Sunday, February 19, 2023

छोटे-छोटे कार्यों और लक्ष्यों के साथ बड़ी सफलता पाना लाभदायक होता है l लक्ष्य l छोटे-छोटे कार्य ही सफलता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं !

 

छोटे-छोटे कार्यों और लक्ष्यों के साथ बड़ी सफलता पाना लाभदायक होता है !

धैर्य के साथ कार्य करें। 
    जैसे बूँद-बूँद से घड़ा भर सकता है; उसी प्रकार छोटे-छोटे कार्य योजना और लगन के साथ लगातार करके बड़ी सफलताएँ भी पाई जा सकती हैं। यह भी सत्य है कि छोटे-छोटे कार्यों को करने पर जोखिम और खतरों की सम्भावनाएँ भी तुलनात्मक रूप से कम ही होंगी और उन्हें करने में हम सहज और उत्साही भी महसूस करेंगे, दिमाग पर एक साथ बड़े बोझ का अहसास भी नहीं होगा और हम बिना बैचेनी और बड़ी हानि के तनाब से भी बचे रह सकते हैं।

    याद रखें कि एक ही बार में सब ख़ुशी जल्दी पा लेने की चाहत किसी को भी असफलताओं की ओर ही ले जाती हैं। ऐसा करने पर हमारे उपलब्ध शुरुआती ज्ञान, अनुभव के कारण कार्य बीच-बीच में बाधित या असफल होंगे और मन किसी एक कार्य में एकाग्रः नहीं हो पाएगा और हम भ्रम की स्थिति में जरूर दिशाहीन कार्य करेंगे (दिशाहीन कार्य कभी सफल नहीं हो सकते हैं।)!

अतः; उचित यही होगा कि हम अपने सम्पूर्ण कार्यों और लक्ष्यों को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके ही एक बार में एक ही लक्ष्य पर कार्य करें।

    छोटे-छोटे कार्यों की सफलता ही हमें प्रगत्ति-पथ पर आगे बढ़ने की हिम्मत और आत्म-विश्वास प्रदान करती हैं। छोटे-छोटे कार्यों की उपेक्षा करने पर ही हमारी प्रगत्ति बाधित होती है।

    महान बही होता है; जो सावधानी और सूझ-बूझ के साथ छोटे-छोटे कार्य करते हुए उसे विशाल सफलताओं में परिवर्तित कर सकता है।

    अतः अगर लक्ष्य बड़े हैं; तो इन्हें समय-सीमा और निश्चित योजना के साथ दिशा देते हुए छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर लें। इसके बाद पूर्ण अनुशासन के साथ लक्ष्यों पर समयबद्ध होकर एक-एक करके कार्य करते जाएँ।

ध्यान रखें; लक्ष्यों और योजनाओं को लिखित रूप में विस्तृत जानकारी के साथ बनायें और समय-सारणी (टाइम-टेबल) भी बनायें और इनका पालन करें।

    जो भी कार्य करें; चाहें वह कितना भी छोटा क्यों ना हो; उसे सर्वश्रेष्ठ तरीकों के साथ करें और अपनी पूरी ताकत झोंक दें; तभी आपको उस कार्य में सफलता के साथ-साथ कार्यों की बारीकियाँ भी समझ आती जाएँगी; जो कि आपका वास्तविक अनुभव भी होगा; जिनका उपयोग अगली सफलताओं में सहायक सिद्ध होगा।

    इन बातों को समझने के लिए हम व्यापार का उदाहरण ले सकते हैं। अगर आप कोई बड़ा व्यापार शुरू करना चाहते हैं; तो पहले बड़ा लक्ष्य बनाकर उन्हें कई भागों में बांटकर किसी एक छोटे से लक्ष्य, कम सामग्री के साथ छोटी दुकान (Shop) से शुरूआत करें तथा अपने अनुभव, कौशल, व्यव्हार और प्राप्त कमाई के बल पर धीरे-धीरे उसे बड़ा करते जाएँ। इस प्रकार धीरे-धीरे आप अपना अनुभव बढ़ाते जाएँगे और ना तो आपको ज्यादा पैसे खर्च करने का डर होगा, साथ ही कभी बैचेनी, हताशा, डरों से भी बचे रहेंगे और निश्चित समय पर व्यापार बड़ा करने में भी सफलता पा लेंगे।

इसके विपरीत अगर आप शुरू-शुरू में ही सीमा से अधिक खर्च करके बड़ा व्यापार ही शुरू करने की भूल करेंगे; तो छोटी सी ही असफलता या व्यापार में हानि आपको खतरों में डाल सकती है। आपके शुरूआती अनुभव इतने सुदृढ़ नहीं होंगे; जो आपको इन जोखिमों से उबार पाएँ और अनुभवों की कमी के कारण आप मुश्किलों से निकल नहीं पाएँगे; इसके विपरीत छोटी शुरुआत आपको निपुणता की ओर धीरे-धीरे आगे बढ़ाएगी ओर कम जोखिम और चुनौतियाँ होने के कारण आप साधारण अनुभवों के साथ बिना चिंता के आगे बढ़ते जाएँगे। इन छोटी-छोटी आईं चुनौतियों, मुश्किलों के समाधान करने से प्राप्त जानकारी, ज्ञान, अनुभव हमें अगली सफलता के लिए समझ के साथ तैयार करेंगे और धीरे-धीरे बढ़े अनुभवों के कारण हम बड़ी चुनौतियों का भी सामना करके जीत हाँसिल करने में सक्षम होंगे।

    अतः; ध्यान रखें छोटी शुरूआत, छोटे-छोटे कार्यों को करना आसान भी होगा और इनके द्वारा प्राप्त अनुभवों के बल पर हम आगे के कठिन-बड़े लक्ष्य और कार्यों को करने की शक्तियाँ भी पा लेंगे।

    अतः; धैर्य के साथ छोटी शुरूआत करें और लगातार प्रयास करते हुए एक-एक लक्ष्य को सफल बनाते जाएँ; तभी आप बिना बड़ी जोखिम(Risk) उठाए, निडरता के साथ, चिंता-रहित होकर बड़े लक्ष्य तक पहुँच पाएँगे।




विशेष:
लगातार प्रयास करने पर ही सफलता मिलती है। 

    1. सफलता के शिखर तक पहुँचने की लगातार कौशिस करते रहें, छोटी-छोटी सफलताओं पर ही खुश होकर या घमण्डी और अति-आत्मविश्वासी बन कर ही ना बैठ जाएँ। हमेशा एक लक्ष्य पूर्ण होने पर तुरन्त अगले लक्ष्य पर कार्य आत्म-विश्वास के साथ शुरू कर दें।

    2. आप हताशा, डरों को छोड़कर ही कुछ बड़ा करने की हिम्मत जुटा सकते हैं।

    3. जब तक हमारे लक्ष्यों की दिशा और समय-सीमा निश्चित नहीं होंगी; तब तक दिमाग को उस विशेष कार्य पर केंद्रित करना मुश्किल ही होगा।

    अतः; जो भी कार्य करें लिखित में लक्ष्य और योजना बनाकर ही करें। इससे आप को अनुशासन के साथ कार्य करने में आसानी होगी और आपका मन भटकेगा नहीं।

    लक्ष्य के कार्य ही हमारे व्यक्तित्व और सोच की दिशा बदल सकते हैं; जो हमें शिखर तक पहुँचा सकते हैं।

    4. जो भी करें उसे सर्वश्रेस्ठ करें और सम्पूर्णता के साथ करें। जब तक लक्ष्य हाँसिल ना हो जाए निरन्तर प्रयास करते रहें।

    5. हमेशा छोटे स्तर से शुरूआत करें; लेकिन लगातार शिखर तक पहुँचने के प्रयास जारी रखें। अगर बीच में कुछ मुश्किलें आएँ तो उनके कारण खोजकर कार्यों के साथ-साथ समस्याओं के समाधान भी करते जाएँ।

    6. टालमटोल की आदत से बचें और हर कार्य सही समय पर शुरू करके किसी भी हालत में सही समय पर ही पूर्ण करने की भरपूर कोशिस करें।


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