1.
कभी भी हद से ज्यादा किसी के लिए उपलब्ध ना रहें : |
इज्जत |
ख़ुद
को सकारात्मक निजी कार्यों में व्यस्त रखें। कभी भी किसी के लिए इतने भी मेहरवान ना
हो जाएँ की बो जैसे ही हर छोटी-छोटी बातों पर आप को ही प्रयोग में लेने लग जाये या
आप जब भी देखो उनके आस-पास की मंडराते रहो। इससे दूसरों की निगाह में आप निठल्ले और खाली लग सकते हो
, बै आपका सम्मान कम कर सकते हैं।
दूसरों पर बिना मजबूरी के समय बर्बाद करने से अच्छा है
कि हम इस समय का सदुपयोग स्वयं की तरक्की में करें। बिज़ी रहो और कभी भी किसी से ज्यादा
ना चिपको। हाँ ; अगर आगे वाला अगर किसी मजबूरी में है तो उनकी सहायता अवश्य करें -ये
हमारा नैतिक दायित्व भी है।
आपको
मना या ' ना ' कहना आना चाहिए। मात्र किसी को ख़ुश करने या दूसरों का उपकार प्राप्त
करने के लिए समय ख़र्च ना करें ; तभी आप अपनी सफलता के द्वार विकास करते हुए खोल सकते
हो।
2.
अपने व्यक्तित्व और वार्तालाप की कला का विकास करें :
हमारा
व्यक्तित्व हमारी कार्य दशा और वातावरण के अनुसार आकर्षक और प्रभावशाली होना चाहिए।
बोल-चाल में निडरता और शालीनता के भाव होने आवश्यक हैं।
जितना हम व्यक्तित्व और वार्तालाप में कौशल प्राप्त करेंगे ,हमारी वैल्यू उतनी ही अधिक
होती जाएगी।
हमारे चलने-बैठने की मुद्राएँ प्रभावशाली हों तथा उतना
ही बोलें जितना आवश्यक हो। दूसरों की बातों का सम्मान भी करें और दूसरों को बोलने का
मौका भी दें।
बहस-बाज़ी या गप्प-शप में समय बर्बाद ना करें। समय का सदुपयोग
स्वयँ पर या कार्य पर करें।
दूसरों से दूरी बनाना सीखो , अपनी भावनाएँ ( emotions
) कभी भी दूसरों के सामने प्रकट ना करो।
हम जैसे माहुल में रहेंगे ,लोगों की नज़रों में हम उसी स्तर
के बन जाते हैं। अभी संगत्ति में रहने पर हमारी सोच सकारात्मक और प्रगत्तिशील होगी
लेकिन अगर हम गलत संगत्ति में रहेंगे तो हमारा पतन धीरे-धीरे होता जायेगा।
जो भी बोलो साफ़-साफ़ व सत्य बोलो,झूठे आश्वासन से दूर रहें।
चुगली और बुराई की गन्दी आदतों से दूर रहें।
फ़िज़ूल की बातों या विषय से अलग बातें करके अपना सम्मान
व प्रतिष्ठा कम ना होने दें।
शब्दों का चुनाव अच्छा होना चाहिए।
जब भी
आप किसी से बात करें तो सोच-समझकर करें,कम शब्दों में आत्म-विश्वास के साथ बात करें।
जब कोई
आपसे सलाह या राय माँगे तभी अपनी बात सहज़ता के साथ रखें। कभी भी बिना माँगे सलाह देने
से बचें और दूसरों को अपनी राय रखने दें।
कम बोलें, लेकिन प्रत्युत्तर आकर्षक तथा आत्म-विश्वास
से भरा होना चाहिए।
ज्यादा भावुकता और डरपोक प्रवृत्तियों से बचें।
इन सबसे आपकी इज्ज़त और वैल्यू में बृध्दि होगी। सामने वाले
आपका सम्मान करेंगे।
दूसरों से कभी भी अकारण ईर्ष्या या द्वेष भावना ना रखें।
किसी की बुराई या मज़ाक उड़ाने से बचें।
दूसरों को सहयोग दें ,हो सके तो उनकी इज्ज़त व वैल्यू बढ़ाने
में सहयोगी बनें।
अगर कोई तरक्की कर रहा है तो उसे प्रोत्साहित करें ,ना की उसे प्रतियोगी
व्यव्हार करें।
दूसरों के अच्छे कार्यों की सरहाना करें। इन सब बातों से दूसरे आपको
सहयोग और प्राथमिकता देंगे ,जिनका प्रभाव आपकी वैल्यू पर सकारात्मक पड़ेगा।
अपनी तारीफ़ ख़ुद ना करें ,काम से अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करें।
3.
अपना ज्ञान और कौशल बढ़ाएँ :
ख़ुद
को एक सफ़ल इंसान बनाने के लिए जो आप कर सकते हैं करें। इससे आप समय का सदुपयोग करके
अपनी वैल्यू के साथ-साथ सफलता की सम्भाबना में भी बृध्दि कर सकते हैं।
हमारे ज्ञान व कौशल में बृध्दि से हमारा आत्म-विश्वास भी
बढ़ता है तथा हम आगे बढ़ सकते हैं।
स्वयं को काम के द्वारा प्रदर्शित करना चाहिए , कार्य में
निपुणता लाने के निरंतर प्रयास करें ; इससे आपके कार्य में कौशल बढ़ेगा और सफलता में
सहायक होगा।
अपने क्षेत्र की हर गतिविधियों में आगे रहो और दूसरों को
प्रोत्साहित करते रहो ,इससे आपके शुभ-चिंतक बढ़ेंगे।
4.
अपनी गुप्त बातें किसी को भी ना बताएँ :
चाहे
आप कितनी भी मजबूरी में हो ,अपना दुःख हर जगह प्रकट ना करते फिरें ,इससे आप दूसरों
के सामने बेचारे और गिरी अवस्था में घोषित हो जाओगे।
हमेशा
स्वाभिमानी और आत्म-अभिमानी बनो और मेहनत के बल पर परिस्थितियों से लगकर खुद के बल
पर परेशानियों को जीत में बदलो।
5.
ख़ुद की क़द्र करना सीखो : |
खुद पर समय दो |
स्वयं
को भरपूर समय दो , नियमित रूप से स्वयं के बारे में जानो ,कार्य दशा को मन मुताविक
करने के लिए सकारात्मक कार्य करो ,काम के बीच-बीच में शरीर और मस्तिष्क को आराम देना
जरूरी है।
ख़ुद को आगे बढ़ने के निरंतर प्रयास करते रहो।
अपने
व्यक्तित्व ,बोलचाल को कार्य ,वातावरण के अनुसार उच्च बनाने के प्रयत्न करें ; इससे
आत्म-विश्वास जाग्रृत होगा।
स्वयं को उच्च समझो , दूसरों से तुलना करके हल्का महसूस
ना करें।
6.
सफ़ल बनें :
एक सफ़ल
व सम्पन्न व्यक्ति की इज्जत सबसे अधिक होती है।
स्वयं को आत्म-निर्भर बनाओ,कभी भी किसी पर निर्भर ना रहो।
आत्म-निर्भर बनने से आपका सम्मान स्वतः ही दूसरों की नज़रों में बढ़ जाता है। आत्म-निर्भर
बनने से ही हमारे आत्म-विश्वास में बृध्दि होती है ,जिसका परिणाम हमारा विकास होता
है।
अच्छा होगा की हम इतने काबिल बनें कि दूसरों की सहायता
तथा उनको सुझाव देकर आगे बढ़ा सकें। इससे आपकी प्रसिद्धि के साथ-साथ वैल्यू में भी कई
गुना बृध्दि होगी।
लगातार
स्वयं के सुधार ( Improvements ) पर ध्यान लगाओ , अपनी कमियाँ और कमजोरियाँ पहचानें
और उन्हें दूर करने के लिए अपने ज्ञान तथा कौशल में बृध्दि करें।
अपने सुविधा-क्षेत्र ( Comfort -Zone ) से बाहर निकल कर
स्वयं की जिंदगी , प्रगत्ति के लिए नई-नई चीजें सीखें ,उनका उपयोग करके अपनी वैल्यू
बढ़ाएँ।
जब भी कोई कुछ हटकर कार्य करता है तो लोग उनका मजाक बनाते
हैं , टीका-टिप्पणियाँ करके हौसला गिराने वाली बातें करते हैं ; लेकिन हमें इस प्रकार
के नकारात्मक विचारों वाले लोगों पर ध्यान ना देकर सिर्फ और सिर्फ स्वयं के लक्ष्य
पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
हमें दुनिया की नकारात्मक बातों से हताश होकर स्वयं को
दुर्बल ,दिशाहीन नहीं मानना है।
" हम क्या हैं ,हमारी काबिलियत क्या है ?"-ये
दुनिया वाले नहीं जानते हैं ; अतः स्वयं पर विश्वास करें तथा अपने निर्धारित लक्ष्य
पर कार्य करते रहें।
आने वाली हर परेशानियोंऔर चुनौतियों का डटकर सामना करो , तभी आप नकारात्मक लोगों से हटकर कुछ अलग श्रेष्ठ
सफलता हांसिल कर सकते हैं।
जब हम अपने दम पर जिंदगी में एक श्रेष्ठ मुकाम हांसिल कर
लेंगे तो अपने-आप ही दुनिया के लोग आपकी वैल्यू करेंगे और आपका अनुसरण (Follow ) करने
लग जाएँगे।
अतः हमेशा अपने दिल की बात सुनो ,स्वयं के प्रति जिम्मेदारी के साथ आगे
के रास्ते तलाश करते रहो ,तभी हम उच्च सफलता के हकदार हो सकते हैं , स्वयं की इज्ज़त(
वैल्यू ) समझ सकते हैं।
7.
अपनी एक विशिष्ट पहचान (ब्राण्ड-BRAND) बनायें : |
आम से खास व्यक्ति बनें |
काम को इतना उच्च
स्तर पर ले जाओ ताकि आपका नाम आस-पास से आगे देश व विश्व-स्तर तक पहुँच सके। कौन दलाई
नामा , मदर टेरेसा , एलन मस्क , अब्राहिम लिंकन , स्वामी विवेकानंद आदि जैसे लोगों
को नहीं जनता ;इन्होनें अपना नाम व पहचान स्वयं अपने दम पर कमाया है।
छोटे
स्तर से ऊपर उठकर स्वयं के बल पर उच्च स्तर की सफलता प्राप्त करने पर ही कुछ विशेष
वैल्यू प्राप्त होती है ; जो पैतृक या कृप्पा के आधार पर सम्पत्ति-व्यापर आदि से उच्च
सफलता पाते हैं ,उनका नाम कभी भी दूर-दूर तक नहीं पहुँचता है। लेकिन आत्म-निर्भर रहकर
स्वयं के बल पर बड़ा मुकाम हांसिल करने पर जो प्रतिष्ठा मिलती है वही नाम अमर हो जाता
है।
अतः दूसरों पर निर्भरता छोड़ कर कुछ हटकर बड़ा करो - तभी
कुछ हटकर विशिष्ट वैल्यू के आप हक़दार होंगे।
अपनी एक विशिष्ट स्टाइल निश्चित करे ,कार्य करने के तरीके
निर्धारित करो और उस पर आत्म-विश्वास के साथ बढ़े चलो।
हमेशा
स्वयं में स्वाभाविक परिवर्तन लाएँ , कभी भी अपने बदलाव पर दूसरों की नक़ल का आवरण ना
चढ़ने दें। आप अपना एक विशिष्ट स्टाइल मेन्टेन करें ; लेकिन ये आपका अपना होना चाहिए।
दूसरों की नक़ल करोगे तो आप दूसरों की नज़रों में अजनवी व बनावटी लगोगे। हमेशा स्वयं
को वास्तविकता में जिलाओ और स्वयं के प्राकृतिक स्वरुप को दूसरों पर निर्भर ना करो।
जैसे-जैसे आपमें आत्म-विश्वास ,समृद्धि की वृध्दि होगी आपका स्वरुप स्वतः ही आपकी एक
विशिष्ट ब्राण्ड बन जाएगी ; जो आपकी स्वाभाविक वैल्यू बृध्दि में एक महत्वपूर्ण कारक
सिद्ध होगी। स्वतः ही लोग आपके सफल व्यक्तित्व से आकर्षित होंगे और आपका सम्मान करेंगे
तथा आपकी प्रतिष्ठा में स्वाभाविक बृध्दि होगी।
आपको कार्य दशा व परिस्थिति के अनुसार स्वयं की चाल-ढ़ाल
, पहनावा , बोलने के तरीकों व प्रतिक्रिया देने की स्टाइल में तथा स्माइल-फेस में निरंतर
सुधार के लिए सजग रहना होगा। पहनावा कार्य-दशा के अनुसार आकर्षक होना चाहिए ,ड्रेसिंग-सेन्स
में सुधार करें।
यदि आप स्वयं के सुधार के प्रति सजग होंगे तो स्वतः ही
आपके प्राकृतिक स्वरुप में आकर्षण व आत्म-विश्वास विकसित होगा ,आपकी आदतों में भी स्वतः
ही सुधार होता जाएगा।
दूसरे लोग आपकी वैल्यू करेंगे और आपके व्यक्तित्व को पसन्द
भी करेंगे।
8.
कभी भी किसी पर निर्भर ना रहो :
स्वयं के जीवन के
लक्ष्य स्वयं निर्माण करो।
कभी भी स्वयं को कमजोर और समर्पण विहीन ना समझो।
बड़े-बड़े
सकारात्मक सपने देखो और उन्हें आत्म-विश्वास के साथ आत्म-निर्भर होकर पूर्ण करने का
दृढ-संकल्प करो।
अपने हर अच्छे-बुरे परिणामों की जिम्मेदारी ईमानदार होकर
स्वयं लो लेकिन कभी भी किसी और से उम्मीद ना रखो।
यदि आप दूसरों पर निर्भर रहने की
कोशिश करोगे तो स्वयं को कठोर-परिश्रम के लिए तैयार नहीं कर पाओगे तथा साथ ही साथ दूसरों
की नज़रों में भी आपकी वैल्यू कम होती जाएगी।
आप दूसरे सकारात्मक सोच वाले लोगों से ( जो आपके ही कार्य
से जुड़े हों तथा पहले से ही बड़ी सफलता पा चुके हों) राय और सलाह ले सकते हैं ,लेकिन
सभी के पीछे मत पड़ो; नहीं तो उनके ना कहने पर या आपको बोझ समझने पर आपके दिल को ठेस
पहुँच सकती है।
अच्छा होगा की आप स्वयं सीखकर, निरंतर प्रयास करके स्वयं
में योग्यता विकसित करें, कार्य को सफल बनायें। इससे दूसरों की नज़रों में आपकी इज्ज़त,
वैल्यू कई गुना बढ़ जाएगी।
9.
कभी भी आत्म-सम्मान से समझौता ना करो :
कभी
भी ख़ुद के आदर भाव,आत्म-सम्मान से समझौता ना करें।
जो आपका
सम्मान ना करना जानते हों,जो आपकी बार-बार वैल्यू नहीं करता हो,आपको बार-बार नीचा दिखाने
की कोशिश करता हो; ऐसे लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए। अन्यथा आप अपना आत्म-सम्मान खो
देंगे।
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