Thursday, March 9, 2023

बातचीत करना एक कला है l लोक व्यवहार के द्वारा सफलता पाएँ l वार्तालाप की कला l अच्छे वक्ता बनें


बातचीत करना एक कला है !
व्यवहारिक बातचीत द्वारा समस्याएँ हल करना आसान होता है !
( लोक व्यवहार के द्वारा सफलता पाएँ
)

बातचीत करना एक कला है !

बातें समझाने का कौशल 

हमारा जीवन लोक व्यवहार  और दूसरों के साथ संबंधों पर भी निर्भर करता है।

हम बोलकर और प्रतिक्रियाएँ देकर हमारी बातें, सोच और भाबनाएँ दूसरों को समझाते हैं।

व्यवहारिक बातचीत द्वारा समस्याएँ हल करना आसान होता है !

लोक व्यवहार में कुशलता ही इंसान को अपने परिवार, समाज, कार्य-क्षेत्र और हर जगह आकर्षक और सफल बना सकती है।

व्यवहारिक और शांतिपूर्ण बातचीत द्वारा हम लोगों का दिल जीत सकते हैं, तथा साथ ही जीवन में इज्जत-शोहरत, मान-सम्मान, समृद्धि-प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

चाहें हम कितने भी योग्य क्यों ना हो, लेकिन जब तक हम लोगों से मिलना-जुलना और उनको पहचानकर व्यवहार करना नहीं जानते; तब तक लोगों से लाभ प्राप्त नहीं कर सकते हैं, और ना ही अपनी बातें लोगों से मनवा सकते हैं। 

लोगों से मिलना-जुलना, उन्हें अपने पक्ष में करना और उनसे अपनी बातें मनवाना या समर्थन प्राप्त करना; हमारे लोक-व्यवहार और बातचीत के तरीकों पर ही निर्भर करता है।

आइये जानते हैं कि बातचीत कैसे करें ?, लोगों से कैसे सम्बन्ध बनाकर इज्ज़त के साथ-साथ सफलता प्राप्त करें :-

1. बातचीत करने की कला के लिए पहले निम्न लिंक पढ़ें; इससे आपको बातचीत क्या है ?, कैसे बातचीत को आकर्षक बनायें आदि-आदि पूर्णतः समझ जायेंगे।

इन्हे पढ़ने के बाद ही आगे पढ़ें; तभी आगे की बातों की गहराई आप समझ पाएँगे :-

" बातचीत करना एक कला है "

2. बातचीत को व्यवहारिक और असरदायक बनाने के लिए पहले दूसरों की बातों को ध्यान लगाकर सुनें। दूसरों को बोलने का पूरा मौका दें; इससे बोलने बाले को आप अच्छे से समझ पाएँगे और उनकी बातों के उद्देश्य और नियत जानकर आप सटीक उत्तर या सुझाव दे पाएँगे।

अत्तर देने में कभी जल्दबाजी ना करें। पहले परिस्थितियों पर विचार करें; तभी सही हाव-भाव-मुद्रा में प्रतिक्रिया और उत्तर दें।

3. ध्यान रखें आपका एक शब्द कई रिश्ते बना भी सकता है या बिगाड़ भी सकता है; अतः बिना सोचे-समझे या जल्दबाजी में आवेश और भावनाओं में आकर कुछ भी ना कहें।

पहले पूरी बातें और स्थितियों-परिस्थितियों पर गहराई में जाकर आकलन करें; तभी विनम्रता के साथ साहसपूर्ण सही प्रतिक्रिया दें; तभी आपकी बातें दूसरों पर असर कर पाएँगी।

दूसरों से बातें करने के लिए आपके पास पूर्ण जानकारी होनी आवश्यक है।

जब तक आप जानकारी ना प्राप्त करें; तब तक चुप रहना ही उच्चित रहता है। अगर कोई दबाब भी हो; तो आप उन्हें कह सकते हैं कि आपको सोचने-समझने का समय चाहिए; लेकिन उत्तर जल्दबाजी या दबाब में आकर कभी ना दें। अन्यथा आपके रिश्ते बिगड़ सकते हैं या बना बनाया काम आपके एक शब्द से बिगड़ भी सकता है।

4. हमेशा खुशमिजाज और हसमुख (HAPPINESS) भावों के साथ, निर्भीक होकर बातचीत करें। हर शब्द सोच-समझकर, परिणामों को देखते हुए बोलें।

कभी भी बोलने या उत्तर देने में जल्दबाजी ना करें।

जो भी बोलें कम शब्दों में सटीक बोलें। कभी भी अनावश्यक विस्तार के साथ बातें को ना बढ़ाएँ; अन्यथा ऐसा करके आप स्वयं के साथ-साथ दूसरों का भी समय ही बर्बाद करेंगे। ऐसा करने पर आप अपनी छवि दूसरों की निगाह में गिराते हैं।

अतः साफ और स्पष्ट शब्दों में उत्तर या सुझाव देना उच्चित होगा।

5. कभी भी ना तो किसी को अपमानित करो और ना ही किसी और की अपमानित बातों और व्यवहार को सहन करो। आत्म-सम्मान जरूरी है; अतः किसी भी बुरे विचारों, बुरी बातों को नजरअन्दाज (IGNORE) ना करें और ना ही अपनी प्रतिक्रिया कड़े शब्दों में कहने से डरें। आगे बालों को साफ शब्दों में ऐसा कहने से शक्त बचने की सलाह तुरन्त दें। लेकिन ऐसा करते समय अपने आवेश, क्रोध पर पूर्ण नियंत्रण रखें।

6. किसी भी समस्या को पूर्णतः समझने के बाद ही अपनी राय दें। इससे आपमें सूझ-बूझ के साथ बातें कहने की परिपक्वता वाला व्यक्तित्व (परिपक्वव्यक्तित्व)प्रदर्शित होगा और आपका सम्मान दूसरों की निगाह में बढ़ेगा।

7. बातें खुशमिज़ाज व्यवहार, नैतिक भावों के साथ करें।

घमण्ड, कुंठा, जलन के भाव लाने या सोचने से बचें।

इससे आपके चेहरे पर सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व झलकेगा; जो कि सामने वालों को आकर्षित करेगा। इन बातों और गुणों के कारण सभी आपकी इज्जत करके आपकी बातों को महत्त्व देंगे।

यह किसी अन्य से अपनी बातें मनवाने का उच्चित और प्रभावी तरीका होता है। तनाब मुक्त वातावरण में सहमति बनानी आसान होती है।

8. हमेशा बातें खुले दिमाग से सहज-भावनाओं के साथ कहें; लेकिन सच कहने से कभी भी ना डरें; चाहें बातें कुछ कड़बी ही क्यों ना हों।

हाँ !!; ऐसी कड़बी सच्चाई बोलने से पहले सामने बाले को विनम्रता के साथ अबगत भी कर दें; तभी कड़बी बातें स्पष्ट शब्दों में कह दें। पहले अवगत करने से सुनने बाले को आपकी बातें ज्यादा कड़बी नहीं लगेंगी और आपके सम्बन्ध भी बिगड़ने से बच जाएँगे।

जो भी बातें कहें; स्पष्ट और कम शब्दों में कहें। आवश्यकता से ज्यादा विस्तार में बोलना अच्छा नहीं होता है।

9. अच्छे लोगों का विनम्रता के साथ आभार प्रकट करते हुए बातें कहें तथा उनको हमेशा आगे बढ़ने में मदद के साथ-साथ प्रोत्साहित भी करें। इनके दूरगामी परिणाम काफी अच्छे होंगे।

10. विनम्रता के साथ दूसरों की भावनाओं की कद्र करते हुए बातें करें। कभी भी अपनी बातों को दबाब बनाकर मनवाने की कौशिश ना करें; अन्यथा बातें बिगड़ सकती हैं और यही बातें बड़े विवादों में परिवर्तित हो सकती हैं। अतः हमेशा फैसले या बातें नैतिक आधारों पर ही करने की कोशिश करें।

11. बातें करते समय हमें ख़ुशी-उल्लास महसूस होना चाहिए। हमारे हाव-भाव निडर, आत्म-विश्वास से भरे हों, हमारा व्यक्तित्व सहज-भाव वाला हो। बातें करते समय चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखें। 

समझदारी के साथ लोगों की बातें सुनें, फिर उत्तर या अपनी प्रतिक्रियाएँ दें।

12. बातों के दौरान सामने वाले की उसके द्वारा किये अच्छे कार्यों, अच्छे व्यवहार और व्यक्तित्व की प्रशंसा करें और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करें। इससे उनके दिल में आपके लिए सम्मान, अपनत्व जाग्रत्त होगा। इससे वह आपकी बातों की इज्जत करेगा।

13. अगर फ़ोन के द्वारा किसी से बातें करें; तो पहले उससे जानकारी ले लें कि " क्या यह समय बात करने के लिए सही है ?"; अगर बह हाँ कहे; तो बातचीत करें; अन्यथा उससे समय मांगे और उसी समय पुनः बातें करें।

इससे आप उसकी सुविधानुसार उससे लम्बी और सकारात्मक बातें कर पाएँगे और अच्छे परिणाम की सम्भावनाएँ बढ़ जाएँगी।

14. निम्न जरूरी बातें अपनाना लाभकारी रहेगा :-

ख़ुशी के साथ आपने विचार प्रकट करने की कला 

            (i). कभी भी किसी व्यक्ति की आलोचना, निंदा, शिकायत ना करें। ऐसा करने से आप अपनी इज्जत और व्यक्तित्व गिरा देंगे।

            (ii). बातों के दौरान लोगों में स्वयँ की दिलचस्पी दिखाना जरूरी है। ऐसा हम उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनकर, सही समय पर सही राय प्रकट करके कर सकते हैं।

            (iii). हमेशा बातें सामने बाले की रूचि, जिज्ञासा, सोच के अनुसार करें; तभी बातें लम्बे समय तक चल सकती हैं। उबाऊ बातों को करने से बचें।

            (iv). अगर आपने कुछ गलत कह दिया हो, या कुछ गलती हो जाए; तो तुरन्त ख़ुशी के साथ अपनी गलती स्वीकार करें। अपनी गलती छुपाने के लिए बातों को तोड़-मरोड़ कर कहने से बचें।

ऐसा करने से आपकी इज्जत बढ़ेगी।

            (v). लीडर बनने के लिए लोगों को पहचानना, उनके हाव-भाव और भावनाओं को जानना जरूरी होता है; तभी आप दूसरों को कुछ समझा पाएँगे और अपनी बातें मनबाने में सफल होंगे।

15. आप आत्म-विश्वास के साथ दमदार तभी बोल पाएँगे, जब आपको विषय के बारे में विशेष जानकारी हो, स्वयँ पर पूर्ण विश्वास हो।

अतः हमेशा स्वयँ को पूर्ण प्रेरित रखें, जानकारी प्राप्त करके ही बोलें।

जो भी बोलें सोच-समझकर बोलें। भावुकता में आकर या हड़बड़ी के साथ कभी भी ना बोलें।

16. किसी की आलोचना या निंदा करके उसे सुधारने का प्रयास ना करें।

कोई भी व्यक्ति आलोचना स्वीकार नहीं करता है,ना ही अपनी गलती इस प्रकार मानता है; क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने आत्म-सम्मान की रक्षा जरूर करेगा। वह स्वयँ को सही साबित करने के लिए कोई ना कोई बहाना खोज ही लेगा और आपसे दुश्मनी पाल सकता है। अतः किसी की आलोचना करके उसके आत्म-सम्मान को ना गिराओ; अन्यथा हानि आपको ही होगी।

ऐसा करने से आपके सम्बन्ध उस व्यक्ति से बिगड़ जाएँगे।

हमें आलोचना की बजाय उसे प्रोत्साहित करके, प्रेमपूर्वक सही जानकारी देकर, गलतियों के परिणाम बताकर उसे सुधारने की कौशिश करनी चाहिए।

व्यक्ति को माफ़ करना महानता होती है। अतः किसी को माफ़ करके, प्रोत्साहन, उसे आत्म-प्रेरित करके आजीवन सुधारा जा सकता है।

17. दूसरों के विचारों, भावनाओं की कद्र करें।

18. दूसरों की बातों को अनसुना ना करें, ना ही उनकी बातों की हंसी उड़ाएँ और ना ही उन्हें गलत साबित करें। उनकी बातें सुनने, समझने के बाद ही अपनी बातें कहें। इससे आपकी बातों का वे लोग सम्मान करेंगे और आप अपनी बातें उनसे मनवाने में सफल रहेंगे।

19. निम्न बातें आपकी बातचीत को प्रभाबी बनाकर आपके व्यक्तित्व में बृद्धिकारक सिद्ध होंगी :-

            (i). बात करने के तरीकों, आपके बातों के दौरान के हाव-भावों का आपके व्यक्तित्व पर काफी असर पड़ता है। आत्म-विश्वास के साथ खुशमिजाज तरीकों से बातें करने पर सामने वाले की नज़रों में आपका व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है।

ध्यान रहे; एक अच्छे वक्ता और लीडर की कम्युनिकेशन-स्किल (बातचीत करने के तरीके) आकर्षक और दमदार होनी चाहिए।

            (ii). जो भी बात करें उसमें स्वयँ को सहज (confertable), तनाबमुक्त महसूस करें।

            (iii). जो भी बोलें सोच-समझकर, विषय से सम्बन्धित ही बातें करें। विस्तार में ना जाएँ, ना ही बोलते समय विषय से दूर चले जाएँ। जितना संभव हो संक्षेप में अपनी बातें कहें।

            (iv). बातें करते समय आत्म-संयमित रहें, शांति बनाए रखें।

जो भी बोलें सामाजिक दायरों में रहकर बोलें।

सामने बाले को आप में अपनत्व के भाव दीखने चाहिए। इससे आप दोनों की अच्छी समझ विकसित होगी; जो बातें मानने के लिए सकारात्मक वातावरण का कार्य करेंगी।

            (v). नज़र मिलाकर बात करें। इससे दोनों एक-दूसरे को सहज महसूस करते हैं, इससे यह महसूस होता है कि आप उनकी बातों को गंभीरता से सुन और समझ रहे हैं।

इससे आपकी निर्भीकता भी प्रदर्शित होती है।

            (vi). दूसरों को बोलने का पूरा मौका दें।

            (vii). जो भी बोलें स्पष्ट शब्दों में, संक्षेप में बोलें। बातें सरल शब्दों में सहजता के साथ समझाएँ।

बोलते समय बीच-बीच में विराम लें। इससे आप सोच कर बोल पाएँगे, और आपकी सांसें संतुलित रहेंगी।

इससे आपका आत्म-विश्वास बना रहेगा।

कभी भी ज्यादा जल्दी-जल्दी बातें ना बोलें; इससे सामने वाले आपकी बातों को पूर्ण रूप से समझ ही नहीं पाएँगे।

            (viii). हमें बातों के बीच में फिजूल की दूसरों की बुराई करने से बचना चाहिए। अन्यथा इससे दूसरों पर आपके व्यक्तित्व और सोच के प्रति  गलत धारणा बनेगी। आपकी इज्जत गिर सकती है।

            (ix). बातें करते समय स्वयँ पर नियंत्रण रखते हुए; भावनाओं को वश में रखें। फिजूल की बहसबाजी, नौक-झोंक से बचें। इससे आपके सम्बन्धों पर असर पड़ सकता है।

            (x). बातें करने का लहज़ा सामने बाले के अनुरूप, परिस्थितियों के अनुरूप होना चाहिए।

            (xi). बातें करते समय सच्ची बातें कहने से ना डरें, ना ही हिचकिचाहट के साथ बोलें।

हड़बड़ाहट के साथ बोलने से बचें।

बातें सीधी-सीधी, बिना घुमाये-फिराए साफ-साफ बोलें।

जो भी बोलें पूर्ण जानकारी होने पर ही बोलें, झूंठ, बढ़ा-चढ़ा कर कभी ना बोलें।

             (xii). हर बात तथ्यों (facts) के साथ कहें।

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