3. असफलता :
असफलता ही हमें कुछ नया करने और सीखने की समझ देती है , जिससे हम कार्यों और परिस्थितियों से लड़ना और कुछ नया सीखकर कार्यों को नए तरीके से करना सीखते हैं। असफलता अवसर पैदा करती है , इससे हमें सीखने का मौका मिलता है।
4. जोखिम लो और हिम्मत / हौसला बढ़ाओ :
जोखिम की तर्कसंगत गणना करें और जो जोखिम हमारी क्षमता और परिस्थितिओं के अनुकूल हों लें और पूर्ण लगन के साथ कार्य आरम्भ कर दें।
जोखिम उठाकर सीखो। जो हमारी कमजोरियाँ हों , उस पर कार्य करें और मेहनत के साथ अपनी कमजोरिओं को अपनी शक्ति बनायें।
कोई कार्य असंभव नहीं होता है ,अगर हम सतत प्रयास समझदारी के साथ करें।
स्वस्थ्य , सोची-समझी जोखिम लेने से कभी नहीं डरना चाहिए। अगर आगे बढ़ना है तो हमें जोखिम लेनी ही पड़ेंगी ; परन्तु जोखिम लेने से पहले उस पर सकारात्मक कार्य और सकारात्मक योजना तो बनानी ही पड़ेगी ; इस प्रकार हम जोखिम को जीत में बदल सकते हैं।
हमें जोखिम के दौरान हमारी भावनाओं को काबू में रखना होगा ताकि मन विचलित ना हो।
5. लक्ष्य पर ध्यान :
लक्ष्य पर ध्यान रखो , मेहनत करो। जैसे-जैसे सफलता हमारे पास आती जाएँगी ; परेशानियाँ अपने आप छोटी लगने लग जाएँगी।
बुरा वक्त हमें मजबूत बनाता है अगर हम सकारात्मक सोच के साथ बढ़ना जारी रखेंगे।
बस कार्य पर योजना के अनुसार कार्य करते जाओ ,सफलता समय के साथ मिलती ही जाएगी।
6. ध्यान ( MEDITATION ) :
हमारे शरीर का पूरा नियंत्रण मष्तिष्क के नियंत्रण में होता है I मष्तिष्क का नियंत्रण मन के द्वारा होता है ; यहीं से सारे नियंत्रण सन्देश पुरे तंत्र को जाते हैं I
मन को साफ करने का सर्वोत्तम उपाय मैडिटेशन ( ध्यान ) होता है I ध्यान से मष्तिष्क की भौतिक व् मानसिक अवस्था में परिवर्तन आता है I ध्यान से मस्तिष्क के सकारात्मक भाग का आकार बढ़ता है और नकारात्मक भाग का आकार कम हो जाता है I इसी का प्रभाव होता है कि हम अपने को ज्यादा उत्साहित , एकाग्रचित महसूस करते हैं I
इससे आत्म-विश्वास , सोचने -समझने की क्षमता बढ़ती है I सकारात्मक सोच में बृद्धि होती है I एकाग्रचित्तता बढ़ती है I सकारात्मक सोचने की क्षमता विकसित होने के कारण हम हर घटनाओं और दूसरों की बातों और दूसरों के बारे में सकारात्मक विचार करने लगते हैं ; जिसके परिणामस्वरूप हमारे मन के वहम और डर में कमी आती है।
अतः ध्यान को नियमित रूप से करो और जब भी मन में बुरे विचार या डर के भाव आएं ; कुछ पल के लिए शांत-चित्त बैठ जाएँ और ध्यान का अभ्यास करें ; इससे आप में सकारात्मक सोचने की क्षमता बढ़ेगी और तुम सकारात्मक हल खोज लोगे।
हमारा दिमाग काफ़ी शक्तिशाली होता है अगर हम इसे सकारात्मक सोच के साथ शांतभाव से सोचने का मौका दें तो। अतः ध्यान को अपनाकर हम अपने डर और अवसाद भरे जीवन को खुशियों से भर सकते हैं।
विशेष बातें :-
1. सफलता और असफलता को सामान रूप से लें। कभी भी असफल होने पर निराश होकर बैठ ना जाएँ और असफलता के कारण पर विचार करके उस पर सकारात्मक दिशा में प्रयास करें और निरंतर प्रयास करते रहें , सफलता जरूर मिलेगी।
सफल होने पर अपने आप को कभी भी पूर्ण ना मानें , अन्यथा आपके आगे के प्रगत्ति के मार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं। सफल होने पर और आगे कार्य को बढ़ाने की दिशा में कार्य करें और कुछ नया सीखकर और विशेष योजना के साथ लगातार आगे सतत बढ़ते जाएँ।
2. जिंदगी की वास्तविक ख़ुशी पैसे से नहीं आती है बल्कि संघर्ष के बाद मिली बड़ी सफलता से आती है।
जब हम मेहनत के बल पर बिना किसी बाहरी सहायता और सहारे के बड़ी उपलब्धि हासिल करते हैं ,तो हमें जीवन की वास्तविक ख़ुशी प्राप्त होती है।
चाहें कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों ना आ जाये ,कभी भी अपने आप से ना हारो। कठिनाई का विश्लेषण करो ,कारण खोजो और कठिनाई से निकलने के रास्ते तलास करो और पुनः पूरे जोश के साथ / आत्मविश्वास के साथ कार्य में लग जाओ। अगर आपके कार्य की दिशा और योजना अच्छी होगी तो आप जरूर कठिनाइयों का सामना करके बड़ी सफलता हासिल कर लोगे।
धैर्य और सब्र के साथ निरंतर प्रयास करते जाओ , तय समय पर सफलता जरूर मिलेगी।
3. कोई कार्य असंभव नहीं होता अगर हम कार्य पर सही दिशा में सकारात्मक सोच ,अपने आप पर विश्वास के साथ ,लगन के साथ लगातार कार्य करें।
जब भी तुम्हें परेशानियाँ बड़ी लगने लगें ,तुम अपने से नीचे वालों और गरीबों को देखो ,वे सभी तुमसे ज्यादा परेशानियाँ झेल रहे हैं ;फिर भी वे तुमसे ज्यादा खुश हैं - क्योंकि उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को अपनी क्षमताओं के अनुसार सीमित कर लिया है ,उन्होंने फिजूलखर्ची कम कर ली है। वे भी सफल हो रहे हैं ,लेकिन वे धैर्य रखना जानते हैं।
अतः धैर्यवान बनो और सफलता के लिए समय दो। सही समय पर सफलता जरूर मिलेगी। सही समय का इंतज़ार और कड़ी मेहनत तो करनी ही होगी।
4. क्यों हम दूसरों की सफलता और प्रयास से अपनी सफलता और प्रयास की तुलना करके अनचाहे डर को जन्म दें ? सबके सोचने-समझने और कार्य करने के तरीके अलग-अलग होते हैं ; अतः अपने लक्ष्य पर ध्यान दो , दूसरों को देखना और सुनना बंद कर दें।
अपने आप पर और अपनी योजना पर पूर्ण विश्वास के साथ , निरंतरता के साथ धैर्यपूर्वक कार्य करते जाओ। तुम्हें जैसे-जैसे सफलता मिलती जाएगी ,वैसे-वैसे तुममें लगन और कार्य के प्रति निडरता आती जाएगी।
हाँ ! बीच में आने वाली दिक्कतों,असफलताओं को ख़त्म करने के लिए तुम्हें नया सीखने और अधिक परिश्रम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बिना परिश्रम और लगन के सफलता कभी नहीं मिलती ;अतः अपने आलस को त्यागकर कार्य में पूरे मन से तत्परता के साथ लग जाओ ,तुम्हारे असफलता के सारे डर अपने आप निकल जायेंगे - जब तुम अपनी मेहनत के परिणाम देखोगे।
तुम्हारी असफलता और दिक्कतें तुम्हें कुछ नया सीखने, कार्य करने को प्रेरित करेंगीं ; उसे अपनाएं और नया सीखकर और अधिक प्रयास करें।
समय का सदुपयोग करो और सफलता के प्रयास में समय खर्च करो।
5. जीवन की प्राथमिकताएं और उद्देश्य तय करो। बिना लक्ष्य और उद्देश्य के कभी भी हम अपने मन को एकाग्र नहीं कर सकते हैं।
हमें अपने लक्ष्य के प्रति स्व-प्रेरित होना होगा और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ निश्चय के साथ अथक प्रयास और कठोर परिश्रम भी करने होंगे ; तभी हमें जीवन का वास्तविक आनंद आएगा।
6. " मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ! "
हम हौंसला रखकर ही डर को जीत सकते हैं। जीवन की वास्तविक सफलता हमारी हिम्मत के बल पर ही मिलती है ,चाहें परिस्थितियाँ कितनी ही ख़राब क्यों ना हों।
डर से निराशा मिलती है अतः डर को ख़त्म करने के लिए हिम्मत के साथ डर के कारण खोजकर उसे दूर करने के प्रयास करो।
कभी भी अनचाहे और नीरस / निराशा भरे लोगों की दोस्ती ना रखो ; सदा ऐसे लोगों को दोस्त बनाओ जिनके विचार उच्च हों और जो आत्मसम्मानी और आत्मविश्वासी हों।
" डरे हुए को हौसला देने के लिए हम कह सकें कि - कुछ नहीं होगा , चिंता ना करो हम तुम्हारे साथ हैं आदि-आदि बातें हौंसला दे सकती हैं। "
ऐसे लोगों से रखो जो ख़ुदग़र्ज ना हों और समय पर और कुछ नहीं तो हिम्मत और हौंसला दे सकें , ऐसों से दूरी बनाओ जो मात्र समय बर्वाद करने में दिलचस्पी रखें और निराशाजनक बातों से हमारे होंसलों को तोड़ने का कार्य करें।
मुर्ख दोस्तों से अच्छा है कि अकेले ही चला जाये।
सही सलाह व दिशा से डर को काबू में कर सकते हैं। कठिन समय में वह सब करो जो हम कर सकते हैं , जो हमें करना चाहिए ; ये ही सबसे बड़ा साहस है।
साहस के बल पर हम कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। " जोखिम भरी परिस्थितिओं की जानकारी होते हुए भी जरुरी कदम उठाना साहस कहलाता है। "
हर समय उदास करने वाली बातों पर ध्यान ना दें , कभी भी डर को अपने ऊपर या दूसरों के ऊपर हावी ना होने दें। बस डर के कारण खोजो और आत्मबिश्वास के साथ डर के कारण को ख़त्म करने के प्रयास करो।
चिंता करने से कार्य पूर्ण नहीं होंगे ,हमें सकारात्मक दिशा में कार्य तो करने ही होंगे।
संदर्भ ( REFERENCES ) :--
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