के बाद भी लगातार निडरता के साथ प्रयास करने योग्य हो सकते हैं, इसके लिए लक्ष्य के साथ उद्देश्य, मिलने वाले अंतिम विशेष परिणाम याद रखना जरूरी है।
कोई भी बड़ी सफलता एक ही दिन में या एक ही प्रयास में प्राप्त नहीं होती, इसमें शुरुआती कई-कई दिनों या सालों की लगातार मेहनत, कई बड़ी-बड़ी असफलताएं शामिल होती हैं, जिन्हें प्रयास करके जीत में बदला जाता है, जो एक कठिन और लम्बा रास्ता होता है, जिस पर टिके रहने के किये दृढ-संकल्प के साथ, शक्तिशाली मानसिक-दृढ़ता की आवश्यकता होती है।
हाँ ! समय पर कुछ निर्धारित आराम (rest) भी जरूरी है लेकिन सीमा निर्धारित होनी चाहिए। आराम से मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है और मस्तिष्क रिफ्रेश होकर और अच्छे परिणाम देता है।
अतः उद्देश्यपूर्ण आराम करो, फिजूल की चीजों, गप्पों आदि में समय बर्बाद ना करें।
इससे आपको एकाग्रता मिलेगी और आपकी मानसिक दृढ़ता भी।
2. लक्ष्य
हासिल होने तक कभी मत रुको, ना ही थककर या डर कर मार्ग बदलो :
हर
कार्य की सफलता निरन्तरता पर निर्भर करती है। सफलता का कोई शार्ट-कट नहीं होता है, जब तक कोई कार्य
सही योजना के साथ निश्चित समय तक ना किया जाये परिणाम मिलना मुश्किल होगा। अगर लक्ष्य
बड़े हैं तो मेहनत और जोखिम भी बड़ी उठानी पड़ेंगी।बिना बाधाओं के कोई कार्य सफल नहीं होता है, अगर कार्य करेंगे और बाधाओं पर ध्यान देंगे तो समाधान भी साथ-साथ होते जाएँगे। मात्र बड़ी चाहत या इच्छा के कोई लाभ नहीं होगा, आपको इन्हें पूरा करने के लिए तब तक बिना रुके लगातार कार्य और कठिन परिश्रम करना होगा जब तक कि आपको समाधान ना मिल जाये। हमेशा लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँट लें और बिना रुके एक सफलता के बाद अगली योजना पर कार्य शुरू कर दो। चुनौतियों का निडरता और सूझबूझ के साथ समाधान करते जाएँ।
ये सब कार्य हम तभी कर सकते हैं, जब हम स्वयं पर विश्वास करें और स्वयँ से प्रेरणा प्राप्त करते रहें। हमें निरन्तर स्वयँ की कमजोरियों को पहचानकर उनको सीखकर दूर करते जाना होगा, तभी हमारे कार्यों में सुधार (Improvements) प्राप्त होंगे।
कभी भी ध्यान को हरदम परिणाम पर ना ले जाएँ, इससे आप पर दबाब बढ़ेगा और हम बेचैनी और डर में जा सकते हैं, हमारा कार्य है- प्रयास सही दिशा में निरन्तर करें और स्वयँ पर दृढ़ विश्वास के साथ कार्य में निरन्तर प्रगत्ति करें, फल तो निश्चित समय पर स्वतः ही विशिष्ट होंगे।
हमें परिणाम की बजाय प्रक्रिया (process) पर ध्यान देना है, निरन्तर सीखते रहना है।
" जब तक काम करने की भूख नहीं होगी तो सारी सुबिधायें होने पर भी हम पिछड़ सकते हैं। अतः रूको मत लगातार लगे रहो लक्ष्य पर,तभी हम बड़ी सफलता के हकदार होंगे। “
कभी भी कार्य अधूरा ना छोड़ो, अन्यथा आपको जिंदगी भर पछतावा बैचेन करता रहेगा। इससे आपके आत्म-विश्वास और मानसिक स्थिति में भी गिरावट आएगी अतः धैर्य के साथ आगे बढ़ो।
3. कभी
भी गलती ना दुहराएँ, स्वयँ की जिम्मेदारी लेना सीखें :WORK WITH STRETEGY UNTILL GET GOALS
हमेशा
स्वयँ पर और अपनी योजना पर पूर्ण विश्वास रखें। कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है, लेकिन
प्रयास करके हम अपनी गलतियों और भूलों को सुधार सकते हैं और सीखकर अपनी कमजोरियों को
दूर भी कर सकते हैं।अगर हमें जीवन में वास्तविक ख़ुशी और तरक्की चाहिए तो हमें स्वयँ के प्रति ईमानदार होकर भूलों, कमजोरियों, गलत आदतों पर ध्यान देना होगा और निश्चित करना होगा की भूतकाल में की गई गलतियों को दुबारा ना दुहराएँ।
हमेशा वर्तमान में जीएँ और भूतकाल की गलतियों पर रोना-धोना और पछतावा ही ना करते रहें, लेकिन हम पुरानी गलतियों से सीख़ लेकर उनको आगे ना होने देने के प्रयत्न जरूर कर सकते हैं; ताकि हम आगे तरक्की के रास्ते सुगम बना सकें।
हमेशा हर भूल, गलतियों, असफलताओं की जिम्मेदारी ईमानदार होकर स्वयँ लें और इनपर सकारात्मक कार्रवाई (action) करें।
अत्यधिक दबाब में कार्य करते समय विचलित या डरे बिना उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए रणनीति (STRETEGY) के साथ आगे बढ़ें। सफलता का क्रम बनता चला जाएगा। इससे आपको मुसीबतों से निपटने की हिम्मत मिलेगी और आपकी मानसिक दृढ़ता का भी विकास होगा ।
4. मानसिक,
शारीरिक और भावनात्मक रूप से सशक्त होना जरूरी है :
हमारी प्रगत्तिशील सोच (PROGRESSIVE MINDSET) के द्वारा हम स्वयं पर आत्म-नियंत्रण रखकर धैर्य के साथ परिस्थितियों पर विचार करके उनके समाधान पर कार्य करके; कुछ नया सीखकर सफलता का नया इतिहास रच सकते हैं।
इनका दृढ-संकल्प इन्हें आने वाली हर परेशानियों और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की और उन पर विजय पाने की शक्ति देता है। जब तक इन्हें समाधान नहीं मिलते ये लगातार प्रयास करते रहते हैं और अंत में समाधान खोज ही लेते हैं।
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