Sunday, March 12, 2023

हम कार्य की शुरूआत करने से क्यों डरते हैं? l डर को कैसे दूर करें ? l How to deal with fear ?

 

हम कार्य की शुरूआत करने से क्यों डरते हैं?

    

डर के आगे जीत है !

    जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन की सफलताएँ हमारे मन के नियंत्रण और स्वयँ पर पूर्ण-विश्वास और स्व-नियंत्रण पर ही निर्भर करती हैं।

स्व-नियंत्रण के साथ, समझदारीपूर्ण सोच और विचार के साथ लिए गए निर्णयों पर सही दिशा में किये गए प्रयास ही किसी व्यक्ति को कामयाबी के शिखर तक ले जा सकते हैं।

हम हरदम सोचते तो काफी कुछ हैं; सोच-सोच में ही कई बड़ी-बड़ी कल्पनाएँ हमें साकार होती हुई भी दीखती हैं और हमें विश्वास भी होता है कि इस विशेष कार्य को हम आसानी से कर भी सकते हैं; लेकिन क्या कभी सोचा है कि; क्यों हम बस सोच-सोच कर ही समय बर्बाद करते हैं ?, क्यों जब भी हम कार्य को क्रियान्वित करने के लिए पहला कदम उठाने की सोचते हैं; तो पुनः कई बातों विचार करने का मन करता है ?, क्यों हम अपने लिए गए निर्णयों पर तुरन्त कार्य शुरू करने से डरते हैं ?


आइए जानते हैं; ऐसा क्यूँ होता है ?

1. अगर गहराई में जाकर आत्म-निरिक्षण करें; तो हमें इन सबका एक ही कारण समझ आएगा कि; यह सब हमारे मन में उपजे डर, भविष्य की परेशानियों का सामना करने के डर और आलस्य, लोगों का डर आदि-आदि ही हमें आगे कदम बढ़ाने से रोकते हैं।

इस अवस्था में जितना डरे मन से अपनी क्षमताओं, कौशल, अनुभव की तुलना करते हैं; तो हमें लगता है कि हमें कोई बाहरी सहारा नहीं है, क्यों नहीं आज ही सारी सुविधाएँ हमारे पास हैं ?, आदि-आदि नकारात्मक विचार और काम शुरू करने के बहाने आने शरू हो जाते हैं। हमें कई तरह-तरह की कमियों, असफलताओं की कल्पनाएँ आनी शरू हो जाती हैं तथा ऐसा दिमाग में वातावरण बन जाता है कि हम पुनः अपनी योजना पर विचार करने को विवश हो जाते हैं।

2. हमारी सबसे बड़ी कमी हमारे ऊपर स्व-नियंत्रण का ना होना है।
आत्म-नियन्त्रण में शक्ति होती है !

हम सारी सुविधाएँ, कौशल, ज्ञान कार्य शुरू करने से पहले ही पा लेना चाहते हैं, साथ ही कामना होती है कि पहले ही दिन सब योग्यताएँ आ जाएँ; ताकि सब प्रतियोगियों को पीछे छोड़कर कामयाब जल्दी से जल्दी हो जाएँ। यही कामनाओं की अति जब जल्दी पूरी होती हुई नहीं दीखती हैं; तो हम हताशा और दुःख में डूबकर आत्म-विश्वास ही खो देते हैं और कार्य करना मुश्किल दिखाई देने लगता है।

3. हमें सबसे बड़ा डर लोगों का लगता है।

लोग मेरे काम के बारे में क्या कहेंगे ?, अगर काम असफल हो गया तो लोग हँसेंगे और तरह-तरह की बातें बनाएँगे ?, समाज में मेरी इज्जत तो नहीं बिगड़ जाएगी ?, अगर में छोटा सा काम या छोटी शुरूआत करूँगा; तो लोग क्या कहेंगे ?, आदि-आदि नकारात्मक विचार हमें घेर लेते हैं; जिनके कारण हमें बैचेनी, चिंताएँ और कुंठाएँ आती हैं और हम सभी योग्यताएँ, कौशल होते हुए भी कार्य शुरू करने से रुक जाते हैं।


आइये समझने की कोशिस करें; कि कैसे हम हर नकारात्मक विचारों को दूर करके, डर पर नियंत्रण बनाकर कार्य शुरू करने की हिम्मत, शक्ति प्राप्त कर सकते हैं :-

1. हम कार्य शुरू करने से पहले ही हर जानकारी, ज्ञान पा लेना चाहते हैं; क्यूंकि हम डरपोक हैं, हमें लालसा रहती है कि कार्य के शुरू होने के पहले ही दिन महान बनकर बिना किसी रुकाबट के समृद्ध हो जाएँ; जो कभी सही बात नहीं है।

हर कार्य की सफलता व्यक्ति के निरंतर सही दिशा में धैर्य के साथ कठोर परिश्रम और सूझ-बूझ के द्वारा ही प्राप्त होती है

यह भी सच्चाई है कि चाहें हम कितना भी ज्ञान, कौशल प्राप्त कर लें; लेकिन कार्य करते समय भी कई अड़चनें

आएँगी; जिनकी जानकारी और ज्ञान कार्य के साथ-साथ ही प्राप्त करना होगा।

अतः; स्वयं पर विश्वास के साथ शुरूआती आवश्यक जानकारी के साथ-साथ कार्य शुरू करें; जैसे-जैसे कार्य बढ़ेगा; आपकी जानकारी, ज्ञान, कौशल बढ़ता जायेगा; बस आवश्यकता होगी कि हम सजग रहें और कार्यों के साथ-साथ मुश्किलों को हल करने के सर्बश्रेष्ठ प्रयास करते रहें।

2. मन के डर, हीन-भावनाएँ, नकारात्मक-विचारों, बड़ी-बड़ी लालसाओं, कामनाओं पर नियंत्रण रखकर ही हम सही निर्णय सही समय पर ले सकते हैं।
आत्म-संतोष के साथ कार्यों को एकाग्रः होकर करें !

मन के डर हमें बैचेन करते हैं, डर से कभी समाधान प्राप्त नहीं होते हैं !

3. हाँ ! कई समस्याएँ आती हैं; जिनमें से ज्यादात्तर हम सूझ-बूझ के साथ प्रयास करके हल कर सकते हैं।

लेकिन ध्यान रखें- कोई भी समस्या तुरन्त दूर नहीं होती है; इनको हल करने में आवश्यक समय तो लगेगा, आपको भागदौड़ तो करनी ही होंगी। तो इन बातों को सकारात्मकता, निडर-भाव के साथ स्वीकार करें।

हर समस्या पर ख़ुशी के साथ आत्म-विश्वास रखते हुए विचार करें तथा कारणों को खोजकर समाधानों पर विचार करें; तभी आप इन समस्याओं से निकल कर आगे बढ़ पाएँगे।

इसमें भी एक बात ध्यान रखें; कि जो समस्याएँ कार्य के साथ-साथ दूर हो सकती हैं; उनके लिए कार्य शुरू ना करना आपकी मूर्खता ही होगी।

ऐसे समय सूझ-बूझ के साथ कार्य शुरू कर दें तथा समस्याओं को क्रमबार (क्रमबद्ध तरीके से) लिख कर उनके समाधानों की योजना (समय-सीमा के साथ) बनाकर कार्य करते हुए स्व-अनुशासन के साथ दूर करते जाएँ। लेकिन इनके लिए कार्यों के समय को बाधित ना करें और ना ही कार्य रोकें। तभी धीरे-धीरे कार्य बढ़ता जाएगा, दिक्कतें भी समय के साथ-साथ दूर होती चली जाएँगी।

हाँ ! कुछ समस्याएँ और परेशानियाँ ऐसी भी होंगी; जिनको हल करना आपके वश में नहीं होगा (जैसे कोई योग्य व्यक्ति समय पर मिलना, किसी ओर से कोई समस्या हल करवाना या दूसरों के द्वारा कोई सेवा प्राप्त करना, किसी कर्मचारी का आपके प्रति ईमानदार होकर आपके कार्यों को करना, किसी कर्मचारी का अकस्मात् जॉब छोड़ देना, कोई कानूनी अड़चन आ जाना जो आपके वश में नहीं है, लोगों का सहयोग ओर समर्थन प्राप्त करना, आदि-आदि)। ऐसी स्थिति में दुखी, हताश नहीं होकर; कोई दूसरा बीच का समाधान तुरन्त करें ओर यदि यह भी संभव नहीं हो रहा है; तो इनको भूल कर जो भी संभव हो सके;उन पर ध्यान देकर नई कार्य योजना तुरन्त बनाएँ ओर नए रास्ते पर चल कर अपने कार्यों को आगे बढ़ाएँ। ऐसा करने पर आप पाएँगे कि जैसे-जैसे कार्य आगे प्रगत्ति करेगा; ज्यादातर समस्याएँ दूर होती जाएँगी।

ये सब कार्य आप ख़ुशी ओर शांति के साथ तभी कर पाएँगे; जब आप स्वयँ पर, कार्य योजनाओं पर विश्वास करेंगे ओर धैर्य के साथ सर्वश्रेष्ठ परिणामों की उम्मीद के साथ लगातार कार्यों को जारी रख पाएँगे। सब आप पर ही निर्भर करता है।

4. यह सत्य है; कि हमारे कार्यों में काफी कम ही बड़ी-बड़ी बाधाएँ या समस्याएँ आती हैं; जितना हम कार्य शुरू करने से पहले अनुमान लगाते हैं।

(i). अगर ध्यान से देखा जाए तो हमारे 80% डर वह होते हैं; जिन्हें हम कार्यों को करते हुए भी सजगता के साथ योजना बनाकर दूर कर सकते हैं; जिनका कभी भी कोई नकारात्मक प्रभाव हमारे कार्यों की सफलताओं पर नहीं पड़ता है।

हम मात्र आलस्य के कारण या आत्म-नियन्त्रित नहीं होने के कारण इन्हें करने से डर जाते हैं। अगर सूझ-बूझ के साथ; निश्चित क्रमिक योजनाएँ बनाई जाएँ; तो छोटी शुरूआत करके और कार्यों के साथ-साथ अतिरिक्त परिश्रम करके हर समस्या दूर की जा सकती है। अतः इन 80% दिक्कतों को सकारात्मक भाव के साथ लें, कार्य शुरू करें तथा योजना के साथ दिक्कतें दूर करते जाएँ।

(ii). हाँ ! जो 20% समस्याएँ जो शुरूआत में हल होना मुश्किल होगा; उन पर ध्यान दें, समस्याओं के वास्तविक कारण खोज कर; उनके समाधानों पर गंभीरता के साथ चिंतन-मनन करें; लेकिन हताश-निराश बिलकुल भी ना हों।

अगर ये 20% समस्याएँ आपके अनुभव, कौशल, ज्ञान (जानकारी का आभाव) की कमी के कारण हैं; तो कार्यों को करते हुए ही धीरे-धीरे इनको सीखें, अच्छे लोगों से जानकारी लें, ट्रेनिंग लें, सम्बंधित पुस्तकें पढ़ें और अपनी कमियों को दूर करें; लेकिन धर्य और आत्म-विश्वास कभी ना खोएँ।

जो भी संभव हो; शांति के साथ कार्य के साथ-साथ जानकारियाँ बढ़ाते जाएँ।

ऐसा करते जाने से; एक समय बाद ये 20% समस्याएँ भी स्वतः ही समाप्त होती चली जाएँगी तथा ये कभी भी आपकी सफलताओं को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएँगी।

निम्न बातें समझें; तभी आप अच्छा लाभ ले पाएँगे:-

1. हमेशा कोई नया कार्य शुरू करने से पहले; उसके अच्छे-बुरे पक्षों का आकलन जरूर करना चाहिए।

इन्हें डर नहीं; समझदारी कहेंगे। इसमें हम कार्यों को करने से होने वाले फायदे और नुकसान का अनुमान लगाकर सही निर्णय तक पहुँच सकते हैं।
साथ ही कार्यों को करने में आवश्यक जानकारी, अनुभव और कौशल पर भी विचार करना चाहिए; तभी कार्य सूझ-बूझ के साथ चुनना चाहिए।
अगर इन कार्यों को करने के लिए आवश्यक ज्ञान या अनुभव आपको ना हो; तो इसके लिए भी उपाय लिखकर, उन पर ध्यान देना और कमी पूर्ण करना भी आवश्यक होगा। इसके लिए अलग से योजना बनाकर कार्य करें।
ऐसा करने पर ही आप चिंता रहित होकर कार्यों पर ध्यान एकाग्रः कार्य पाएँगे।

2. विचारों पर और स्वयँ की भाबूकताओं पर नियन्त्रण रखें।

जब भी गलत और नकारात्मक विचार ध्यान में आएँ; तब उन पर तुरन्त सोचें-गंभीरता से विचार करें। अगर ये सब मन के डर हों तो उन्हें सकारात्मक सोच के साथ तुरन्त नकार दें। ज्यादा बुरा सोचने से बचें और कार्यों में ध्यान एकाग्रः करें; तभी आप डरों से बचे रहेंगे।

3. स्वयँ की, स्वयँ के कार्यों की तुलना दूसरों से करना बन्द करें।

“आप जैसे भी हैं; स्वयँ के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं।“ ऐसा करने और मानने से ही आप चिंता, कुंठा, निराशा से बचे रहेंगे।
ऐसा करने से आप बैचेनी, डर, हीन-भावनाओं के कारण परेशानी से बचे रहेंगे और आप आत्म-विश्वास के साथ कार्यों पर ध्यान दे पाएँगे ।
हमेशा बड़ा सोचें और कार्यों को सर्वश्रेष्ठ तरीकों से करते रहें, तथा साथ ही साथ स्वयँ की कमियों को दूर करने की आदत डाल लें; तभी आप कामयाबी के शिखर तक बिना डर, चिंता के साथ; ख़ुशी प्राप्त करते हुए पहुँच पाएँगे।
ध्यान रखें; कि कोई कार्य असंभव नहीं होता है; अगर आप कार्यों को पूर्ण करने के प्रति दृढ़-संकल्पित हों और सही दिशा में मेहनत करें।

4. फ़िजूल के भ्रम में फंसकर अपने मन में डर ना पालें, धारणाएँ सकारात्मक रखें।

आप जैसा सोचोगे, आपकी जैसी धारणाएँ होंगी; आपका अवचेतन-मन उसी प्रकार के विचार, अवसर आपके सामने उपस्थित करेगा।
अतः; अपने बारे में, आपके कार्यों के बारे में और परिणामों के बारे में हमेशा सकारात्मक सोचें और अच्छे की उम्मीद के साथ मेहनत करें।

5. हमेशा स्वयँ को कार्यों में व्यस्त रखें।

जितना आप खाली (निठल्ले) बैठे रहोगे; आपको तरह-तरह के विचार आकर सताते और डराते रहेंगे।

6. जीवन में आत्म-संतोष जरूरी है।

असंतोष होने पर हमारी लालसाएँ बढ़कर उसे पाने के लिए हमें बैचेन करती हैं; हमारा धैर्य टूट कर हमें- " कहीं असफल ना हो जाएँ" के डर सताने लग जाते हैं।
कई बार ऐसे डर और सफल होने की जल्दबाजी हमें दूसरों को धोखा देने, अनैतिक कार्यों से धन एकत्रित करने, दूसरों से जलन और प्रतियोगिता की बुरी प्रवृत्ति, लूट-खसोट,जैसी गलत राह पर ले जा सकती है।
अगर थोड़ी सी भी परेशानी या छोटी-छोटी असफलताएँ मिल जाएँ; तो मन अशान्त होकर हमें कुंठा, निराशा, चिंता-फ़िक्र, अवसाद की ओर धकेल देती है। ये सब बातें मिलकर हमें अनिर्णय की अवस्था में ले जा सकती हैं; जो की सफलता के लिए हानिकारक सिद्ध होंगी।

7. सोच-समझ कर कार्य करने चाहिए। अति-आत्म-विश्वास से बचें और ईमानदारी के साथ स्वयँ की कमियों को सुधारते रहें।

जो भी कार्य जितना जल्दी शुरू कर दोगे; उसके परिणाम सही समय पर और सर्वश्रेष्ठ प्राप्त होंगे।
तुरन्त गंभीरता से सोचें, योजना पर कार्य आरम्भ कर दें। जो भी सोचना-समझना है; एक ही बार करें; डरों के कारण अपने लक्ष्यों को कभी भी ना बदलें; तभी आप कामयाबी को प्राप्त कर पाएँगे।

 

विशेष:

अधिक जानकारी के लिए निम्न बातें पढ़ें और चिंतन-मनन के साथ समझते हुए अपने जीवन में प्रयोग करें।
इन बातों को पढ़ने पर ही; आप ऊपर की बातों को सही ढ़ंग से समझ पाएँगे:--


धन्यबाद !!


No comments:

Post a Comment

अतीत पर सकारात्मक सोच के साथ विचार करना कभी बुरा नहीं होता है l अतीत l Past l Success Tips In Hindi

  " वर्तमान में रहकर कार्य करें ; लेकिन लक्ष्य और योजना निर्धारित करते समय अतीत पर भी विचार जरूर करें !" ( अतीत ...